मुंबई का एक पत्रकार दुनिया की सैर पर है। मराठवाड़ा के एक किसान का बेटे दुनिया घूमने की चाहत दिल में दबाए कुछ दिनों तक मुंबई में पत्रकारिता करता रहा। एक दिन अपने बचत के मुट्ठीभर पैसों के साथ निकल पड़ा दुनिया के सफर पर। काफी कम पैसों के साथ दुनिया की साहसिक यात्रा पर गए मराठवाड़ा के एक किसान के बेटे की मदद के लिए शहर के सभी डब्बावाले आगे आए हैं। प्रभानी निवासी और मुंबई के पूर्व पत्रकार, 33 वर्षीय विष्णुदास चापके ने 12,000किमी की दूरी तय कर ली है।
वे चार महीनों में रोड व रेल के जरिए उत्तर पूर्व भारत, म्यांमार, थाइलैंड, लाओस, वियतनाम और चीन घूम चुके हैं। प्रोविडेंट फंड समेत बचत की राशि के बाद इस यात्रा के लिए फंड भी दिया गया है। हाल ही में दक्षिणी मुंबई में 2,000 ग्राहकों को टिफिन के साथ विष्णु के अपील व डोनेशन की मांग भी डब्बावालों ने रखी है। जीवन दबे वाहतुक मंडल के सुभाष तालेकर ने कहा,काफी समय पहले अखबार के आलेख के लिए विष्णु हमसे मिले थे। इसके बाद इस माह, उन्होंने चीन से मुझसे व्हाट्सएप के जरिए कंटैक्ट किया क्योंकि इंटरनेशनल कॉल के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। किसी भी तरीके से हम उनकी मदद करना चाहते थे।
शहर में प्रतिदिन यह ग्रुप करीब 1 लाख टिफिन की डिलीवरी करता है। विदेश में खाना और घर के लिए हर तरह के काम करने वाले विष्णु ने कहा, इस ट्रिप को पूरा करने के लिए एक एक पाई बचानी है। विष्णु की यह ट्रिप 22 महीने तक की होगी। वह रेलवे स्टेशन और मंदिरों में सोए और शाकाहारी खाना न मिलने के कारण कुछ समय बीमार भी रहे। विष्णु ने कहा, पांच साल पहले, मैंने कमांडर दिलीप डोंडे का साक्षात्कार किया थाI डोंडे पहले भारतीय हैं जिन्होंने समुद्र के जरिए दुनिया का भ्रमण किया। मैं उनके पदचिन्हों का अनुसरण करना चाहता था लेकिन मेरा जरिया कुछ और है। डोंडे ने बताया था कि मुझे 1.5 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
इतनी अधिक रकम का मैं सोच भी नहीं सकता था। मैंने अपने विचार को वहीं त्याग दिया। अपनी यात्रा पर डोंडे द्वारा लिखे गए किताब पढ़कर फिर से मेरे अंदर की चाहत जग गयी। मैं जम्मू व कश्मीर और नाथूला में हाइकिंग के लिए गया। मुंबई से पश्चिम बंगाल, असम और आगे मणिपुर गया, वहां मैं अपने परिचितों के यहां रुका। म्यंमार से ट्रेन के जरिए विष्णु बैंकॉक गए इसके बाद लाओस फिर ट्रेन से हनोई और बीजिंग। अभी वे शंघाई में है और ऑस्ट्रेलिया के लिए वीजा का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने बताया,एक समय ऐसा था जब मेरा वियतनाम का वीजा एक्सपायर होने वाला था और मैं मुश्किल में फंस सकता था।
कंबोडिया और जापान ने वीजा से इंकार कर दिया। इसके बाद एक चीनी पत्रकार ने चीन का वीजा दिलाने में मेरी मदद की। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कमांडर डोंडे को इस बारे में कुछ पता नहीं चलता लेकिन जब उन्होंने विष्णु के फेसबुक पेज पर तस्वीरें देखी तो चकित रह गए। विष्णु की यह यात्रा उन अजनबियों के बगैर भी पूरी नहीं होती जिन्होंने अपनी दयालुता का परिचय देते हुए विष्णु की मदद की।