सुप्रीम कोर्ट का सुझाव- मूर्तियों पर खर्च हुआ जनता का पैसा मायावती को वापस लौटाना चाहिए!

वर्ष 2007 से 2011 के बीच मायावती सरकार द्वारा लगाई गयी मूर्तियों के निर्माण में धन के दुरुपयोग के संबंध में लखनऊ में 6 स्थानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी की स्याही अभी सुखी भी नहीं थी कि उच्चतम न्यायालय ने मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान बनाये गये स्मारकों और मूर्तियों का पैसा …

क्या सुप्रीम कोर्ट ने ‘शादी’ नामक संस्था की ऐसी-तैसी कर दी?

Prabhakar Mishra : आप जश्न मनाइये जीत का, मनपसंद सेक्स पार्टनर चुनने की आज़ादी का, पति-पत्नी के अधिकारों की बराबरी का …! लेकिन तैयार भी रहिये … विवाह जैसी पवित्र संस्था के लिए मर्सिया पढ़ने के लिए! क्योंकि ..बस एक कदम और …. शादी की ऐसी की तैसी!

एनडीटीवी माफी मांग ले तो एक दिन का प्रतिबंध हम भी माफ कर देंगे : मोदी सरकार

एक दिन का प्रतिबंध लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. केंद्र की मोदी सरकार ने कहा है कि पठानकोट एयरबेस पर आतंकी मामले की गलत रिपोर्टिंग के लिए चैनल अगर माफी मांग ले तो वह एक दिन के प्रतिबंध को माफ कर सकती है. एनडीटीवी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन्हें हफ्ते भर का समय दिया जाए ताकि वह एनडीटीवी प्रबंधन से बात कर उसके रुख की जानकारी दे सकें. ऐसे में माना जा रहा है कि चैनल प्रबंधन विवाद को आगे न बढ़ाते हुए माफी मांगने को तैयार हो जाएगा और पूरे मामले का पटाक्षेप हो जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त- पैसे न दिए तो एंबी वैली नीलाम कर देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा मामले में अपने फरवरी के आदेश को संशोधित कर दिया है… सहारा को अब सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के मुकाबले सेबी-सहारा खाते में रकम जमा करानी होगी.. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को चेताते हुए कहा अगर उसने पैसे नहीं जमा कराए तो एंबी वैली को नीलाम कर देंगे… सहारा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फरवरी के आदेश को संशोधित करते हुए समूह के न्यूयॉर्क स्थित होटल की नीलामी से मिलने वाली रकम को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराए जाने के बदले सेबी-सहारा के संयुक्त खाते में जमा कराने का आदेश दिया है…

मजीठिया मामले में काश सुप्रीमकोर्ट ऐसा कर देता!

देश के अधिकांश अखबार मालिकों के खिलाफ माननीय सुप्रीमकोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है। इस मामले में सुप्रीमकोर्ट में अभी डेट नहीं पड़ पा रही है। अगर माननीय सुप्रीमकोर्ट कुछ चीजें कर दे तो सभी अखबार मालिकों की नसें ना सिर्फ ढीली हो जायेंगी बल्कि देश भर के मीडिया कर्मियों को इंसाफ भी मिल जायेगा। इसके लिये सबसे पहले जिन समाचार पत्रों की रिपोर्ट कामगार आयुक्त ने सुप्रीमकोर्ट में भेजी है उसमें जिन अखबार मालिकों ने जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश नहीं लागू किया है या आंशिक रुप से लागू किया है ऐसे अखबारों के मैनेजिंग डायरेक्टर, डायरेक्टर, पार्टनर और सभी पार्टनरों को अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुये उनके खिलाफ कामगार आयुक्त को निर्देश दें कि उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दें और सभी जिलाधिकारियों, तहसीलदारों को निर्देश दें कि उनके खिलाफ रिकवरी कार्रवाई शुरू की जाये। उनको जमानत भी माननीय सुप्रीमकोर्ट से तभी प्राप्त हो जब वे मीडियाकर्मियों को उनका पूरा बकाया एरियर वेतन तथा प्रमोशन दें।

मजीठिया वेतनमान : आगे से कौन डरेगा सुप्रीम कोर्ट से…

मजीठिया वेतनमान को लेकर भले ही देश की कानून व्यवस्था और उसका पालन आलोचनाओं के घेरे में हो लेकिन प्रिंट मीडिया में भूचाल देखा जा रहा है, एबीपी अपने 700 से अधिक कर्मचारियों को निकाल रही है, भास्कर, पत्रिका आधे स्टाफों की छंटनी करने जा रहा है, हिंदुस्तान टाइम्स बिक गया आदि बातें स्पष्ट संकेत दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेतनमान को लेकर कुछ बड़ा फैसला आने वाला है। अब ये उठा पटक नोटबंदी के कारण हो रही है या किसी और कारण? यह तो समय बताएगा लेकिन मार्च-अप्रैल तक प्रिंट मीडिया में बड़े उलट फेर देखने को मिल सकते हैं. क्योंकि डीएवीपी की नई नीति से उसी अखबार को विज्ञापन मिलेगा जो वास्तव में चल रहा है और जहां के कर्मचारियों का पीएफ कट रहा हो या फिर पीटीआई, यूएनआई या हिन्दुस्थान न्यूज एजेंसी से समाचार ले रहा हो। साथ ही लगने वाला समाचार कापी पेस्ट ना हो, कि बेवसाइट से उठाकर सीधे-सीधे पेपर में पटक दी गई हो। इसका असर प्रिंट मीडिया में पड़ेगा.

ये है सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर…. हर मीडियाकर्मी को इसे पढ़ना चाहिए

ऐसा पहली बार हुआ है जब मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे किसी पत्रकार का तबादला किये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया हो और उसके तबादले पर रोक लगा दी हो. सुप्रीम कोर्ट का यह कदम उन बहुत से मीडियाकर्मियों के हित में है जो मजीठिया वेज बोर्ड का हक पाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और इसके बदले में प्रबंधन द्वारा तरह तरह से उत्पीड़ित किए जा रहे हैं. इस स्टे आर्डर का हवाला देकर अदालत में मीडियाकर्मी अपने उत्पीड़न के खिलाफ वाद दायर कर सकते हैं. देखें स्टे आर्डर की कापी…

सुप्रीम कोर्ट ने प्रभात खबर के आरा ब्यूरो चीफ के तबादले पर लगायी रोक

देश भर के मीडियाकर्मियों में खुशी की लहर :  जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले की लड़ाई लड़ रहे देश भर के मीडियाकर्मियों के पक्ष में माननीय सुप्रीमकोर्ट ने एक और बड़ा कदम उठाया है। प्रबंधन के खिलाफ जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ रहे प्रभात खबर के रांची (झारखंड) के के ब्यूरो …

ये क्या, सुप्रीम कोर्ट के लिखित आदेश में जागरण के मालिकों को तलब करने का जिक्र ही नहीं!

सुप्रीमकोर्ट के लिखित आदेश से समाचारपत्र कर्मियों में निराशा : माननीय सुप्रीमकोर्ट में 4 अक्टूबर को हुयी मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई के बाद लिखित आदेश कल 6 अक्टूबर को आया। लेकिन इस आदेश में दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को तलब किए जाने का जिक्र ही नहीं है। न ही इन दोनों का नाम किसी भी संदर्भ में लिया गया है। यानि संजय गुप्ता और महेंद्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट में उपस्थित नहीं रहना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमिश्नरों को दिया सख्त निर्देश- आरसी काटिये और वेज बोर्ड की सिफारिश लागू कराइए

सुप्रीम कोर्ट से शशिकांत सिंह की रिपोर्ट…

सभी लेबर कमिश्नरों को अखबार मालिकों की रिकवरी काटने का सख्त आदेश… लेबर कमिश्नरों को आज माननीय सुप्रीमकोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू ना करने पर जमकर लताड़ा और दैनिक जागरण के मालिकों संजय गुप्ता और महेन्द्र मोहन गुप्ता को अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में तलब कर लिया है। साथ ही सभी लेबर कमिश्नरों को सख्त आदेश दिया कि आप इस मामले की रिकवरी सर्टिफिकेट जारी करा कर इस सिफारिश को अमल में लाइए।

सुप्रीम कोर्ट ने जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन और संजय गुप्ता को तलब किया

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने और सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानून, न्याय, संविधान तक की भावनाओं की अनदेखी करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आज दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को अगली सुनवाई पर, जो कि 25 अक्टूबर को होगी, कोर्ट में तलब किया है. आज सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न किए जाने को लेकर सैकड़ों मीडियाकर्मियों द्वारा दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई हुई.

