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फर्जी सूचनाओं के बाढ़ के इस दौर में पत्रकार रहें सावधान वरना पुष्प शर्मा की तरह जेल पहुंच जाएंगे

संघियों से लेकर कांग्रेसियों और आपियों तक में सूचनाओं को डिस्टार्ट कर एक दूसरे को बदनाम करने की होड़ लगी हुई है और ये लोग इसके लिए पत्रकारों का इस्तेमाल कर ले रहे हैं. कई पत्रकार तो जानबूझ कर इनके अभियान का हिस्सा बनते हैं क्योंकि या तो उन्हें पैसे दिए गए होते हैं या फिर वे विचारधारा के आधार पर जुड़े होते हैं. लेकिन कई निर्दोष पत्रकार इस चक्कर में इनके जाल में फंस जा रहे हैं कि वो इन सूचनाओं को सच समझ लेते हैं. ह्वाट्सएप से लेकर फेसबुक, ट्विटर तक में दनादन फर्जी, फोटोशाप्ड, एडिटेड, डिस्टार्टेड सूचनाएं, जानकारियां शेयर अपलोड पब्लिश की जा रही है. ऐसी ही एक झूठी जानकारी के चक्कर में पड़कर दिल्ली के खोजी पत्रकार पुष्प शर्मा जेल पहुंच चुके हैं.

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संघियों से लेकर कांग्रेसियों और आपियों तक में सूचनाओं को डिस्टार्ट कर एक दूसरे को बदनाम करने की होड़ लगी हुई है और ये लोग इसके लिए पत्रकारों का इस्तेमाल कर ले रहे हैं. कई पत्रकार तो जानबूझ कर इनके अभियान का हिस्सा बनते हैं क्योंकि या तो उन्हें पैसे दिए गए होते हैं या फिर वे विचारधारा के आधार पर जुड़े होते हैं. लेकिन कई निर्दोष पत्रकार इस चक्कर में इनके जाल में फंस जा रहे हैं कि वो इन सूचनाओं को सच समझ लेते हैं. ह्वाट्सएप से लेकर फेसबुक, ट्विटर तक में दनादन फर्जी, फोटोशाप्ड, एडिटेड, डिस्टार्टेड सूचनाएं, जानकारियां शेयर अपलोड पब्लिश की जा रही है. ऐसी ही एक झूठी जानकारी के चक्कर में पड़कर दिल्ली के खोजी पत्रकार पुष्प शर्मा जेल पहुंच चुके हैं.

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सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए अपने एक सवाल का मनगढंग जवाब लिखने के आरोप में पुलिस ने पुष्प को गिरफ्तार किया. उसने उस जवाब के जरिए यह दावा किया था कि आयुष मंत्रालय (आयुष आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होमियोपैथी का संक्षिप्त रूप है) की नीति है कि मुसलमानों को काम पर नहीं रखा जाए. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के जवाब में जालसाजी करने के आरोप में उस पत्रकार को गिरफ्तार किया गया. पत्रकार पुष्प शर्मा को भारतीय दंड संहिता की धारा 418 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी), 469(ख्याति को नुकसान पहुंचाने के मकसद से जालसाजी) और 153 अ (नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न धर्मो के लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने) के तहत गिरफ्तार किया गया है.

‘वी डॉन्ट रिक्रूट मुस्लिम्स : मोदी गवर्नमेंट्स आयुष मिनिस्ट्री’ नाम के शीर्षक से एक लेख ‘मिल्ली गजट’ में अखबार में प्रकाशित हुआ था. उसमें उसने कहा कि मंत्रालय ने उसे सूचित किया कि सरकारी नीति है कि मुसलमानों को नियुक्त नहीं किया जाए. शर्मा ने एक लेख में लिखा, “मंत्रालय ने कहा है कि कुल 711 योग प्रशिक्षकों ने विदेश में कुछ समय के लिए काम करने के लिए आवेदन दिया था लेकिन किसी को भी साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया जबकि 26 प्रशिक्षकों को विदेश में काम पर भेज दिया गया जो सभी हिंदू थे.”

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इस लेख में एक मंत्रालय से शर्मा के एक आरटीआई आवेदन को एक सरकारी योग संस्थान को स्थानांतरित करने का पत्र भी संलग्न है. उसमें अनुलग्नक-1 लिखकर एक बयान है- ‘सरकार की नीति के अनुसार किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को न तो बुलाया गया, न चयन किया गया और न ही विदेश भेजा गया.’ सरकार ने 12 मार्च को बयान में कहा है कि यह अनुलग्नक अस्तित्वहीन और मनगढ़ंत है क्योंकि इसे मंत्रालय से कभी नहीं जारी किया गया। शर्मा ने आरटीआई से अनुलग्नक एक में जो सवाल किया था वह यह था कि विश्व योग दिवस 2015 के दौरान कितने मुस्लिम उम्मीदवारों को आमंत्रित किया गया, चयनित किया गया या योग प्रशिक्षक/शिक्षक के रूप में विदेश भेजा गया? सरकार ने अपने बयान में कहा है कि मंत्रालय ने इस सवाल का या किसी अन्य सवाल का कभी जवाब नहीं दिया। उसकी जगह सरकार ने शर्मा के आरटीआई आवेदन को दो अन्य सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को स्थानांतरित कर दिया था.

सरकार का कहना है कि कथित अनुलग्नक एक में धर्म आधारित जो आंकड़ा है वह न केवल मनगढंत है बल्कि तथ्यात्मक रूप से गलत भी है. मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग खंड के जवाब में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि योग विशेषज्ञों / समर्थकों को आमंत्रण बगैर अपने धर्म का उल्लेख किए भेजा गया था. शर्मा ने सरकार के बयान को ‘भ्रामक’ बताते हुए खारिज कर दिया. उनका कहना है कि आरटीआई का जवाब वास्तव में मंत्रालय से आया था। जब यह लेख प्रकाशित हुआ था तब उससे पुलिस ने कुछ दिनों तक पूछताछ भी की थी. उसके बाद पुलिस ने आरटीआई के जवाब को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा और इसे छेड़छाड़ किया गया पाकर पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया.

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