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जागरण में काम कर चुके दंगाई राष्ट्रवादी पत्रकार डा. अनिल दीक्षित ने फेसबुक पर क्या लिख डाला, पढ़िए

Arun Maheshwari : अगर यह व्यक्ति दैनिक जागरण दैनिक का संपादक है तो कहना होगा, एक बदस्तूर अपराधी व्यक्ति भारत में हिंदी के एक प्रमुख अखबार का संपादक बना हुआ है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की तरह के संपादकों की परंपरा वाली हिंदी भाषा के लिये इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है।

Arun Maheshwari : अगर यह व्यक्ति दैनिक जागरण दैनिक का संपादक है तो कहना होगा, एक बदस्तूर अपराधी व्यक्ति भारत में हिंदी के एक प्रमुख अखबार का संपादक बना हुआ है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की तरह के संपादकों की परंपरा वाली हिंदी भाषा के लिये इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है।

Mahendra Mishra : पत्रकारिता गिर रही है। लगातार गिरती ही जा रही है। लेकिन उसके पतन की कोई तो सीमा होगी? आलम यह है कि पत्रकारिता के एक हिस्से के वैचारिक स्तर को देखकर गली में बहने वाला परनाला भी शर्मा जाए। समाज की घृणित सोच का उसकी पूरी जेहनियत पर कब्ज़ा हो गया है। कलम जज बनकर कबीलाई फैसले सुना रही है। यकीन ना हो तो आप खुद ही देख लीजिए। जागरण में वरिष्ठ संपादकीय पद पर कार्यरत एक सज्जन ने क्या लिखा है। जिनको समाज को रोशनी दिखाने का काम मिला था वह क्या कर रहे हैं।

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Mohammad Anas : दैनिक जागरण का यह दंगाई राष्ट्रवादी पत्रकार, डिप्टी न्यूज़ एडिटर के बतौर काम कर रहा है। इसका कहना है कि देशद्रोह के कथित आरोपियों जिन्होंने कल रात भारतीय कानून और अदालत में विश्वास जताते हुए सरेंडर किया है उनके साथ जेल में कैदियों को क्या करना चाहिए। मैं आप सभी साथियों से निवेदन करता हूं कि डॉ. अनिल दीक्षित जैसे विक्षिप्त व्यक्ति को इनबॉक्स में जाकर समझाएं की वे जो चाहते हैं वह कितना गलत है।  साथियों, सोशल मीडिया पर डॉ. अनिल दीक्षित जैसे लोग बहुत हैं। आज सुबह बीबीसी में काम करने वाले जर्नलिस्ट दोस्त ने जब मुझे दैनिक जागरण के डिप्टी न्यूज़ एडिटर द्वारा जेएनयू मामलें में कथित तौर पर राष्ट्रद्रोह का आरोप झेल रहे स्टूडेंट्स का रेप करने की धमकी और उलाहना देती हुई पोस्ट दिखाई तो मैं विचलित हो गया। थोड़ी ही देर बाद उस पोस्ट का स्क्रीन शॉट लगा कर पोस्ट हटाने की मुहिम चल पड़ी। उन साथियों का धन्यवाद जिन्होंने मीडिया में काम करने वाले इस दंगाई पत्रकार की पोस्ट डिलीट करवाने की मुहिम चलाई। पोस्ट डिलीट की जा चुकी है। सारा राष्ट्रवाद फड़फड़ा कर दम तोड़ दिया है।

Bharat Singh : पत्रकारिता सुरक्षित हाथों में हैं, ये धंधे को ख़ूब आगे ले जाएँगे। सारे बनियों को ऐसे ही मैनेजर चाहिए। जय हो…

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साहित्यकार अरुण माहेश्वरी, पत्रकार महेंद्र मिश्रा, मोहम्मद अनस और भारत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Shoornir Singh

    February 24, 2016 at 12:40 pm

    patrkarita ka iskadar girna bahut hi dukhad hai. uspar desh bhar me pade jane wale denik samachar patr ka sampaadak yadi istarah se apni kalam ka istemal kare to yah patrkaarita ke girte star ko hi darshata hai.

  2. Rajeev

    February 27, 2016 at 4:42 pm

    अनिल दीक्षित पिछले कई सालों से दैनिक जागरण का हिस्सा नहीं हैं| फेसबुक पर दी गयी जानकारी भ्रामक है|

  3. munjan

    February 27, 2016 at 10:52 pm

    jo kaha thik kaha pagal kutton ko marne ki pratha hai sabhya samaj mai desh droh desh droh hota hai

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