मजीठिया : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के लेबर कमिश्नर के खिलाफ जारी किया वारंट

उत्तर प्रदेश के लेबर कमिश्नर को 6 हफ्ते में दिलाना होगा मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ, 4 अक्टूबर को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और दिल्ली के लेबर कमिश्नर को हाजिर होने का आदेश

पत्रकारों के वेतन से संबंधित फिलवक्त देश के सर्वाधिक चर्चित आयोग मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त कदम उठाया और उत्तराखंड के श्रम आयुक्त को आज के दिन हाजिर रहने की पूर्व सूचना के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में अनुपस्थित रहने पर कोर्ट ने वारंट जारी कर दिया है। साथ ही उत्तर प्रदेश के श्रम आयुक्त को साफ कह दिया कि 6 हफ्ते के अंदर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश को पूरी तरह लागू कराईये। सुप्रीम कोर्ट ने लिखित रूप से तो नहीं बल्कि मौखिक रुप से यह भी कह दिया कि अगर आपने 6 सप्ताह में ऐसा नहीं किया तो जेल भेज दूंगा।

मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई : न मीडिया मालिक जेल जाएंगे, न अफसर, हारे हुए हम होंगे!

Yashwant Singh : यूपी के जंगलराज में तब तक कुछ नहीं होता जब तक कि कपार पर कस के डंडा न मारा जाए… जागरण के मालिकों को तलब कर लिया है श्रमायुक्त ने, सुप्रीम कोर्ट के डर से.. ( पढ़ें ये लिंक : http://goo.gl/cEjFk8 ) लेकिन मुझे नहीं लगता इन चोट्टों का कुछ होने वाला है… अफसर माल लेकर मस्त और मालिक शोषण करके मालामाल… सत्ताधारी महाचोरकट नेता इन सभी से थोक में माल लेकर और निहित स्वार्थी मित्रता की डील करके गदगद. न्यायपालिका कितना और कब तक इनको ठोंकती जगाती सिखाती समझाती रहेगी…मजीठिया वेज बोर्ड का मामला एक ऐसा मामला है जिसे आप गौर से देख पढ़ जान लें तो आपका लोकतंत्र पर से पूरा भरोसा उठ जाएगा.

मजीठिया पर आज के फैसले का निहितार्थ : सुप्रीम कोर्ट आरपार वाले एक्शन के मूड में, जो मीडियाकर्मी सोए हैं वो अब भी जग सकते हैं

देश भर के पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आज माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उन श्रम सचिवों / श्रम आयुक्तों को तलब करना शुरू किया है जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में या तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए अपनी स्टेटस रिपोर्ट नहीं भेजी या जिन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने के आदेश को गंभीरता से नहीं लिया।

मजीठिया : बेहद सख्त सुप्रीम कोर्ट ने यूपी समेत पांच राज्यों के सचिवों को नए एक्शन रिपोर्ट के साथ 23 अगस्त को तलब किया

मीडिया मालिकों के कदाचार और सरकारी अफसरों की नपुंसकता से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अब एक एक को देख लेने का इरादा बना लिया है. अपना रुख बहुत सख्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों से आई रिपोर्ट को एक साथ एक बार में नहीं देखा जा सकता और इसमें बहुत सारी बातें स्पष्ट भी नहीं है इसलिए अब यूपी समेत पांच राज्यों की समीक्षा होगी और समीक्षा के दौरान संबंधित राज्यों के सचिव सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहेंगे. शुरुआत में नार्थ इस्ट के पांच राज्य हैं जिनके सचिवों को अपनी नवीनतम एक्शन रिपोर्ट तैयार करके 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हाजिर रहने को कहा है.

जानो कानून : : सुप्रीम कोर्ट का फैसला- फेसबुक पर किसी की आलोचना करना अपराध नहीं, एफआईआर रद्द करो

Facebook postings against police… criticising police on police’s official facebook page…. F.I.R lodged by police….

HELD – Facebook is a public forum – it facilitates expression of public opinion- posting of one’s grievance against government machinery even on government Facebook page does not by itself amount to criminal offence – F. I.R. Quashed.

(Supreme Court)
Manik Taneja & another – Vs- State of Karnataka & another
2015 (7) SCC 423

जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है!

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति पर ‘चौथी दुनिया’ में छपी प्रभात रंजन दीन की ये बेबाक रिपोर्ट पढ़ें

जजों की नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से जो लिस्ट सुप्रीम कोर्ट भेजी गई है, वह धांधलियों का पुलिंदा है. जज अपने बेटों और नाते रिश्तेदारों को जज बना रहे हैं। और सरकार को उपकृत करने के लिए सत्ता के चहेते सरकारी वकीलों को भी जज बनाने की संस्तुति कर रहे हैं. न्यायाधीश का पद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के प्रभावशाली जजों का खानदानी आसन बनता जा रहा है. जजों की नियुक्ति के लिए भेजी गई अद्यतन सूची में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बेटे से लेकर कई प्रमुख न्यायाधीशों के बेटे और रिश्तेदार शामिल हैं.

SUPREME COURT DISMISSES SLP OF LOKMAT GROUP OF NEWSPAPERS

Inspiring story of non journalist employee who succeeds finally after a long battle of 17 years… Gets benefit of regularization and permanency as Teleprinter Operator, Planner with retrospective effect… Held entitled to all the benefits of Palekar, Bachawat Awards…

प्रबंधन द्वारा सताए जागरण के सैकड़ों मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट से हासिल हुई निराशा

Stupidity of Two Advocates has let down Newspaper Employees

Newspaper employees, in general, and Dainik Jagran employees, in particular, got a jolt in the Supreme Court today because of the foolishness of their two advocates namely; Vinod Pandey and Ashwin Vaish when the Hon’ble Court refused to grant any relief to the employees, who are either victimised or about to be victimised.

मेरे गरीब चौकीदार पिता को इस जज ने नौकरी से निकाल दिया, अब घर कैसे चलेगा

Dear Sir,

I m pallvi from ambala city. I just want to say that My father Ramesh kumar was working in Haryana Court Ambala city as a chownkidar from 20 years under session judge (Mr.Jaiveer singh Hudda). Before 5 years, My father suspended by Mr. Jaivir Singh hUdda with wrong ellications. At that time my father was working in hudda’s Kothi. But in which document Mr. Hudda Said that everything wrong in court then he suspended my father. At that time 15 Employees suspended by Mr.Hudda. One person can make mistake. But 15 Peoples can’t do at same time.

पर्ल ग्रुप की संपत्तियों की नीलामी के लिए सुप्रीम कार्ट ने कमेटी बनाई

हाल ही में करीब 50,000 करोड़ रूपये की हेराफरी के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी ने पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू को गिरफ्तार किया था. उन पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगा था. अब खबर आ रही है कि पर्ल ग्रुप की संपत्तियों की नीलामी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बना दी है. कोर्ट ने पूर्व जज आर एम लोढा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई. सेबी के जरिये लोगों को पैसे लौटाया जाएगा और यह कमेटी इस बात की निगरानी रखेगी कि किस तरह अगले 6 महीनों में लोगों के कर्ज को चुकाया जा सके. सेबी को इस केस से जुड़े सारे दस्तावेज़ इस कमेटी को सौंपना होगा.

