पिछले कुछ दिनों से विवादों में चल रहे दूरदर्शन भोपाल के समाचार एकांश में एक उपनिदेशक समाचार की जबरदस्त मनमानी चल रही है। मनमानी के चलते अधिकारी प्रसार भारती के नियमों को भी ताक पर रखे है। आलम यह है कि अधिकांश लोग जिस काम के लिए भर्ती किए गए थे उनसे उनका काम कम करवाकर जिस काम के लिए उनका चयन हुआ ही नहीं वह काम करवाए जा रहे हैं। प्रसार भारती ने मार्च-अप्रैल 2014 में 2 कॉपी एडिटर, 2 कॉरसपॉन्डेंट, 2 ब्रॉडकास्ट एक्जीक्यूटिव, 1 एंकर कम कॉरस्पॉन्डेंट, 2 वीडियो एडिटर, 1 लाईब्रेरी सहायक, 2 ट्रेनी पैकेजिंग समेत एक असाईन्मेंट कॉर्डिनेटर को भर्ती किया था। इन सबका चयन बाकायदा परीक्षा और इंटरव्यू लेकर किया गया था।
आज आलम यह है कि लाईब्रेरी सहायक को जहां लाईब्रेरी संभालना चाहिए उससे असाईन्मेंट पर काम करवाया जा रहा है जिसे खबरों की समझ तक नहीं है। ट्रेनी पैकेजिंग को जहां पैकेजिंग और स्क्रिपटिंग का काम करना चाहिए उससे भी कंप्यूटर से खबरे निकलवाने यानि असाईनमेंट के अलावा स्कॉल टाईप करवाए जा रहे हैं जो उसका काम है ही नहीं। रिपोर्टरों से कॉपी एडिटिंग और कॉपी एडिटर से रिपोर्टिंग करवाई जा रही है जिससे न्यूजरूम में बुलेटिन बनाने का काम प्रभावित हो रहा है हाल के दिनों में एक कॉपी एडिटर को 3-4 दिन के लिए रिपोर्टिंग करने इंदौर उज्जैन भी भेजा गया था। जिसे सबसे ज्यादा तन्ख्वाह दी जा रही है उस एक एंकर कम कॉरसपॉन्डेंट से बुलेटिन पढ़वाना और कॉपी एडिटिंग का काम (जो उसका नहीं है) करवाया जा रहा है।
केंद्र के लोग तो यह भी बता रहे हैं कि उन साहब को रिपोर्टिंग करने से भी मना कर दिया गया है। बात ब्रॉडकास्ट एक्जीक्यूटिव की करें तो इनके साथ तो और जुल्म हो रहे हैं उनसे बुलेटिन ब्रॉडकास्ट करवाने की बजाए वीडियो एडिटिंग करवाई जा रही है। सिर्फ 2 वीडियो एडिटर अब रह गए हैं जिनसे मूल काम नहीं छीना गया है। हालातों से लगता है कि उन्हे भी किसी दिन कॉपी एडिटर या रिपोर्टर का काम न करवाया जाने लगे। हद तो यह है कि समाचार एकांश के विशेष प्रोग्राम चर्चा में और आमने-सामने एक कॉपी एडिटर और एक रिपोर्टर से करवाए जा रहे हैं जिनका कभी ऑडिशन तक नहीं हुआ। जबकी दूरदर्शन के नियमों के मुताबिक बिना ऑडिशन पास किए किसी भी व्यक्ति को एंकर की कुर्सी पर नहीं बैठाया जा सकता। हाल ही के दिनों में नए एंकरों का पैनल बनाकर भर्ती किया गया है। पहले से ही 12 से 15 अनुभवी एंकर पैनल में शामिल हैं उनको महीने में सिर्फ एक य दो दिन ही बुलाया जा रहा है।
पिछले दिनों 18 फरवरी को प्रधानमंत्री ने सीहौर के शेरपुर में फसल बीमा योजना की शुरुआत की मोदी की शेरपुर यात्रा के दौरान विशेष बुलेटिन चलाने के प्रयास किए गए बुलेटिन में एक सबसे अनुभवी एंकर (जो प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों और दूरदर्शन के राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों की लाईव कमेंट्री करता है) उसको स्टूडियो में चुप करवाकर एक रिपोर्टर को एंकर बनाकर बैठा दिया गया जिसे फसल बीमा योजना का क ख ग भी नहीं मालूम था। कई जिला संवाददाताओं का हुक्का पानी बंद कर दिया गया है तो कई को रेवड़ियां बांटी जा रही हैं। अंदरखाने से खबर यह है कि समाचारों की समझ कम रखने वाले यह अधिकारी न तो समाचार संपादक को कुछ समझते हैं न तो समाचार प्रमुख को। इनकी निगाह सिर्फ समाचार प्रमुख की कुर्सी पर है। वैसे इनके व्यवहार से समाचार कक्ष में काम करने वाले कर्मचारियों ने इन्हे समाचार प्रमुख मान लिया है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि इन दिनों समाचार कक्ष में काम कर रहे कर्मचारियों में एक दूसरे के प्रति अविशवास का माहौल बनने लगा है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.