पुष्प रंजन-
फहीम दश्ती से कभी-कभार टूटी-फूटी हिंदी हम बुलवा लेते थे. वो अपनी रिकार्ड की गई आवाज़ सुनते और खुश होते. अब वो आवाज़ सदा के लिए बंद हो चुकी है. आज सुबह ईमेल अकाउंट खोलते ही पहली सूचना यही थी कि सोमवार को देर रात फहीम दश्ती बम हमले में मारे गए.
कुछ घंटे पहले तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इस ख़बर का खंडन किया कि वो पाकिस्तानी हवाई हमले में मारे गए. तालिबान के मुख्य प्रवक्ता मुजाहिद का कहना था कि फहीम दश्ती पंजशीर में गुल हैदर और जनरल जुर्रत के बीच गोलाबारी में मारे गए.
तालिबान प्रवक्ता को यह खंडन करने की ज़रूरत क्यों पड़ी कि इस इलाक़े में पाकिस्तान ने हवाई हमला नहीं किया था? फहीम दश्ती से हम वो ख़बर डेवलप कर रहे थे, जिससे पता चलता कि पंजशीर में पाकिस्तानी वायुसेना किस तरह की मदद तालिबान को दे रही है.
फहीम दश्ती अब्दुल्ला-अब्दुल्ला के भतीजे थे. पूर्व रक्षामंत्री और नॉर्दन अलाइंस के नेता अहमद शाह मसूद के निकटस्थ. 9 सितम्बर 2001 को जब अहमद शाह मसूद पर मानव बम ने हमला किया, पत्रकार फहीम दश्ती उसी जगह पर थे, और बुरी तरह घायल हुए थे.
फहीम दश्ती से मेरा पेशेवराना सम्बन्ध 2003 से शुरू हुआ था. वो एक साप्ताहिक पत्रिका ‘सुबह-ए-काबुल’ निकालते थे. Afghanistan National Journalists Union के अध्यक्ष थे फहीम. विचारों की आज़ादी के प्रमुख पैरोकार, जिन्हें वहां के अतिवादी कठमुल्ले कब से चुप कराना चाहते थे. अलविदा दोस्त !