भारत सरकार ने कोर्ट में कहा- अगर अफसरों को मौलिक अधिकार चाहिए तो पहले इस्तीफा दें

इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर द्वारा आईएएस, आईपीएस अफसरों द्वारा सरकारी कार्य और नीतियों की आलोचना पर लगे प्रतिबन्ध को ख़त्म करने हेतु दायर याचिका में भारत सरकार ने कहा है कि यह रोक लोक शांति बनाए रखने के लिए लगाई गयी है. राजीव जैन, उपसचिव, डीओपीटी द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार प्रत्येक सेवा संविदा में कुछ मौलिक अधिकारों का हनन होता है.

सुप्रीम कोर्ट में ‘लोकमत’ को साकुरे ने दी मात, एरियर 50 लाख और वेतन 40 हजार मिलेगा

नागपुर। दो साल पहले 61 कर्मचारियों को बिना किसी कारण के अवैध रूप से टर्मिनेट करने और कर्मचारियों के शोषण, अन्याय एवं अत्याचार के लिए कुख्यात महाराष्ट्र के कुख्यात लोकमत समाचार पत्र समूह को सुप्रीम कोर्ट से फिर एक बड़ा झटका लगा है. लोकमत के भंडारा कार्यालय में प्लानर के रूप में कार्यरत महेश मनोहरराव साकुरे को सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेतन आयोग के अनुसार वेतन देने और 1998 से लेकर अब तक पालेकर, बछावत, मणिसाना एवं मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ब्याज के साथ एरियर्स देने का फैसला सुनाया है.

मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में हो रही देरी पर यशवंत ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र

देश भर के सैकड़ों लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अखबार मालिकों द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड न दिए जाने के खिलाफ अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगा रखी है. भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह ने भी सैकड़ों मीडियाकर्मियों का प्रतिनिधित्व करते हुए कई मीडिया हाउसों के मालिकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका एडवोकेट उमेश शर्मा के माध्यम से दायर कर रखी है. इन सारी याचिकाओं की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई इकट्ठे करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कई महीनों पहले सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि श्रम विभाग के स्पेशल अधिकारी मजीठिया वेज बोर्ड की रिपोर्ट लागू किए जाने को लेकर स्टेटस रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में सबमिट करें, उसके बाद अगली सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकारों से कहा- अपनी जगह पर रहें

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पत्रकारों के डायस के नजदीक आने पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने पत्रकारों को नसीहत दी कि उन्हें वहीं रहना चाहिए जो जगह उनके लिए तय की गई है। ये टिप्पणी केंद्र सरकार के खिलाफ डिसएबल लोगों के कोटा को लेकर दाखिल अवमानना की याचिका की सुनवाई के दौरान दी गई। बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस राजन गोगोई ने कहा कि पत्रकारों को एकदम जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। जजों की कमेटी ने इस मामले में फैसला भी किया है जो शायद आप तक नहीं पहुंचा है। पत्रकारों को अपने निर्धारित स्थान पर ही रहना चाहिए।

अरुण पुरी के खिलाफ विहिप नेता द्वारा दायर मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

बिजनेस टुडे मैग्जीन के कवर फोटो पर महेंद्र सिंह धोनी को भगवान विष्णु के रूप में प्रकाशित करने के खिलाफ बेंगलुरु में एक विहिप नेता ने इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया था. इस मुकदमें पर रोक के लिए अरुण पुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने अरुण पुरी को राहत दे दी है. पढ़िए इस संबंध में रिलीज हुई खबर….

पत्रकार जगेंद्र हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भेजा यूपी सरकार को नोटिस

उत्तर प्रदेश में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जलाकर मारे जाने के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस उस याचिका पर सुनवाई के बाद जारी कि जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल पीआईएल को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर की गुहार लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार को जलाए जाने और उनकी हत्या के मामले की स्वतंत्र जांच के लिये जगेंद्र के बेटे द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस लेने की परिस्थितियों की सीबीआई जांच हेतु दायर याचिका पर विचार करने का निश्चय किया. इससे पहले याचिका दायर कर पत्रकारों की सेफ्टी के लिए गाइडलाइंस बनाए जाने की बात कही गई है.

Scribe Jagendra Singh burning case : SC seeks response from Centre, UP on PIL

New Delhi: The Supreme Court on Friday decided to entertain a plea seeking CBI probe into the circumstances leading to the withdrawal of a petition by a journalist’s son, who had sought an independent probe into the alleged burning and murder case of his father in which a state minister and five others have been booked. An application filed by a Lucknow scribe has claimed that the son of slain journalist, Jagendra Singh, was pressurised and threatened by the alleged killers of his father, following which he had written a letter to his lawyer on July 23 wishing to withdraw the petition.

दलित अधिकारियों, कर्मचारियों की पदावनति के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जायेगा आइपीएफ – दारापुरी

लखनऊ : पूर्व आईजी एवं आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षण और परिणामी ज्येष्ठता के आधार पर सभी विभागों में पदोन्नति पाए दलित अधिकारियों और कर्मचारियों को पदावनत करने के फैसले पर गहरा दुःख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि इससे प्रदेश में …

पत्रकार जगेंद्र हत्याकांड पर केंद्र और यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली : शाहजहांपुर के जुझारू पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। इससे हत्याकांड के आरोपी मंत्री और पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता भी आसान होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। कोर्ट ने हत्याकांड के संबंध में यूपी सरकार, केंद्र सरकार और प्रैस काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस भेजकर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब कर लिया है। 

मजीठिया वेतनमान: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यूपी श्रम विभाग के भी सख्त निर्देश जारी

गोरखपुर : राजस्थान, मध्यप्रदेश आदि राज्यों की तरह अब उत्तर प्रदेश शासन ने भी मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन का सख्त निर्देश जारी कर दिया है।  श्रम आयुक्त शालिनी प्रसाद ने प्रदेश के समस्त श्रम अधिकारियों को आदेशित किया है कि वे अपने अपने क्षेत्र के समाचार पत्र प्रतिष्ठानों का निरीक्षण कर तत्काल इस संबंध में रिपोर्ट उपलब्ध कराएं। आदेश में कहा गया है कि समाचार पत्र प्रतिष्ठानों के निरीक्षण के दौरान वहां कार्यरत पत्रकारों और गैर पत्रकारों की संख्या, उनके मौजूदा वेतनमान आदि के सम्बन्ध में पूरी जानकारी रिपोर्ट में दें। निरीक्षण के लिए जिलाधिकारियों से स्वीकृति लेना आवश्यक नहीं है। मजीठिया वेतनमान से संबंधित क्षेत्रीय स्तर पर कोई रिपोर्ट दर्ज कराई गई हो तो श्रम आयुक्त ने उसके भी त्वरित निस्तारण का आदेश दिया है। 

राजदीप सरदेसाई के खिलाफ मानहानि मामले की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई  और सात अन्य सहयोगियों की उस याचिका को पहले से ही लंबित मामले के साथ संलग्न कर दी, जिनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। 

ACB विवाद : केजरीवाल को झटका, सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली सरकार को नोटिस

नई दिल्ली: कोर्ट ने नौकरशाहों के खिलाफ एसीबी को कार्रवाई करने की अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की अपील पर भी दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधी पैनल की शक्ति सीमित करने संबंधी अधिसूचना को संदिग्ध ठहराने वाले उच्च न्यायालय के आदेश स्थगित करने की मांग करने वाली केंद्र की याचिका पर दिल्ली सरकार से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 25 मई के अपने फैसले की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना दिल्ली सरकार की ताजा याचिका पर स्वतंत्र तरीके से कार्यवाही करे।

सलमान खान को अवैध तरीके से जमानत दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर

एडवोकेट उमेश शर्मा और पत्रकार यशवंत सिंह मीडिया को जनहित याचिका के बारे में जानकारी देते हुए.


एक बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है. सलमान खान को मिली जमानत खारिज कर उन्हें जेल भेजे जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज एक जनहित याचिका दायर की गई. यह याचिका चर्चित मीडिया पोर्टल Bhadas4Media.com के संपादक यशवंत सिंह की तरफ से अधिवक्ता उमेश शर्मा ने दाखिल की. याचिका डायरी नंबर 16176 / 2015 है. जनहित याचिका के माध्यम से इस बात को अदालत के सामने लाया गया है कि सेशन कोर्ट बॉम्बे ने इस मामले में पहले से निर्देशित कानून का पालन जानबूझ कर नहीं किया जिसकी वजह से सलमान खान को बेल आराम से मिल गयी और इससे भारत के पढ़े-लिखे लोग सन्न है. हर तरफ कोर्ट पर सवाल उठाए जाने लगे. सोशल मीडिया पर कोर्ट के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियों की बाढ़ सी आ गई.

