नई दिल्ली: कोर्ट ने नौकरशाहों के खिलाफ एसीबी को कार्रवाई करने की अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की अपील पर भी दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधी पैनल की शक्ति सीमित करने संबंधी अधिसूचना को संदिग्ध ठहराने वाले उच्च न्यायालय के आदेश स्थगित करने की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर दिल्ली सरकार से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 25 मई के अपने फैसले की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना दिल्ली सरकार की ताजा याचिका पर स्वतंत्र तरीके से कार्यवाही करे।
गौरतलब है कि केंद्र ने एलजी की शक्तियों पर गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को संदिग्ध बताने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। वहीं ‘आप’ की सरकार ने नौकरशाहों की नियुक्ति में एलजी को पूर्ण अधिकार देने की केंद्र की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार अधिसूचना की गलत व्याख्या कर रोज दिक्कतें पैदा कर रही है। इससे प्रशासनिक समस्याएं सामने आ रही हैं। अत: मामले की त्वरित सुनवाई की जाए।
जस्टिस एके सीकरी और यूयू ललित की पीठ ने कहा, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला नहीं दिया,उसने सिर्फ अधिसचना को संदिग्ध बताया है। ऐसे में समस्या नहीं होनी चाहिए। इस पर एएसजी ने कहा कि ऐसा नहीं है। दिल्ली सरकार और एलजी के बीच समीकरण में संतुलन के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 एए की स्पष्ट व्याख्या जरूरी है।
हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार के अधिवक्ता रमण दुग्गल ने कहा कि गृह मंत्रालय ने मनमाने तरीके से अधिसूचना जारी की है। इसे रद्द किया जाए। सरकार ने शंकुतला गैमलिन की नियुक्ति भी रद्द करने की मांग की है।