बलिया (उ.प्र.) : इस देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया हैं जो इंसान को अपनी कड़ी मेहनत से नव जीवन प्रदान करता है लेकिन जब वही डॉक्टर अपनी हवस को मिटाने के लिये इंसान के साथ जानवरों सा बर्ताव करने लगे तो …? बात कर रहे उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद अंतर्गत बांसडीह रोड थाना क्षेत्र के तिखमपुर स्थित शारदा अस्पताल की, जो शहर कोतवाली से मात्र एक किलो मीटर की दूरी पर है। जहाँ हमेशा चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है। शहर मुख्यालय से सटे होने के बावजूद प्रशासन की नाक के नीचे इस अस्पताल के संचालक एवं डॉक्टर जे पी शुक्ला ने सोलह वर्षीय किशोरी के साथ स्वयं और उनके कर्मचारियों ने जो कृत्य किया, शर्मसार कर देने वाला ।
एक बालिका अपनी मां के पेट में दर्द होने पर पिता के साथ 20 मई 2015 को इस अस्पताल पहुँची, उसकी मां ऐडमिट हो गई। उसे क्या पता था कि माँ का बीमार होना उसके जीवन के लिए काला अध्याय बन जाएगा। गाजीपुर निवासी उसके पिता पैसों के लिए 22 मई को सुबह घर गए लेकिन उस पूरे दिन पैसो का प्रबंध नहीं हो सका। वह अगले दिन की सोच घर रुक गया और वही से उसकी बद किस्मती शुरू हो गई।
बलिया के डॉक्टर जे पी शुक्ला और उसके कर्मचारियों की हैवानियत की शिकार हुई सोलह वर्षीय नाबालिग लड़की की बदकिस्मती की कहानी शाम छः बजे से उसी शारदा हॉस्पिटल में लिखी जाने लगी। एक तरफ उसके पिता के घर जाने की सूचना दरिंदे डॉक्टर को लगी तो अपनी हवस मिटाने के लिए वह अपने कर्मचारियों को बालिका पर पैनी नजर रखने और उसकी माँ को नशे का इंजेक्शन देने का इशारा कर दिया। कर्मचारियों ने मां को नशे का इंजेक्शन लगा दिया। बालिका माँ की हालत देख घबरा उठी। वह जैसे ही कर्मचारियों के तरफ बढ़ी, दरिंदो की दरिंदगी शुरू हो गई।
पुलिस उपाधीक्षक का कहना था कि तीन मुलजिमों में से दो को गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन वह डॉक्टर अब भी अपने अस्पताल का संचालन कर रहा है। सबसे दुखद बात यह है कि इस केस में लीपा पोती करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इन मुजरिमों के पेनिश , एब्रेजन , सूखे सीमेन, नाख़ून , एल्बो , अंडरबियर को सीज कर जांच-परीक्षण होना चाहिए था ताकि कहीं से मुलजिम बचने न पाएं और पीड़िता के साथ न्याय हो। ऐसा कुछ नहीं किया गया।
संजीव कुमार से संपर्क : 9838651849/7499642265