भारतीय न्यायिक व्यवस्था के सबसे बड़े गड़बड़झाले के बारे में होगा खुलासा, आप भी आइए

अगर आप फेसबुक पर हैं, अगर आप ट्वीटर पर हैं, अगर आप ब्लागर हैं, अगर आप न्यूज पोर्टल संचालक हैं, अगर आप अखबार में हैं, अगर आप मैग्जीन में हैं, अगर आप न्यूज चैनल में हैं, अगर आप किसी भी रूप में मीडियाकर्मी हैं, अगर आप सिटीजन जर्नलिस्ट हैं, अगर आप सोशल एक्टिविस्ट हैं, अगर आप जनसरोकारी हैं, अगर आप न्यायपालिका के वर्तमान चाल चरित्र से नाखुश हैं तो आप का इस आयोजन में पहुंचना बनता है. आयोजन यानि एक नए किस्म की प्रेस कांफ्रेंस. इसमें कारपोरेट मीडिया हाउसों के पत्रकार साथियों के अलावा ब्लागरों, सोशल मीडिया के यूजरों समेत अन्य सोच-समझ वाले लोगों को भी बुलाया गया है.

मुझे इस चोर और बेईमान न्यायपालिका पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है : दयानंद पांडेय

Dayanand Pandey : इन सारे कमीनों, इन सारे चोरों और बेईमानों को इस न्यायपालिका में इतना यकीन होना आम आदमी को बार-बार डरा देता है। ख़ास कर तब और जब यह सब के सब एक सुर में कहते हैं कि न्यायपालिका में उन्हें पूरा यकीन है, पूरा भरोसा है! याद कीजिए कि अभी दो दिन पहले इस अपराधी सलमान खान ने बड़े गुरुर से कहा था कि मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है! लालू प्रसाद यादव भी यही बोलता है, मायावती, मुलायम, जयललिता आदि-आदि सारे बेईमान और अपराधी यह संवाद सर्वदा बोलते रहते हैं।

मजीठिया मामले पर सवालिया अफवाह : क्या परमानंद पाण्डेय मालिकों के हाथ बिक गए!

मजीठिया वेज बोर्ड: अफवाहों से बचें, विशेष जांच टीम से हकीकत बयान करें : मेरे एक मित्र और वरिष्ठ पत्रकार उस दिन तो फोन कनेक्ट होते ही बिफर पड़े। अत्यंत विचलित और अधीर लहजे में बोल- ‘मैंने अपनी रिट पिटीशन के लिए वकील साहब को पे स्लिप और दूसरे जरूरी कागजात तो दे दिए थे। सुप्रीम कोर्ट में उसे जज साहब को दिखाया क्यों नहीं? दूसरे साथियों ने भी पे स्लिप समेत सारे कागजात-डाक्यूमेंट केस के साथ संलग्न करने के लिए दिए थे। उन्हें कोर्ट के समक्ष वकील साहब ने रखा क्यों नहीं? नहीं, नहीं वकील साहब मालिकों के हाथों बिक गए हैं। इसीलिए उन्होंने सारे डाक्यूमेंट्स कोर्ट में पेश नहीं किए। अगर उन्होंने ऐसा किया होता तो मालिकों के वकीलों की हिम्मत नहीं पड़ती यह कहने की कि हमारे अखबारों ने अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड दे दिया है। 28 अप्रैल दोपहर बाद से ही मुझे जितने भी फोन आए सबने यही ताना मारा है कि आपके वकील पांडेय साहब बिक गए हैं। मैं इतना परेशान, बेचैन हूं कि पूरी रात सो नहीं पाया। सवेरा होते ही मैंने आप को फोन मिला दिया ताकि आपसे पूछूं, आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? मैंने आप पर भरोसा करके ही पांडेय साहब को अपना वकील करने को राजी हुआ था।’ 

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश मीडिया मालिकों के पक्ष में है या मीडियाकर्मियों के? …एक विश्लेषण

: अब जो-जो मीडियाकर्मी राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त विशेष श्रम अधिकारी के यहां लिखकर दे देगा कि उसे मजीठिया वेज बोर्ड का फायदा नहीं दिया गया है, उसे लाभ मिलने का रास्ता खुल जाएगा… एक तरह से देखा जाए तो अब उन मीडियाकर्मियों को भी मजीठिया वेज बोर्ड मिलने का रास्ता खुल गया है जिनसे मालिकों ने जबरन किन्हीं कागजों पर साइन करवा लिया है : मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. देश भर से आए सैकड़ों मीडियाकर्मियों और दर्जनों वकीलों के कारण खचाखच भरे कोर्ट रूम में जजों ने आदेश दिया कि प्रत्येक राज्य सरकारें हर मीडिया हाउस में लेबर इंस्पेक्टर भेजें और पता कराएं कि वहां मजीठिया वेज बोर्ड की रिपोर्ट लागू हुई या नहीं. पूरी रिपोर्ट तैयार करके तीन महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट में जमा करें. इस आदेश के बाद कुछ मीडियाकर्मी प्रसन्न नजर आए तो कुछ निराश.

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश- राज्य सरकारें तैनात करें विशेष श्रम अधिकारी, तीन माह में स्टेटस रिपोर्ट दें

SC orders state labour commissioners to submit Majithia wage boards implementation report in 3 months

नई दिल्ली : मंगलवार 28 अप्रैल को मजीठिया वेतनमान से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट में आज बहस हुई। वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विज, परमानंद पांडे, उमेश शर्मा ने जबर्दस्त दलीलें पेश कीं। करीब 45 मिनट की बहस के बाद न्यायाधीश रंजन गोगोई की खंडपीठ ने राज्य सरकारों को आदेश दिया कि वे एक महीने में एक विशेष श्रम अधिकारी की नियुक्ति करें। यह विशेष अधिकारी नियुक्ति के तीन महीने के भीतर मजीठिया वेज क्रियान्वयन की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देगा। सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई राज्यों के विशेष श्रम अधिकारियों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही होगी। 

अंतरिम राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में 28 को प्रताड़ना की आवाज़ जोरशोर से उठाएं

अखबार मालिकों की ओर से पत्रकारों पर दुर्भावनावश की जा रही प्रताड़ना (बर्खास्तगी / तबादला/डेपुटेशन ) जैसी कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए अभी हमारे पास सिर्फ एक मौका है। सुप्रीम कोर्ट में  28 अप्रैल को सभी साथियों के वकील प्रताड़ना के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठायें ताकि मजीठिया वेज बोर्ड का केस चलने तक कोर्ट से हमें अंतरिम रिलीफ मिल सके। 

भास्कर ने शोलापुर से रांची तबादला किया तो हेमंत कोर्ट से स्टे ले आए

भास्कर समूह डीबी कार्प को उसके इंप्लाई हेमंत चौधरी ने तगड़ा सबक सिखाया है. मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले भास्कर के मीडियाकर्मी हेमंत चौधरी को प्रबंधन ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट उमेश शर्मा के माध्यम से मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अवमानना याचिका लगाने वाले हेमंत चौधरी का पिछले दिनों भास्कर प्रबंधन ने शोलापुर से रांची तबादला कर दिया.

RECOMMENDATIONS TO PM AND CJI FOR REFORMS IN LEGAL SYSTEM IN INDIA

3.4.2015
Hon’ble Mr. Narendra Modi,
Prime Minister of India
New Delhi.

Hon’ble Mr. Justice H.L.Dattu,
Chief Justice of India,
New Delhi.

SUB : RECOMMENDATIONS FOR REFORMS IN LEGAL SYSTEM IN INDIA

Hon’ble Prime Minister and Hon’ble Chief Justice,

The People of India and in particular the legal fraternity have high hopes and aspirations from the Prime Minister who is leading a single party government which was formed for the first time in thirty years and the Chief Justice of India who has had a distinguished judicial tenure contributing to a fair and efficient administration of justice. We demand the following reforms from your goodself:

पढ़िए, किन-किन अखबार मालिकों को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस भेजा है

27 मार्च को मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान भड़ास की पहल पर दायर याचिकाओं का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने दर्जनों अखबार मालिकों को अवमानना नोटिस भेजा है. भड़ास की पहल पर दो तरह की याचिकाएं दायर की गई हैं. एक वो जिसमें पत्रकार लोग खुलकर अपने नाम पहचान के साथ अपने अपने अखबार मालिकों के खिलाफ अपने हक के लिए लड़ रहे हैं.

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)

Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.

भड़ास की पहल पर दायर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार, 27 मार्च को होगी सुनवाई

उन सभी मीडियाकर्मियों के लिए खुशखबरी है जिन्होंने भड़ास की पहल पर मजीठिया वेज बोर्ड का अपना हक हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की हिम्मत जुटाई. खुलेआम और गोपनीय, इन दो तरीकों से याचिका दायर करने के लिए सैकड़ों लोग भड़ास के पास आए. भड़ास ने जाने-माने वकील उमेश शर्मा के जरिए याचिकाएं तैयार करा के सुप्रीम कोर्ट में दायर कराई. दोनों याचिकाएं रजिस्ट्री से लेकर लिस्टिंग तक में महीने भर तक दौड़ती रहीं.

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में ‘नवदुनिया’ के सभी कर्मचारी लामबंद, 110 ने लगाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका

भोपाल : मजीठिया वेतनमान को लेने के लिए देशभर के मीडियाकर्मियों ने संख्या में एकजुट कोकर सुप्रीमकोर्ट में अवमानना के खिलाफ याचिकाएं लगा रखीं हैं। पिछले एक साल से सुप्रीमकोर्ट द्वारा मजीठिया वेतनमान को लागू करने के सुनाए गए फैसले की प्रिंट मीडिया मालिक लगातार अवहेलना कर रहे हैं। भारतवर्ष में मीडिया को चौथे स्तंभ का दर्जा प्राप्त है, लेकिन इससे अधिक दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों की आवाज को उठाने वाले इन मीडियाकर्मियों को अपना ही हक लेने के लिए अपने ही मालिकों से लगातार लड़ाई लड़नी पड़ रही है। मामले पर एक वर्ष से लगातार चली सुनवाई के बाद अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मालिकों को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम और आखिरी तारीख 28 अप्रैल 2015 सुनिश्चित की है। 

मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष : सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से जागरण के वकील कपिल सिब्बल कुछ न बोल पाए

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट नंबर आठ। केस नंबर 411 ऑफ 2014 एवं अन्‍य। पहले लगा कि इस बार भी दैनिक जागरण की ओर से वरिष्‍ठ वकील पीपी राव पैरवी के लिए आएंगे। लेकिन हैरानी हुई कि इस बार पीपी राव की जगह कपिल सिब्‍बल 411 की पैरवी के लिए प्रबंधन की ओर से हाजिर हुए। लेकिन अफसोस इस बार भी अदालत का रुख पहले ही जैसा था।

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट ने अखबार मालिकों से कहा- क्यों न तुम सभी के खिलाफ कंटेप्ट आफ कोर्ट का मुकदमा शुरू किया जाए!

लगता है उंट पहाड़ के नीचे आने वाला है. अपने पैसे, धंधे, दलाली, लायजनिंग, शोषण, पावर से नजदीकी, सत्ता-सिस्टम में दखल के बल पर खुद को खुदा समझने वाले मीडिया मालिकों पर आम मीडियाकर्मियों की आह भारी पड़ने वाली है. लेबर डिपार्टमेंट, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, सीएम, पीएम, डीएम निचली अदालतों आदि तक को मेनुपुलेट करने की क्षमता रखने वाले मीडिया मालिकों को सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के आगे पसीना आने वाला है. आज मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी दस याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने संबंधित सभी मीडिया मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

Dainik Hindustan 200 cr Government Advt Scam : SC to hear SLP of Shobhana Bharatia on 24 March

New Delhi : 200 crore Dainik Hindustan Government Advertisement scandal, the Supreme Court of India(New Delhi) has listed the Special Leave Petition (Criminal) No. 1603 / 2013 (Shobhana Bhartia Vs State of Bihar & another) for hearing on March, twenty four 2015 next. Meanwhile, the Superintendent of Police, Munger (Bihar), Mr. Varun Kumar Sinha has submitted the Counter-Affidavit on behalf of the Bihar Government to Mr.Rudreshwar Singh, the counsel for the Bihar Government in the Supreme Court in the Special Leave Petition (Criminal) No. 1603 of 2013. Now, the Counsel for the Bihar Government, Mr. Rudreshwar Singh has to file the Counter-Affidavit in the Supreme Court and has to argue on behalf of the Bihar Government in this case.

प्रबंधन के खिलाफ हिसार भास्कर यूनिट ने फूंका विद्रोह का बिगुल, मजीठिया के लिए सुप्रीम कोर्ट गए

मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने और अपना बकाया एरियर लेने के लिए दैनिक भास्कर की हरियाणा यूनिट भी एकत्र होनी शुरू हो गई है। इसकी पहल सबसे पहले हिसार यूनिट की ओर से की गई है। इसमें भिवानी ब्यूरो से प्रदीप महता, कुलदीप शर्मा, भूपेंद्र सिंह, राकेश भट्ठी, संजय वर्मा और सुखबीर ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अक्षय वर्मा के माध्यम से भास्कर के मालिक रमेश चंद्र अग्रवाल से लेकर भिवानी के ब्यूरो प्रमुख अशोक कौशिक तक लीगल नोटिस भिजवा दिए हैं।

क्या पैसों की भूख और धंधे की हवस में सुधीर अग्रवाल सर कहीं खो गए?

(रजनीश रोहिल्ला)


Rajneesh Rohilla : सुधीर अग्रवाल जी आग से खेलोगे तो जल जाओगे। बहुत हो चुका। सहने की भी सीमा है। इतना अत्याचारी आपको किसने बनाया? इतने कठोर आप कब से हो गए? क्या पैसों की भूख और धंधे की हवस में सुधीर अग्रवाल सर कहीं खो गए? जिन लोगों ने आपके लिए रात दिन एक किये, आज वो आपके काम के क्यों नहीं रहे? सर मुझे बड़े दुःख के साथ आपको यह कहना पड़ रहा है कि आपके आस-पास मीडिया का तमगा लगाए पत्रकारों का एक ऐसा गिरोह घूम रहा है, जो आपको सचाइयों से बहुत दूर किये हुए है।

मजीठिया वेज बोर्ड संघर्ष : अवमानना के दस मामलों की सुप्रीम कोर्ट में इकट्ठे सुनवाई 10 मार्च को

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील उमेश शर्मा ने जानकारी दी कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले को लेकर मीडिया मालिकों के खिलाफ जितनी भी अवमानना याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगी हैं, उनकी सुनवाई 10 मार्च को होगी. अब तक दर्ज कुल दस मामले हैं. यह सुनवाई न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एनवी रमण की खंडपीठ करेगी. अदालत संख्या 8 में इस मामले का आइटम नंबर एक है. जो भी साथी इस मामले की सुनवाई देखना सुनना चाहते हैं वह पहले से पास बनवाकर सुप्रीम कोर्ट के कक्ष संख्या आठ में जा सकते हैं.

कोटा के बाद दैनिक भास्कर भीलवाड़ा में भी बगावत, प्रबंधन पीछे हटा

मजीठिया वेज बोर्ड के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले कर्मियों को लगातार परेशान करने के कारण भास्कर ग्रुप में जगह-जगह विद्रोह शुरू हो गया है. अब तक प्रबंधन की मनमानी और शोषण चुपचाप सहने वाले कर्मियों ने आंखे दिखाना और प्रबंधन को औकात पर लाना शुरू कर दिया है. दैनिक भास्कर कोटा में कई कर्मियों को काम से रोके जाने के बाद लगभग चार दर्जन भास्कर कर्मियों ने एकजुटता दिखाते हुए हड़ताल कर दिया और आफिस से बाहर निकल गए.

