हम अमिताभ ठाकुर एवं नूतन ठाकुर ने गौरी हत्याकांड में अपने स्तर पर गहराई से छानबीन की. हम गौरी के घर जा कर उनके माँ और पिता से मिले, घटनास्थल पर जा कर अभियुक्त की बहन डॉली से बात की और आरी दुकान के चावला बंधुओं से बात की. गौरी के माँ पिता वर्तमान तफ्तीश और खुलासे से पूरी तरह असंतुष्ट हैं. उनका कहना है कि एक आदमी द्वारा यह काम कत्तई नहीं किया जा सकता है और इसमें एक से अधिक लोग अवश्य होंगे. उनका यह भी कहना था कि पुलिस उन्हें तफ्तीश के बारे में कुछ भी नहीं बता रही है. उन्होंने कहा कि गौरी का जो मोबाइल फोन दिखाया गया है उसमे पहले 4 जीबी का कार्ड था जबकि जो मोबाइल फोन वापस किया गया उसमे 2 जीबी का कार्ड था और उसका सारा डाटा हटा दिया गया था. गौरी के माँ पिता ने 100 नंबर डायल किया लेकिन कोई समुचित रेस्पोंस नहीं हुआ लेकिन उनके अनुसार अब तक लापरवाह लोगों पर कार्यवाही नहीं हुई है.
गौरी की माँ ने कहा कि वे अभियुक्त की आवाज़ फोन पर पहचान सकती हैं, पर ऐसा नहीं कराया गया है. कथित घटनास्थल की स्थिति और आस पास सटे मकान देख कर उस जगह यह घटना होने में भी प्रथम द्रष्टया अस्पष्टता दिखती है. अभियुक्त के ठीक पड़ोसी और घर के आसपास के सभी लोग उस जगह घटना होने से पूरी तरह मना कर रहे थे और उस स्थान पर किसी प्रकार का कोई दुर्गन्ध, खून के छींटे आदि होने की बात से मना कर रहे हैं. रवि चावला और पंकज चावला की पत्नी ने ऐसे किसी आदमी को आरी बेचे जाने की बाद याद रहने से पूरी तरह इनकार किया. दोनों और उनके दुकान के लोगों ने कहा कि इस आरी से ऐसा कत्तई नहीं लगता कि इस प्रकार की हत्या हो सकती है जैसी गौरी की हुई.
दोनों ने बताया कि इस आरी पर बिना धार चढ़ाए कोई काम नहीं हो सकता और ऐसा सिर्फ एक्सपर्ट जानकार ही कर सकते हैं जिसमे लगभग 20-25 मिनट लगते हैं. दोनों ने बताया कि जिस दिन खुलासा हुआ उस दिन 8 तारीख को दो पुलिसवाले सुबह आ कर नीले रंग की आरी 50 रुपये में पंकज की दुकान से ले गए थे. रवि ने बताया कि 8 तारीख को जब पुलिस उन्हें थाने के गयी थी तो शुरू में शिनाख्त करने का दबाव बनाया था.
उन्होंने बताया कि कथित रूप से बैग ख़रीदे जाने वाले संजय ने भी अभियुक्त को नहीं पहचाना और उस पर भी पुलिस ने शिनाख्त का दवाब बनाया था उपरोक्त सभी बातों से स्पष्ट है कि अभी गौरी के परिवार वाले, अभियुक्त के मोहल्ले के लोग और गवाह चावला बंधू इन खुलासों से पूरी तरह असंतुष्ट हैं. गौरी के घर वाले यह मान रहे हैं कि उन्हें तफ्तीश से पूरी तरह अलग कर दिया गया है.
अतः हम डीजीपी को पत्र लिख कर यह मांग कर रहे हैं कि ऊपर लिखे सभी बिन्दुओं पर गहराई से छानबीन हो, गौरी के परिवारवालों को विवेचना का हिस्सा बनाया जाए ताकि उन्हें पुलिस तफ्तीश पर विश्वास हो सके और इस घटना में दोषी पाए गए सभी पुलिसवालों पर समुचित कार्यवाही हो. हम इस मामले में मौके के खून का मिलान करने जैसे बुनियादी वैज्ञानिक कार्य कराने का निवेदन करते हैं. हम यह भी मांग कर रहे हैं कि इस विवेचना के तथ्यों से आम लोगों को भी समय-समय पर अवगत कराया जाए ताकि सभी उत्पन्न भ्रांतियों का समाधान हो जाए.
अमिताभ ठाकुर
#094155-34526
डॉ नूतन ठाकुर
#094155-34525