Yashwant Singh : गूगल वालों की चोट्टई की हद. मेल भेजे हैं कि भड़ास के यूट्यूब चैनल पर विज्ञापन बंद किया जा रहा है. कारण कुछ नहीं बताए. एकदम तानाशाहों वाली शैली है. पर मजेदार ये देखिए कि विज्ञापन बंद करने की सूचना देने के बाद भी विज्ञापन चलाए जा रहे हैं और उसका पइसा सिर्फ अपने खाते में डाल रहे हैं. ये तो चोरी और सीनाजोरी वाला मामला हो गया है भाई.
क्या गूगल और यूट्यूब के इंडिया आफिस में कोई आदमी भी काम करता है, आंख नाक कान वाले, ये सब के सब साले रोबोट ही रखे गए हैं. अगर आपके परिचय में कोई गूगल या यूट्यूब वाला इनके गुड़गांव आफिस में हो तो इस पूरे प्रकरण की तरफ उसका ध्यान आकर्षित करें. आखिर हम क्रिएटर्स से ही पैसा कमाने वाले गूगल/यूट्यूब को कम से कम यह तो बताना चाहिए कि किस आधार पर वो विज्ञापन बंद करने का मेल भेज रहे हैं.
कम्युनिटी पैरामीटर्स का कोई उल्लंघन नहीं, भड़ास के यूट्यूब चैनल पर कोई कापीराइट स्ट्राइक नहीं. कोई वीडियो डुप्लीकेसी नहीं, कोई ऐसा वीडियो नहीं जिससे हिंसा या नफरत फैले, तो फिर किस आधार पर विज्ञापन बंद कर दिया… और, बंद कर दिया तो फिर चलाए कैसे जा रहे हैं विज्ञापन….
मैं तो गूगल वालों को समझदार मानता था लेकिन आज समझ आया कि इ साले एकदम्मे से लंठ हैं. साथ ही साथ बिलकुल तानाशाह भी. डेमोक्रेटिक मैनर्स इन्हें आता ही नहीं. ये सच में आनलाइन दुनिया के साम्राज्यवादी हैं. इस गूगल को तो भड़ास अब नंगा करेगा. अगर आपके साथ भी गूगल या यूट्यूब ने बदमाशी की है तो उसे लिखकर भेजिए. गूगल मुर्दाबाद का नारा हर ओर आनलाइन ही गूंजने वाला है.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
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