बाएं से दाएं : आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों के साथ बात करते भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह, अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार रजनीश रोहिल्ला और जर्नलिस्ट एसोसिएशन आफ राजस्थान (जार) के जिलाध्यक्ष हरि बल्लभ मेघवाल.

मजीठिया की जंग : जो लेबर इंस्पेक्टर कभी अखबार दफ्तरों की तरफ झांकते न थे, वे आज वहां जाकर जानकारी मांगने को मजबूर हैं

साथियों,  हिमाचल प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने को लेकर मेरे द्वारा बनाया गया दबाव काम करता नजर आ रहा है। हालांकि श्रम विभाग हरकत में तो आया है, मगर अखबार प्रबंधन के दबाव के भय और सहयोग न करने की आदत के चलते श्रम निरीक्षकों को वांछित जानकारी नहीं मिल पा रही है। राहत वाली खबर यह है कि जो श्रम निरीक्षक कभी अखबारों के दफ्तरों की तरफ देखने से भी हिचकिचाते थे, वे आज वहां जाकर जानकारी मांगने को मजबूर हैं। जैसे की आपको ज्ञात है कि मैं मजीठिया वेज बोर्ड के खिलाफ मई २०१४ से लड़ाई लड़ रहा हूं। श्रम विभाग में शिकायतों व आरटीआई के तहत जानकारियां मांगने का दौर जारी है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में पिछले सात माह से मामला चल रहा है। हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ाई पहुंचा दी है।

अमर उजाला के एक वरिष्ठ पत्रकार ने राजुल माहेश्वरी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में किया मानहानि का मुकदमा

अमर उजाला से एक बड़ी खबर आ रही है. यहां कार्यरत एक वरिष्ठ पत्रकार ने अमर उजाला के मालिक राजुल माहेश्वरी पर मानहानि का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में किया है. उन्होंने राजुल माहेश्वरी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मजीठिया वेज बोर्ड न देने और मीडियाकर्मियों का पैसा हड़पने के लिए धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. इन पत्रकार महोदय के वकील ने राजुल माहेश्वरी को भेजे लीगल नोटिस में कहा है कि अमर उजाला प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से पैसा न देना पड़े, इसके लिए कंपनी की प्रोफाइल बदल दी.

समाचार संपादक सत्य प्रकाश चौधरी ने ‘प्रभात खबर’ प्रबंधन के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड न देने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की

सत्य प्रकाश चौधरी प्रभात खबर, रांची में समाचार संपादक हैं. उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने के लिए पहले प्रबंधन को पत्र लिखा. जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 6 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मुकदमा दायर कर दिया. जैसे ही कोर्ट की वेबसाइट पर मुकदमा होने की बात सार्वजनिक हुई, सत्य प्रकाश का उत्पीड़न शुरू कर दिया गया. वह मुकदमे के बाद जब 7 फरवरी को दफ्तर पहुंचे तो बायोमेट्रिक सिस्टम से उनकी हाजिरी नहीं लग सकी, क्योंकि मशीन से उनके फिंगर प्रिंट का रिकॉर्ड उड़ा दिया गया.

भड़ास की पहल पर 117 मीडियाकर्मियों ने मजीठिया वेज बोर्ड के लिए नाम-पहचान के साथ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

प्रिंट मीडिया के कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप सेलरी न दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की आखिरी तारीख को भड़ास की पहल पर 117 मीडियाकर्मियों ने अपने नाम पहचान के साथ खुलकर याचिका दायर की. इन सभी 117 मीडियाकर्मियों की तरफ से याचिका तैयार करने और फाइल करने का काम किया सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील उमेश शर्मा ने.

मजीठिया वेज बोर्ड के लिए भड़ास की जंग : लीगल नोटिस भेजने के बाद अब याचिका दायर

Yashwant Singh : पिछले कुछ हफ्तों से सांस लेने की फुर्सत नहीं. वजह. प्रिंट मीडिया के कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से उनका हक दिलाने के लिए भड़ास की पहल पर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर करने की प्रक्रिया में इनवाल्व होना. सैकड़ों साथियों ने गोपनीय और दर्जनों साथियों ने खुलकर मजीठिया वेज बोर्ड के लिए भड़ास के साथ सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला लिया है. सभी ने छह छह हजार रुपये जमा किए हैं. 31 जनवरी को दर्जनों पत्रकार साथी दिल्ली आए और एडवोकेट उमेश शर्मा के बाराखंभा रोड स्थित न्यू दिल्ली हाउस के चेंबर में उपस्थित होकर अपनी अपनी याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने के बाद लौट गए. इन साथियों के बीच आपस में परिचय हुआ और मजबूती से लड़ने का संकल्प लिया गया.

(भड़ास की पहल पर मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर शुरू हुई लड़ाई के तहत मीडिया हाउसों के मालिकों को लीगल नोटिस भेज दिया गया. दैनिक भास्कर के मालिकों को भेजे गए लीगल नोटिस का एक अंश यहां देख पढ़ सकते हैं)

भड़ास के साथ मजीठिया वेज बोर्ड के लिए खुलकर लड़ने वालों के लिए सूचना, 31 जनवरी को दिल्ली पहुंचें

भड़ास के साथ मिलकर मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार एरियर और वेतन पाने की लड़ाई लड़ने वाले उन सभी मीडियाकर्मियों के लिए एक सूचना है जो यह लड़ाई खुलकर अपने नाम पहचान के साथ लड़ना चाहते हैं. ऐसे सभी साथियों को 31 जनवरी को दिल्ली पहुंचना है. 31 जनवरी को दिल्ली में आईटीओ के पास दीनदयाल रोड स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान में 12 बजे से 2 बजे तक बैठक होगी. इसमें वकालतनामा और याचिका पर हस्ताक्षर कराए जाएंगे.

राजस्थान पत्रिका के दस मीडियाकर्मियों ने सभी निदेशकों को भेजा लीगल नोटिस

राजस्थान पत्रिका से खबर है कि यहां के दस मीडियाकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के एक वकील से संपर्क साधकर मालिकों को लीगल नोटिस भिजवाया है. लीगल नोटिस भिजवाने की पहल की है राजस्थान पत्रिका, उदयपुर के ललित जैन ने. ललित जैन 13 वर्षों से पत्रिका में जूनियर मेंटनेंस आफिसर के पद पर कार्यरत हैं. जैन के नेतृत्व में दस मीडियाकर्मियों ने पत्रिका जो लीगल नोटिस भिजवाया, उसे पत्रिका समूह मुख्यालय की तरफ से रिसीव भी कर लिया गया है.

भड़ास की मुहिम पर भरोसा करें या नहीं करें?

जिन्हें हो खौफ रास्तों का, वो अपने घर से चले ही क्यों?
करें तूफानों का सामना, जिन्हें मंजिलों की तलाश है।

प्रिय साथियों,

समय कम बचा है। अब किसी सुखद अहसास का इंतजार मत करो। अपने कदम बढ़ाओ। वक्त निकलने के बाद आप के हाथ में कुछ भी नहीं रहेगा। मेरे पास देश के हर प्रदेश के पत्रकार साथियों के फोन आ रहे हैं। मैं सबसे हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहता हूं कि मुझे फोन करना बंद कर दीजिए। कुछ पत्रकार भड़ास के संपादक यशवंतजी को लेकर आशंकाओं से भरे हैं। पत्रकार मुझसे पूछ रहे हैं कि भड़ास की मुहिम पर भरोसा करें या नहीं करें। मुझे ऐसे सवालों से दुख हो रहा है।

भड़ास संग मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने को 250 मीडियाकर्मी तैयार, 25 जनवरी तक कर सकते हैं आवेदन

जी हां. करीब ढाई सौ मीडियाकर्मियों ने भड़ास के साथ मिलकर अपना हक पाने के लिए मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने हेतु भड़ास के पास मेल किया है. जिन-जिन ने मेल किया, उन सभी एडवोकेट उमेश शर्मा का एकाउंट नंबर और अथारिटी लेटर भेज दिया गया है. सिर्फ छह हजार रुपये देकर घर बैठे अपने हक की लड़ाई लड़ने के भड़ास के इस अनूठे पहल का देश भर में स्वागत किया जा रहा है.

मजीठिया के हिसाब से पैसा मिलते ही रजनीश रोहिल्ला ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली (देखें कोर्ट आर्डर)

आरोप लगा सकते हैं कि रजनीश रोहिल्ला ने सबकी लड़ाई नहीं लड़ी, अपने तक सीमित रहे और मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से दैनिक भास्कर से पैसे मिलते ही सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली. ज्यादा अच्छा होता अगर रजनीश रोहिल्ला सबकी लड़ाई लड़ते और सारे पत्रकारों को मजीठिया के हिसाब से पैसा दिला देते. लेकिन हम कायर रीढ़विहीन लोग अपेक्षाएं बहुत करते हैं. खुद कुछ न करना पड़े. दूसरा लड़ाई लड़ दे, दूसरा नौकरी दिला दे, दूसरा संघर्ष कर दे, दूसरा तनख्वाह दिला दे. खुद कुछ न करना पड़े. न लड़ना पड़े. न संघर्ष करना पड़े. न मेहनत करनी पड़े.

जागरण के वकील ने कोर्ट से कहा- 708 कर्मचारियों ने मजीठिया मसले पर प्रबंधन से समझौता कर लिया है

जब पीपी राव हुए निरुत्तर…  मजीठिया वेज बोर्ड पर सुनवाई… नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट । कोर्ट नंबर 9 । आइटम नंबर 42 । जैसे ही दैनिक जागरण प्रबंधन के खिलाफ यह मामला सुनवाई के लिए सामने आया न्याययमूर्ति रंजन गोगोई ने दैनिक जागरण प्रबंधन के वकील से सीधे पूछ लिया कि क्या आपने अपने यहां मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू किया। इस पर दैनिक जागरण की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्री पीपी राव पहली बार तो कुछ नहीं बोले लेकिन जब न्याययमूर्ति गोगोई ने दोबारा यही सवाल किया तो श्री राव ने कहा कि उन्हें अदालत का नोटिस नहीं मिला है।

Dainik Hindustan Advt Scam : next hearing date 13 January

New Delhi : 200 crore Dainik Hindustan Government Advertisement  scandal, the Supreme Court has listed the Special Leave Petition (Criminal) No.1603/2013 (Shobhana Bhartia Vs State of Bihar & another) for  hearing on January thirteen, 2015 next. Meanwhile, the  Superintendent of Police,Munger(Bihar), Mr.Varun Kumar Sinha has submitted the Counter-Affidavit on behalf of the Bihar Government to Mr.Rudreshwar Singh, the counsel  for the Bihar Government in the Supreme Court in the Special Leave Petition (Criminal) No. 1603 of 2013 .Now, the Counsel for the Bihar Government, Mr. Rudreshwar Singh  has to  file the Counter-Affidavit  in the Supreme Court and has to argue on behalf of the Bihar Government in this case.

प्रसार भारती के नौकरशाहों ने एससी-एसटी कर्मियों के साथ अन्याय किया, विरोध में कैंडल मार्च और सभा

नई दिल्ली : आकाशवाणी और दूरदर्शन के एसटी-एससी प्रशासनिक कर्मचारी महासंघ ने नियुक्ति, प्रोन्नति, बैकलाग भरने और स्थानांतरण में अन्याय, उत्पीडन और जातिगत भेदभाव के खिलाफ शांतिपूर्ण कैंडल मार्च आयोजित किया। यह मार्च आकाशवाणी भवन से प्रसार भारती, पीटीआई बिल्डिंग तक जुलूस की शक्ल में पहुंचा जहां एक सभा  के रूप में तब्दील हो गया। इसमें देश भर में कार्यरत आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के अभियांत्रिकी, तकनीकी और प्रोग्राम के प्रशासनिक वर्ग के अधिकारियों ने भाग लिया।

काटजू की जगह पूर्व न्यायाधीश सीके प्रसाद होंगे पीसीआई प्रमुख

खबर है कि जस्टिस मार्कंडेय काटजू की जगह प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के नए चेयरमैन जस्टिस सीके प्रसाद बनाए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सीके प्रसाद का प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नए प्रमुख के रूप में चयन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की अध्यक्षता वाली समिति ने किया है. इस संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को आदेश मिल चुका है.

हिसार लाठीचार्ज में घायल पत्रकार मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

नई दिल्ली: हिसार के बरवाला में सतलोक आश्रम से रामपाल की गिरफ्तारी से जुड़ी पुलिसिया कार्रवाई में घायल हुए पत्रकार विकास चंद्रा की हालत इतनी खराब हो गई है कि उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है। इस घटना में घायल अन्य चार पत्रकार ने घटना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। पत्रकारों ने मामले की जांच कराने और मुआवजे देने के लिए यह अपील की है।

जस्टिस मार्कंडेय काटजू का मजाकिया बयान हाईकोर्ट के जज साहब पर भारी पड़ गया!

Markandey Katju : In a divorce case I was hearing in the Supreme Court I said orally in lighter vein “If you want happiness in life do whatever your wife tells you to do. If she tells you to turn your head to the left, turn it left. If she tells you to turn it right, turn in right. Don’t ask the reason. Just do it.”

एक और मीडिया कंपनी ने मजीठिया वेज बोर्ड देने की लिखित घोषणा की

मुंबई से खबर है कि महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े समाचार पत्र समूह श्री अंबिका प्रिंटर्स एंड पब्लीकेशन ने श्रम आयुक्त कार्यालय के आदेश के बाद मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिश अपने यहां लागू करने की लिखित रूप से घोषणा की है. इस बाबत कंपनी ने श्रम आयुक्त को सूचना दी है.

मजीठिया वेजबोर्ड चाहिए तो 24 नवंबर से शुरू होने वाले पोस्टकार्ड अभियान में जरूर हिस्सा लें

साथियों! मजीठिया की लड़ाई में आप का साथ मील का पत्थर साबित होगा। यशवंज सर के संदेश के बाद से मेरे पास कई प्रदेशों से नामी अखबारों के पत्रकारों के फोन आने का सिलसिला जारी है। कुछ पत्रकार ने मजीठिया की  लड़ाई के लिए सुझाव भी दे रहे हैं। साथियों, ‘मजीठिया संघर्ष 2014’ महत्वपूर्ण दौर में है। आइए मिलकर इस लड़ाई को लड़ें। आने वाले सोमवार यानी 24 नवंबर 2014 से पोस्ट कार्ड अभियान की शुरुआत की जा रही है। आप को सिर्फ  तीन पोस्ट कार्ड भेजने हैं। यह  पोस्ट कार्ड सुप्रीम कोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस, राष्टपति और  प्रधानमंत्री के नाम भेजने हैं।  पोस्ट कार्ड का मजनून इस प्रकार है….

भड़ास के जरिए मैंने जिंदगी में पहली बार न्यू मीडिया / सोशल मीडिया की शक्ति का अनुभव किया

जानिब ए मंजिल की ओर अकेला चला था मगर
लोग मिलते गए, कारवां बनता गया!!!

