पिछले दिनों लखनऊ गया तो वरिष्ठ पत्रकार गोलेश स्वामी जी से करीब दो दशक बाद मिला. गोलेश जी उन कुछ लोगों में से हैं जिनका प्यार-स्नेह तब मिला जब अपन लखनऊ में मीडिया की दुनिया में बतौर शिशु कदम रख ही रहे थे.
आगरा के रहने वाले और आगरा से ही पत्रकारीय करियर बेहद कम उम्र में शुरू करने वाले गोलेश जी हिंदुस्तान अखबार के लखनऊ संस्करण में अपनी लंबी पारी खेलकर कुछ समय पहले रिटायर हो गए. हालांकि उन्हें देखकर कतई नहीं लगता कि उनकी उम्र 58 साल की हो गई है. उनने विभिन्न अखबारों में करीब 40 साल तक सेवाएं दीं.
यूपी में सीएम, सीएम आफिस, ब्यूरोक्रेट्स, पालिटिशियन्स आदि की बीट लगातार कई दशकों से कवर करते रहे गोलेश स्वामी निजी व प्रोफेशनल जीवन में हमेशा विनम्र और ईमानदार रहे. उन्हें किसी ने कभी अराजक, अनुशासनहीन या गुटबाजी करते हुए नहीं देखा. यही कारण है कि पत्रकारों की अनिश्चित नौकरियों के इस दौर में गोलेश स्वामी ससम्मान रिटायर होकर ही घर लौटे.
हम लोग गोलेश जी के घर पहुंचे तो दरवाजे पर एक प्यारा-सा शेर नुमा कुत्ता भों भों करते हुए स्वागत को तैयार दिखा. थोड़ी ही देर में ये ‘लकी’ साहब अपन लोगों से परिचित हो गए. उनका डीलडौल व हुलिया देख डर लग रहा था. पर उनकी कहानियां सुनकर व बुद्धिमत्ता देखकर जल्द ही हम सब सहज हो गए. इस दौरान कुछ वीडियो बनाए. गोलेश सर से इस कुत्ते के संबंध में बातचीत की.
पता चला कि ये कुत्ता उनकी बिटिया अंशिका का बाडीगार्ड है. अंशिका का नाम कोई तेज आवाज में भी ले ले तो यह गरजते हुए दौड़ पड़ता है. खुद बिटिया के पिता गोलेश जी ने अंशिका नाम तेज आवाज में लिया तो भाई साहब कूद पड़े.
ये लकी जब 20 दिन के थे तब लाए गए थे. अंशिका के बर्थडे गिफ्ट के बतौर. अब ये पांच साल के हो गए हैं.
इनकी कुछ करतूत इस वीडियो में कैद है, देखें-
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.