Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

मीडिया से जुड़ो, फिर मजे करोगे, जैसे कि ‘वो’

आप पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं, जाहिर सी बात है कि जीवन यापन की चिन्ता से ग्रस्त होंगे। यह तो अच्छा है कि अभी तक अकेले हैं, कहीं आप शादी-शुदा होते तो कुछ और बात होती। पढ़े-लिखे हैं और चिन्ताग्रस्त हैं, ऐसे में रातों को नींद नहीं आती होगी, आप एक काम करिए, कलम-कागज लेकर बैठ जाइए, बस कुछ ही दिनों में आप को लिखने की आदत पड़ जाएगी। 

<p>आप पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं, जाहिर सी बात है कि जीवन यापन की चिन्ता से ग्रस्त होंगे। यह तो अच्छा है कि अभी तक अकेले हैं, कहीं आप शादी-शुदा होते तो कुछ और बात होती। पढ़े-लिखे हैं और चिन्ताग्रस्त हैं, ऐसे में रातों को नींद नहीं आती होगी, आप एक काम करिए, कलम-कागज लेकर बैठ जाइए, बस कुछ ही दिनों में आप को लिखने की आदत पड़ जाएगी। </p>

आप पढ़े-लिखे बेरोजगार हैं, जाहिर सी बात है कि जीवन यापन की चिन्ता से ग्रस्त होंगे। यह तो अच्छा है कि अभी तक अकेले हैं, कहीं आप शादी-शुदा होते तो कुछ और बात होती। पढ़े-लिखे हैं और चिन्ताग्रस्त हैं, ऐसे में रातों को नींद नहीं आती होगी, आप एक काम करिए, कलम-कागज लेकर बैठ जाइए, बस कुछ ही दिनों में आप को लिखने की आदत पड़ जाएगी। 

यह मत सोचिए कि लिखने की आदत से क्या परिणाम निकलेगा। भगवान श्री कृष्ण का उपदेश तो सुन ही रखा होगा? अरे भइया-‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनम्।’ वही सबसे अधिक प्रचलित श्लोक है जिसका हिन्दी में भावार्थ किसी जानकार से हासिल कर लीजिएगा। हाँ तो आप पढ़-लिखकर बेरोजगार और अविवाहित हैं, जीविकोपार्जन के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं, सफलता हाथ नहीं लग रही है, इसीलिए तो कह रहा हूँ कि लिखने की आदत डालो। एक लेखक बनकर नसीहतें देना शुरू करो। यह मत सोचो कि तुम्हारा ‘आलेख’ कहीं प्रकाशित नहीं होगा। भाई जी, बस आप शुरू कर दो लिखना। जो आज की समझ में आए, उसे ही लिखो, अगला जब पढ़ेगा, तब वह उसका अर्थ निकालने का प्रयास कर लेगा। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

तीन-चार पेज लिखा करो, फिर उसको टाइप करवा कर कई ई-मेज आई.डी. पर भेजो, एक बात यह कि अपना फोटो और प्रोफाइल भेजना न भूलें। कुछ ही दिनों में आप वर्ल्ड क्लास राइटर बन जावोगे। पैसे तो हाथ नहीं लगेंगे लेकिन शोहरत बढ़ेगी। बस इसी शोहरत का लाभ उठाना शुरू कर दो। फिर पैसे ही पैसे। शोहरत पैसा आने पर आप चिन्ता मुक्त हो जाएँगे। फिर एक से दो और तदुपरान्त जापानी दवाओं के सेवन से आप दोनों अपना कुनबा हर वर्ष बढ़ाने लगेंगे। मुझे मालूम है कि आप मेरे कहने का आशय बखूबी समझ रहे होंगे।