यशवंतजी की ओर से देशभर के पत्रकारों के नाम भड़ास पर पोस्ट हुआ संदेश न्याय की लड़ाई में उबाल ला चुका है। भड़ास के जरिए मैंने जिंदगी में पहली बार न्यू मीडिया / सोशल मीडिया की शक्ति का अनुभव किया। भड़ास की पूरी टीम को मेरा धन्यवाद! धन्यवाद देने का एक बड़ा कारण यह भी है कि मजीठिया के मामले में देश के पत्रकारों को एकजुट होने का मंच भी मिला है। भड़ास के यशवंतजी का मेरे को लेकर लेख आने के बाद मेरे पास पिछले दो दिनों से देशभर से बड़ी संख्या में पत्रकारों के फोन आ रहे हैं। अधिकांश पत्रकार मजीठिया की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं।

दैनिक भास्कर को औकात दिखाने वाले सीनियर रिपोर्टर रजनीश रोहिल्ला को आप भी सलाम करिए

रजनीश रोहिल्ला


9950954588. ये मोबाइल नंबर रजनीश रोहिल्ला का है. अजमेर में हैं. यहीं से प्रकाशित दैनिक भास्कर अखबार में सीनियर रिपोर्टर हैं. इन्होंने भास्कर प्रबंधन की आंख में आंख डालकर कहा- ”मजीठिया दो”. न मिलना था सो न मिला. उल्टे ट्रांसफर और प्रताड़ना का दौर शुरू. तब फिर रजनीश रोहिल्ला ने भास्कर प्रबंधन की आंख में आंख डालकर कहा- ”तुझे तेरी औकात दिखाउंगा”. ठान लिया तो पूरी कायनात रजनीश रोहिल्ला के लक्ष्य को पाने-दिलाने में जुट गई.

महिला मेकअप आर्टिस्ट पर प्रतिबंध गैरकानूनी : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देश की फिल्म इंडस्ट्री में महिला मेकअप आर्टिस्ट पर 59 साल से जारी प्रतिबंध को गैरकानूनी बताया है। जस्टिस दीपक मिश्र और यू.यू. ललित ने भारतीय फिल्म उद्योग में लैंगिक असमानता को असंवैधानिक करार दिया। अदालत ने कहा, ‘हम 2014 में हैं, न कि 1935 में। इस भेदभाव को एक दिन के लिए भी नहीं चलने दिया जा सकता।’

जो सौ दिन में काल धन लाने का सपना दिखा रहे थे वो बेइमानों के साथ खड़े हो गए

Sanjay Sharma : जो सौ दिन में काल धन लाने का सपना दिखा रहे थे वो बेईमानों के साथ खड़े हो गए. कह रहे थे संधि के मुताबिक सूची नहीं दी जा सकती … सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा तो नानी याद आई.. आज 627 लोगों की सूची दी.. लिफाफा बंद है तो भक्त लोग इतना खुश हो रहे हैं मानो किला ही फतह कर लिया.. बात सही भी है… लिफाफा खुल जाता तो भक्तों और उनके आकाओं को मुंह दिखने लायक कुछ भी नहीं बचता… जिन तीन नाम को बता कर सरकार बहुत खुश हो रही थी उनमें से 2 नामों का खुलासा अरविन्द केजरीवाल एक साल पहले ही कर चुके थे… वैसे मोदी सरकार की भी मज़बूरी है और अब समझ आ रहा है कि नामों का खुलासा क्यों नहीं कर रही थी सरकार… दरअसल जिन तीन नामों का पता चला उनमें एक राधा ने कांग्रेस को पैसठ लाख और बीजेपी को एक करोड़ अठारह लाख रुपया का चंदा दिया था… इन बेशर्मों को शर्म भी नहीं आती ऐसे कालाबाजारियों से पैसा लेकर जनता को मूर्ख बनाते हुए…

मोदी सरकार ब्लैकमनी वालों को बचाने के लिए हर (गैर)कानूनी हथकंडा इस्तेमाल कर रही है!

 

Vinod Sharma : The NDA seems to be be running it’s black money narrative as a television serial. It cannot script a single shot show for the climax it promised the people is a long distance away. In communication terms, it is called the teasing effect. But can boomerang if overused. The downside of it is that you keep reminding people of your inability to meet your own deadlines.

वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा के फेसबुक वॉल से.

ब्लैकमनी पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना कांग्रेसी चरित्र दिखा दिया

Mukesh Yadav : कौन करेगा इस न्यूज़ को ब्रेक? क्या कोई करेगा? ब्लैकमनी पर मोदी सरकार ने भी आज सुप्रीम कोर्ट में अपना कांग्रेसी चरित्र दिखा ही दिया!! सरकार कहती है कि काला धन रखने वालो के नाम उजागर नहीं कर सकते!! वही कांग्रेसी जवाब और वजह! हालांकि जांच एजेंसियों के रिकॉर्ड में इन धनपशुओं के नाम उपलब्ध होंगे!..इतना ही काफी होता; अगर मीडिया स्वतंत्र होता!! इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म शायद इन नामों को जनता तक पहुँचाने की जुर्रत करता! लेकिन आज ऐसा मीडिया समूह खोजना मुश्किल है, जो मोदी के नाम से खौफ न खाता हो? रही बात पत्रकारों की तो उनकी सीमाएं जग जाहिर हैं। नौकरी से निकाल दिए जाओगे- वाले जुमले का खौफ ही उनके लिए काफी है, नहीं? ऐसे में कौन जोखिम उठाए?

Dainik Jagran is guilty of the contempt of the Apex Court

The Supreme Court of India has taken cognizance of the contempt petition filed by the Indian Federation of Working Journalists (IFWJ) on behalf of the employees against Shri Sanjay Gupta, the CEO of Jagran Prakashan Limited. The bench of Justices Ranjan Gogoi and Rohinton Fali Nariman directed the Management of Jagran Prakashan Limited on 13th October to comply with the order of the court for the implementations of the Majithia Wage Boards recommendations within two month, if the same has already not been done. 

मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अखबार मालिकों से साफ तौर पर कहा- comply within two months

: सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर से आदेश दिया- मजीठिया दो महीने में लागू करो : मजीठिया वेज बोर्ड की संस्तुतियों के मुताबिक वेतन पाने को लालायित, बेचैन, परेशान और कुछेक अखबार संस्थानों-प्रतिष्ठानों में संघर्षरत-प्रयासरत पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों के लिए अत्यंत उत्साहवर्द्धक खबर यह है कि 13 अक्टूबर 2014 को एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन एक्सप्रेस, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण के मालिकों, चेयरमैनों, मैनेजिंग डायरेक्टरों, सीईओज को स्पष्ट आदेश देते हुए कहा है कि दो महीने के अंदर वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करें। यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने द इंडियन एक्सप्रेस इंप्लाई यूनियन चंडीगढ़ और दैनिक भास्कर एवं दैनिक जागरण कर्मचारियों की अवमानना याचिकाओं पर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश, दो माह के भीतर देना होगा मजीठिया वेतनमान

मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू ने करने संबंधी अवमानना के तीन मामलों की सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्‍यायमूर्ति रोहिंगटन एफ नरिमन की खंडपीठ ने सोमवार को ऐतिहासिक आदेश दिया। जैसे ही तीनों मामले उनके समक्ष सुनवाई के लिए पेश किए गए। उन्‍होंने वरिष्‍ठ वकील श्री कोलिन गोंजाल्विस से इस संबंध में पूछा।

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया मालिकों से मजीठिया लागू करने को कहा, अन्यथा होगी कार्यवाही

मजीठिया के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश दिया है। 13 अक्टूबर को अवमानना याचिकाओं की सुनवायी करते हुए कोर्ट ने सभी मामलों को दो महीने के बाद लिस्ट करने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि प्रतिवादियों भास्कर, जागरण और इंडियन एक्सप्रेस ने मजीठिया वेज बोर्ड से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया है तो इस दो महीने की अवधि के दौरान अनुपालन सुनिशचित करें अन्यथा विधि अनुसार कार्यवाही की जाएगी।

मोदी सरकार को कुंभकर्ण कहकर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

खुद को काफी मेहनती और सक्षम समझने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने मिथकीय पात्र कुंभकर्ण और 19वीं सदी की एक कहानी के चर्चित कामचोर पात्र ‘रिप वान विंकल’ से की है। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार इन दोनों पात्रों की तरह ही बर्ताव कर रही है। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को डांट लगाने की दौरान केंद्र सरकार को भी इन दोनों विशेषणों से नवाजते हुए फटकारा। सुप्रीम कोर्ट की त्यौरियां केंद्र सरकार और पर्यावरण मंत्रालय की लापरवाहियों पर चढ़ी हुई हैं। गुरुवार का मामला एक रिपोर्ट से जुड़ा है, जिसे पर्यावरण मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करना था।