Connect with us

Hi, what are you looking for?

आयोजन

तो इसलिए टेलीविजन मीडिया में दर्शक हाशिए पर जा रहा है

भोपाल, 1 अगस्त । प्रख्यात जनसंचार शास्त्री मार्शल मेक्लुहान का कथन है कि ‘माध्यम ही संदेश है’। वर्तमान भारतीय मीडिया की स्थिति को देखकर आज यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ‘स्वामित्व ही संदेश है’। आज समाचारपत्र, टेलीविजन एवं अन्य मीडिया संस्थानों के मालिकों द्वारा तय किए गए विचार ही मीडिया में दिखाई देते हैं। यह विचार आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वरिष्ठ पत्रकार श्री मुकेश कुमार ने व्यक्त किए।

<p>भोपाल, 1 अगस्त । प्रख्यात जनसंचार शास्त्री मार्शल मेक्लुहान का कथन है कि 'माध्यम ही संदेश है'। वर्तमान भारतीय मीडिया की स्थिति को देखकर आज यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि 'स्वामित्व ही संदेश है'। आज समाचारपत्र, टेलीविजन एवं अन्य मीडिया संस्थानों के मालिकों द्वारा तय किए गए विचार ही मीडिया में दिखाई देते हैं। यह विचार आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वरिष्ठ पत्रकार श्री मुकेश कुमार ने व्यक्त किए।</p>

भोपाल, 1 अगस्त । प्रख्यात जनसंचार शास्त्री मार्शल मेक्लुहान का कथन है कि ‘माध्यम ही संदेश है’। वर्तमान भारतीय मीडिया की स्थिति को देखकर आज यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ‘स्वामित्व ही संदेश है’। आज समाचारपत्र, टेलीविजन एवं अन्य मीडिया संस्थानों के मालिकों द्वारा तय किए गए विचार ही मीडिया में दिखाई देते हैं। यह विचार आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वरिष्ठ पत्रकार श्री मुकेश कुमार ने व्यक्त किए।

आज विश्वविद्यालय परिसर में श्री मुकेश कुमार की नई पुस्तक ‘टी.आर.पी: टी.वी. न्यूज और बाजार’ पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस प्रसंग पर बोलते हुए श्री मुकेश कुमार ने कहा कि टी.आर.पी. की वास्तविकता एवं टी.आर.पी. पर भारतीय मीडिया जगत का विचार जानने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का सर्वेक्षण किया गया। तमाम कमियों एवं आलोचनाओं के बावजूद टी.आर.पी. के आकड़ों से ही आज भारतीय टेलीविजन मीडिया संचालित हो रहा है। एक ओर मीडिया संस्थाओं को मीडिया मालिकों के हितों को ध्यान में रखना है वहीं दूसरी ओर टी.आर.पी. के आकड़ों के अनुसार अपनी विषय सामग्री बनानी है। ऐसे दौर में टेलीविजन मीडिया में दर्शक हाशिए पर जा रहा है। लोग अपने-अपने हिसाब से टी.आर.पी. का उपयोग कर रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्होंने कहा कि मीडिया के संचालन के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है और यह बाजार से प्राप्त होती है। इसीलिए आज की मीडिया को बाजार संचालित करता है। टी.आर.पी. हमें सिर्फ यह नहीं बताता की कौन-सा चैनल, कौन-सा कार्यक्रम नंबर वन है, बल्कि वह एक मार्केट पर्शेप्सन भी देता है। आज संपूर्ण टेलीविजन जगत में समाचार चैनलों का केवल 7 प्रतिशत शेयर है और इसमें भी अंग्रेजी न्यूज चैनल का केवल 0.3 प्रतिशत शेयर है।

इस परिचर्चा में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी सहभगिता की। विश्वविद्यालय के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग एवं संचार शोध के विद्यार्थियों ने परिचर्चा में हिस्सा लिया। परिचर्चा में ए.बी.पी. न्यूज के ब्यूरो चीफ वरिष्ठ पत्रकार श्री बृजेश राजपूत भी उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त जनसंपर्क विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवित्र श्रीवास्तव, संचार शोध विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका वर्मा एवं अन्य शिक्षक उपस्थित थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

प्रेस विज्ञप्ति

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. Raj

    August 2, 2015 at 5:52 am

    ये वो मुकेश कुमार है जिन्होंने मीडिया को प्रॉपर्टी डीलिंग का धंदा बना दिया है. आज कितने लोग बेरोजगारी का जीवन यापन कर रहे है इस आदमी के कारण। कितने चैनल बंद करवाने का ये तमंगा प् चुके है. अब ये चुतियापे की किताबे लिख लिख कर मीडिया के छात्रों को गुमराह कर रहा है. इस आदमी में कोई भी योग्यता नहीं है सिर्फ प्रमोटर फांस कर अपनी जेब गरम करने के अलावा। ये वो ही महानुभाव है जिन्होंने श्याम साल्वी के साथ मिलकर न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल को इंडिया का पहला HD चैनल बनाने के नाम पर करोड़ो रुपये प्रमोटर से डकार गए.

    आज दोस्तों का दिन (फ्रेंडशिप डे) है, मैं ये इस लिए लिख रहा हूँ क्यों की ये महानुभाव मुकेश कुमार कभी किसी दोस्त के नहीं हुए. इनकी दोस्ती की मिसाल आशीश मिश्रा, प्रभात शुंगलू, पंकज शुक्ल अन्य से पूछिये जो आज तक बेगैरत की जिंदगी यापन कर रहे है.

    श्री मुकेश जी से पूछिये बिना रोजगार के ये कैसे घर चला रहे है? ये वो बन्दे है जिनके नाम कई चैनल बंद करवाने का एक्सपीरियंस है.

    मुकेश जी आपसे गुजारिस है कि ये चुतिया बनाने का धंदा बंद करे. उप्पर वाला आपका इन्साफ करेगा। बहुत लोग आपके नाम की माला जप रहे है.

    अगर आपको बुरा लगा तो माफ़ी चाहता हुँ. मैं सिर्फ हकीकत बयां करने की कोशिश कर रहा था.

    नोट: यशवंत जी छपियेगा जरूर अगर आप निस्पक्ष है तो……..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement