अब तक हमने पढ़ा था कि गुरुत्वाकर्षण की खोज ‘न्यूटन’ ने की थी लेकिन 25-मार्च को दैनिक जागरण के आगरा संस्करण के माध्यम से पाठकों को जानकारी दी गयी कि “पेड़ के नीचे बैठे ‘आइन्स्टीन’ के सिर पर सेब गिरा तो गुरुत्वाकर्षण की खोज हुयी”|
यह खबर अखबार के पुलआउट ‘जागरण सिटी’ के प्रथम प्रष्ठ पर ‘जिज्ञासाओं से बनेंगे वैज्ञानिक’ शीर्षक से प्रकाशित की गयी है| विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अखबार होने का दंभ भरने वाले इस अखबार के सम्पादकीय विभाग की गुणवत्ता का यह नमूना भर है| पूर्व में भी दैनिक जागरण का आगरा संस्करण बड़े बड़े ब्लंडर करने के कारण चर्चा में रहा है|
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यशवंत भाई साहब, भड़ास को मजीठिया पर सारे अखबार कर्मियों की आवाज उठाने के लिये साधुवाद और आभार। यहां नईदुनिया में भी मजीठिया को लेकर एकजुटता नजर आने लगी है। नवदुनिया कर्मियों ने तो नोटिस थमा ही दिये हैं अब इंदौर की बारी है। दरअसल नईदुनिया में आनंद पांडे की सनक और उसके गुर्गों की गुंडई ने इस मुहिह का रंग चौखा कर दिया है। जो कभी मैनेजमैंट के पिट्ठू थे वे भी पांडे से आजिज आ कर हक की लड़ाई में साथियों के साथ आ जुटे हैं। पेश है अखबार में पांडे के पट्ठों की गुंडई के हाल- नईदुनिया में इन दिनों चाय से
ज्यादा गरम केतलियों के चर्चे
नईदुनिया में इन दिनों चाय यानि आनंद पांडे से ज्यादा गरम केतलियों के चर्चे हैं। हालत यह है कि इन केतलियों से यहां सभी तौबा करने लगे हैं।
कोई भी बात हो तो ये केतलियां इस कदर मुंह से आग निकाल रही है कि इनकी चपेट से बच पाना नामुमकिन है।
हाल ही में ऐसी ही फ्रंट पेज की केतली ने अपनी चपेट में प्रदेश के पेज पर सालों से काम कर रहे प्रदीप दीक्षित को अपनी चपेट में लिया। मनोज प्रियदर्शी नाम की इस केतली से ऐसा ताप निकला कि प्रदीप दीक्षित पर अब शायद प्यार का महंगा से महंगा मलहम भी असर नहीं करेगा। बात भी जरा सी थी, लेकिन जब सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का कि तर्ज पर एक खबऱ को लेकर सभी लोगों के बिच मनोज ने चिल्लाते हुए कहा कि इस अखबार में काम करने वाले सारे लोग गधे हैं। यहां काम करने वालों में न्यूज सेंस बिल्कुल नहीं है। जब प्रदीप ने कहा कि आप बताएं कौन सी खबर लगाना चाहिए तो मनोज ने कहा कि जब इतनी अकल नहीं है तो यहां क्या इतने सालों से झक मार रहे थे।
बेचार प्रदीप की आंखों से आंसू निकल आए। पूरा स्टाफ हतप्रभ गया। सभी लोग इस घटना के बाद से और ज्यादा लामबंद हो गए।
इस घटना को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि यही केतली फिर से छलकी और इस बार चपेट में आए प्रदेश का ही पेज देख रहे जाने माने पत्रकार राजेंद्र गुप्ता। जी हां, राजेंद्र जी वही पत्रकार हैं, जिनकी तूती पूरे प्रदेश में बोला करती रही है। …लेकिन मनोज ने इनकी भी बोलती बंद कर रखी है। यहां भी मुद्दा खबर ही थी। एक निहायत ही लोकल खबर को लेकर मनोज की जिद थी कि इसे प्रदेश के पेज की लीड लगाई जाए। उन्होंने कहा कि मेरा पेज आप दो बार बदलवा चुके हैं और पेज का टाईम भी हो चुका है। इसके बावजूद मनोज का कहना था कि नहीं मैं इंचार्ज हूं। हर हाल में मेरी बात मानना पड़ेगी। जमकर तू-तू मैं-मैं हुई, लेकिन अंत में गुप्ता जी को झुकना पड़ा।
इस केतली में उबाल कई बार आ चुका है। इससे प्रताड़ित होकर ही फ्रंट पेज से मधुर जोशी, उज्जवल शुक्ला संस्थान छोड़कर भास्कर का दामन थाम चुके हैं। वरिष्ठ जयेंद्र गोस्वामी इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। अन्यंत गंभीर और शालिन सीमा से यह अशालिनता कर चुका है।
आगे और भी केतलियों का खुलासा होता रहेगा।…