शंभू नाथ शुक्ला-
महाभारत में एक चरित्र है युधिष्ठिर का, जिन्हें लोग भले धर्मराज कहें लेकिन वह चरित्र मुझे सदैव कायर, भाइयों का हक़ मारने वाला और गुरु-हत्या हेतु झूठ बोलने वाला कापुरुष ही लगा। राही मासूम रज़ा ने बीआर चोपड़ा के लिए ‘महाभारत’ की जो पटकथा लिखी थी, उसमें युधिष्ठिर का अभिनय करने वाले गजेंद्र सिंह के चेहरे को देख कर ही मुझे लगा था कि हो न हो यह युधिष्ठिर का ही अवतार है। कापुरुष और द्रोपदी से लांछित। इसलिए उसके ट्वीट पर आश्चर्य नहीं करना चाहिए। कायर यही करेगा। आख़िर द्रोपदी को दुर्योधन रूपी कसाई को तो उसी ने सौंपा था।
विजय शंकर सिंह-
मोदी जी की गाय से मिलिए. पशु वह है जो पाश में रहे। अपने मालिक के पाश, पगहे में बंधा रहे। मुक्त होंने के बारे मे सोच भी न सके। मालिक अगर कसाई को भी, सौंप दे तो, वह जा कर उसी का भोज्य बन जाय। पर प्रतिरोध की बात सोच भी न सके। इसी प्रकार के पाश बद्ध एक सज्जन से मिलिए। नाम है गजेंद्र चौहान। काम अभिनय।
मुकेश कुमार-
गजेंद्र सिंह चौहान ने अंधभक्तों की भावनाओं को सही ढंग से व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि गाय अपने मालिक से नाराज़ हो सकती है मगर कभी भी कसाई के घर नहीं जाती, इसलिए हम मोदी के साथ हैं।
ये खूँटे से बँधी गाय या जानवर हैं। इन्हें आप पट्टे वाले कुत्ते भी समझ सकते हैं। मोदी निर्मित आपदा से इनके भी भाई-बहन-मित्र-परिचित मर रहे होंगे, मरने वाले हिंदू ही अधिक हैं, मगर नहीं चरणों पर लोटने की आदत है इसलिए बदल नहीं सकते।
अब सोचिए हिंदुस्तान को इन अंधभक्तों ने क्या बना दिया है-गौशाला, अस्तबल। इनकी वज़ह से इंसानों का रहना मुहाल हो रहा है। पता नहीं इन्हें कब एहसास होगा कि ये भी इंसान हैं और इन्हें इंसानों की तरह व्यवहार करना चाहिए।