दिल्ली : नरेला फैक्ट्री वसूली मामले में राजेश खत्री के खिलाफ गलत तरीके से एफआईआर दर्ज करने के आरोपी यहां के एसओ को लाइन हाजिर कर दिया गया है। गौरतलब है कि गत दिनो विजय सिंह पुत्र महेंद्र सिंह निवासी श्रीश्याम अपार्टमेंट, नरेला ने पुलिस को दी तहरीर में बताया था कि राजेश खत्री ने धमकाते हुए उससे 50 हजार रुपए मांगे थे। अब घटनाक्रम की हकीकत कुछ और ही खुल कर सामने आ रही है। पुलिस, फैक्ट्री मालिक के बीच पूरा मामला किसी और सिरे से प्रायोजित कर खत्री को जाल में फंसाने का प्रयास किया गया था।
नरैला क्षेत्र की वही है ये फैक्ट्री, जिसके मालिक विजय सिंह ने पत्रकार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी
मौके पर छानबीन करते रिपोर्टर
खत्री की सूचना आजतक पर प्रसारित करते हुए बताया गया था कि देश की राजधानी में हज़ारों ज़िन्दगियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। राजधानी की फैक्ट्रियों में बायो मेडिकल वेस्ट इस्तेमाल किये जाने का मामला सामने आया है। बाहरी दिल्ली के नरेला औद्योगिक क्षेत्र से ये रिपोर्ट आई है कि प्लास्टिक प्रोडक्ट से सम्बंधित कम से कम चालीस ऐसी फैक्ट्रियाँ चल रही हैं जिनमें भारी मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।
बायो मेडिकल वेस्ट दरअसल अस्पतालों में मरीजों के इस्तेमाल में लाये जाने वाले वो प्रोडक्ट होते हैं जिनको इस्तेमाल के बाद बेहद सावधानी के साथ नष्ट कर डिस्पोज़ करने की जरूरत होती है। ये प्रोडक्ट जैसे, कि सिरिंज, नीडल के कवर , इंजेक्शन की शीशियाँ , नाली, बोतल या इस तरह की कोई भी सामग्री हो सकती हैं, जिनको मरीज के इलाज में उपयोग किया जाता है और उसके बाद वो बेकार हो जाती हैं। इस्तेमाल के बाद इनको बेहद सावधानी के साथ डिस्पोज किये जाने की जरूरत होती है क्योंकि किसी भी तरह से अगर ये स्वस्थ व्यक्ति के संपर्क में दुबारा आयें तो इन्फेक्शन हो सकता है और भयानक संक्रामक रोगों का कारण बन सकता है।
खत्री ने अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाया था कि इतनी भारी मात्रा में बायो मेडिकल वेस्ट से भरे ये ट्रक आखिर राजधानी के बाहरी इलाके में चल रहे नरेला औद्योगिक क्षेत्र तक कहाँ से पहुँचते हैं? आखिर कौन से वो अस्पताल हैं जो कि ये मौत का सामान फैक्ट्रियों तक पहुँचा रहे हैं? बताया गया कि प्लास्टिक के काम से जुड़ी ये फैक्ट्री काफ़ी समय से बायो मेडिकल वेस्ट को रीसायकल कर बेचने का काम कर रही है। रीसायकल कर इन प्लास्टिक से डिस्पोजेबल ग्लास, प्लेट, खिलौने या अन्य दैनिक उपयोग में लायी जाने वाली चीजें बनायीं जाती हैं।
जब फैक्ट्री के अंदर पड़ताल की गयी तो और भी चौंका देने वाली तस्वीरें सामने आईं। ये महिलाएँ नंगे हाथों से ही इन बायो मेडिकल वेस्ट जैसे की नीडल्स और सिरिंज को छाँट रही थीं । फैक्ट्री मालिक विजय सिंह ने भी स्वयं इस बात को कबूल किया कि ये ग़लत काम उसकी फैक्ट्री में चलाया जा रहा है और इस तरह की पैंतीस चालीस फैक्ट्रियाँ इस औद्योगिक क्षेत्र में हैं।
जब पूरी हकीकत आजतक की टीम ने पुलिस के साथ कैमरे में कैद कर ली तो पहले तो उनको मामले को ले दे कर रफा दफा करने को कहा गया। जब रिपोर्टर नहीं माने तो खबर दबाने के लिए लगातार उनपर दबाव बनाया गया और धमकियाँ भी दी गयीं। रिपोर्टर नहीं झुके। आखिर फैक्ट्री मालिक ने उलटे पत्रकार पर ही रंगदारी वसूलने का आरोप लगा दिया और झूठी एफ आई आर भी दर्ज़ करा दी थी। मामले का सच सामने आने पर अब रिपोर्ट दर्ज करने वाले एसओ को लाइन हाजिर कर दिया गया।