एक बात जो कहने जा रहा हूँ, अपनी गाँठ में बांध लो। वह यह कि तुम तो पढ़े-लिखे बेरोजगार हो। मैंने तो अनेक अनपढ़ बेरोजगारों को ऐसे-ऐसे गुर बता कर प्रशिक्षित किया है जो अब पी.एच.डी./डी.लिट्. उपाधियों के धारकों से अधिक वाचाल/विद्वान दिखते हैं। यह बात दीगर है कि जो दिखता है, वह शायद ही वैसा होता हो….? किंग गोबरा मेरा ही शिष्य रहा है जो अब मीडिया जगत में घुसपैठ करके जीविकोपार्जन करता हुआ अपनी लाइफ मजे से काट रहा है। अब तो वह मुझे कम दिखता है, शायद वह काफी बिजी मीडिया परसन हो गया है। हाँ भइया वही किंग गोबरा, जिसे अपना नाम लिखने का सऊर तक नहीं है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक आप हैं जिसे अभी तक मेरी बात समझ में ही नहीं आ रही है। विकल्प भी बता रहा हूँ- यदि वेब मीडिया समझ में न आए तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के करेस्पान्डेण्ट का कैमरा ढोना शुरू कर दो। टी.वी. चैनलों विशेषकर खबरिया चैनलों का बड़ा स्कोप/क्रेज है। यह तो है कि कुछ दिनों के बीतने पर तुम्हें उच्चाटन होने की सम्भावना बढ़ जाएगी, लेकिन तब तक तुम्हें इधर-उधर की खबरों की वीडियो फुटेज बनाने व उनकी क्लिप्स चैनल मुख्यालयों पर भेजने का ज्ञान हो जाएगा और यदि किसी दिन उक्त खबरिया चैनल के न्यूज करेस्पान्डेण्ट के मुँह से यह निकल गया कि मैं अमुक न्यूज चैनल के लिए अमुक और कैमरामैन अमुक के साथ……….फिर क्या, तब तो तुम्हारे शरीर का भूगोल नए आकार में परिवर्तित होने लगेगा। मसलन बॉडी फिगर की माप के लिए ओल्ड जनता टेलर्स का इंचीटेप छोटा पड़ने लगेगा। 

भाई मेरे अब तो आप के भेजे में, मेरी बात आसानी से एन्ट्री कर जानी चाहिए। आप से सीधा कहूँ कि अब किंग गोबरा की तरह ‘मीडिया’ ज्वाइन कर लो तो आसानी से यह बात आप के भेजे में आ जाएगी। यह बात अलहिदा है कि उस पर कितना अमल कर सकते हो? मैं यह बात पूरे दावे और यकीन के साथ कह सकता हूँ कि आप जैसों के लिए ही मीडिया जगत बड़ा मुफीद है। किंग गोबरा जो अब एक ख्यातिलब्ध हस्ती बन चुका है, से मिल लो। अब पूछ सकते हो कि यह महाशय कहाँ मिलेंगे-? मुझे भी अधिक जानकारी नहीं है, फिर भी बहुतों के मुँह से सुना है कि दिन में वह ‘अस्पताल’ और शाम होते ही मधुशाला/नानवेज ढाबे पर मिलता है। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

बहरहाल, पहले एक काम करो। यदि मोटर बाइक हो तो उस पर मीडिया/प्रेस लिखवा लो। सुबह उठते ही किक मारो तो थाना परिसर में ही रूको। वहीं प्रातः कालीन नित्यक्रिया से निबटो। दीवानजी के साथ चाय/नाश्ता लो। फिर थानेदार साहेब से डींग-डांग मारो। बोलो कि कप्तान के पास जा रहा हूँ, आपकी तारीफ कर दूँगा। आप की दो पहिया आटो गड्डी में रसद भरवाने का काम थानेदार के स्तर पर हो जाएगा। उनसे विदा लो, किक मारो तो गड्डी ब्लाक आफिस रुके। वहाँ बी.डी.ओ., ए.डी.ओ./कर्मचारियों से जो समझ में आए बातें करो। वार्ताक्रम में बोलो कि सी.डी.ओ./डी.एम. से भेंट करनी है, वहाँ आपकी जेब का वजन बढ़ेगा। तत्पश्चात् वहाँ से किक मार कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुँचो। डाक्टर, लैब टेक्नीशियन और वार्ड ब्वॉय से डींगो। बोलो सी.एम.ओ. से मिलने जाना है। मुझे विश्वास है कि अस्पताल में आप को मिनी लंच तो मिलेगा ही साथ ही पर्स भी भारी हो जाएगा। 

घर से अस्पताल तक पहुँचने में जितना समय लगेगा, तब तक मुख्यालय पर आफिसों में अफसरों के बैठने का टाइम भी हो जाया करेगा। मुख्यालय पर अफसर से मिलने पर इस बात का ध्यान जरूर रखना पड़ेगा, कहीं वह किसी माननीय की जाति-बिरादरी का तो नहीं है। आज-कल मातहत अपने उच्चाधिकारियों से जरा भी भय नहीं खाते हैं, क्योंकि इन सबका सम्बन्ध स्वजातीय माननीयों से होता है, और अब तो गधे भी ‘ध्रुपद’ गाने लगे हैं। बेहतर यह होगा कि डींगे मारने से पहले इन सब बातों का ‘ध्यान’ दिया करना। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी, प्रबन्ध सम्पादक, रेनबोन्यूज डॉट इन

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement