Mukund Mitr-
फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया इस बार दुर्दांत दस्यु शिव कुमार उर्फ ददुआ को बड़े परदे पर दिखाने वाले हैं। तिग्मांशु हिंदी सिनेमा में प्रयोग के लिए जाने जाते हैं। ददुआ की लंबे कालखंड तक बुंदेलखंड में तूती बोलती रही है। डकैतों के खौफ से मानिकपुर, कर्वी, चित्रकूट, बदौसा, भरतकूप, अतर्रा, बांदा, सतना, पन्ना, रीवा, छतरपुर आदि इलाके में शाम ढलने के बाद सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता था। तब चित्रकूट जिला बांदा जिले में ही थी। चित्रकूट-मानिकपुर के पाठा के भुतहे जंगल ददुआ के लिए सुरक्षित पनाहगार रहे। तिग्मांशु धूलिया की इस फिल्म का नाम ‘घमासान’ है। वह पिछले साल बांदा और चित्रकूट जिले की सीमा पर फतेहगंज क्षेत्र के कोल्हुआ जंगल में ‘घमासान’ का कुछ हिस्सा फिल्मा चुके हैं। इसमें ददुआ के किरदार में अभिनेता अरशद वारसी हैं। राजपाल यादव और प्रतीक गांधी भी दिखाई पड़ेंगे।
चित्रकूट जिले के देवकली गांव में जन्मे ददुआ के बीहड़ में कूदने कहानी भी अन्याय और शोषण के इर्द-गिर्द घूमती है। कहते हैं तब ददुआ की उम्र तब 22 साल थी। वह अपने भाई बालकुमार के साथ जीवन बसर कर रहा था। इस बीच उसके पिता रामप्यारे को दबंगों ने पास के गांव में नग्न घुमाया और फिर हत्या कर दी। यही नहीं उसे भैंस चोरी के झूठे इल्जाम में जेल भिजवा दिया। कहते हैं जमानत पर रिहा होने के बाद ददुआ सीधे दस्यु सरगना गया कुर्मा और उर्फ गया बाबा की शरण में चला गया।
साल 1982 में गया के आत्मसमर्पण करने के बाद वह बचे-खुचे गिरोह का सरदार बन बैठा। और दो साल बाद अपना गिरोह बना लिया। 1986 में वह पहली बार सुर्खियों में आया। रामू का पुरवा में पुलिस मुखबरी के शक में नौ ग्रामीणों को एक लाइन में खड़ाकर गोली मार कर खून कर दिया। इसके बाद से जून 2007 तक ददुआ के खौफ से इलाका थर-थर कांपता रहा। मायावती के राज में 21 जुलाई, 2007 को ददुआ और उसके गिरोह के 10 सदस्यों को मानिकपुर के जंगलों में एसटीएफ ने मार गिराया। कहते हैं तब ददुआ के खिलाफ 400 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे।
‘घमासान’ में स्थानीय लोगों को भी लिया गया है। इनमें अरविंद चतुर्वेदी (मिर्जापुर), रजनीश अवस्थी (कमासिन) और पवन पांडे पाल देव चित्रकूट हैं। प्रतीक गांधी एसएसपी ‘एस’ की भूमिका में होंगे। इस कहानी का ताना-बाना ददुआ के एनकाउंटर ऑपरेशन के इर्द-गिर्द घूमता है। ददुआ के बाद इस इलाके में सबसे दुर्दांत दस्यु अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया हुआ है। ददुआ ने कभी पुलिस की जान नहीं ली। ठोकिया पुलिस का ही जानी दुश्मन रहा। अगस्त 2008 में ठोकिया पुलिस के हाथों मारा गया। ददुआ के परिवार का राजनीतिक रसूख भी रहा है। उसका भाई बाल कुमार पटेल सांसद, बेटा वीर सिंह विधायक और भतीजा राम सिंह विधायक रह चुका है। बहू पंचायत अध्यक्ष रह चुकी है। पाठा क्षेत्र में कभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ददुआ की मुनादी के बाद ही लोग मतदान करने के लिए घरों से निकलते थे।