आज के कई अखबारों में चीन के पीछे हटने की खबर है। दैनिक जागरण का शीर्षक है, “रंग लाई भारतीय कूटनीति, पूर्वी लद्दाख में कई जगहों से ढाई किलोमीटर पीछे हटा चीन। नई दिल्ली डेटलाइन से जयप्रकाश रंजन की खबर इस प्रकार है, “पूर्वी लद्दाख एलएसी पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए भारतीय कूटनीति का बड़ा असर सामने आया है।
पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों ने कई बिंदुओं को छोड़ा है। सरकार के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि गलवन क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए ने पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से ढाई किलोमीटर पीछे हटी है जबकि भारत ने अपने सैनिकों को कुछ पीछे हटाया है। इससे पहले चार जून को भी ऐसी रिपोर्ट आई थी कि चीनी सेना दो किलोमीटर पीछे हट गई है। चीन ने उक्त कदम छह जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बैठक से पहले उठाए थे।”
हिन्दी अखबारों में यह खबर दैनिक हिन्दुस्तान में भी है।
सूत्रों के हवाले से दी गई इस खबर में नहीं बताया गया है कि चीन कब कितना अंदर आया था या कितने बिन्दुओं पर कब्जा कर लिया था लेकिन दिल्ली में सूत्रों ने बता दिया कि चीनी सैनिकों ने कई बिन्दुओं को छोड़ दिया है। कहने की जरूरत नहीं है कि खबर खुद ही कह रही है कि उसकी सत्यता की कोई गारंटी नहीं है। यह स्थिति तब है जब रक्षा मंत्री ट्वीटर पर कह चुके हैं कि वे संसद में जवाब देंगे और कल राहुल गांधी के ट्वीट का जवाब उन्होंने नहीं दिया। अंग्रेजी में यह खबर इंडियन एक्सप्रेस, हिन्दुस्तान टाइम्स, द हिन्दू में लीड छपी है। टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर है।
एक्सप्रेस और हिन्दू में बाईलाइन भी। पर सब सूत्रों के हवाले से है। निश्चित रूप से यह उच्च स्तर का प्लांटेशन है। इसकी पोल द टेलीग्राफ ने खोली है, अंदर के पन्ने पर राहुल गांधी के सवाल के साथ छापा है जो उनने कल ट्वीट किया था और लिखा है कि जवाब अनाम सूत्रों के हवाले से है। यह एएनआई की खबर है। मुझे लगता है कि पीटीआई अभी भी सरकारी दबाव में नहीं आता है। खिलाफ खबरें तो रहती ही हैं प्लांटेशन एएनआई और बाईलाइन के जरिए हो रहा है।
अखबारों में खबरें पहले भी प्लांट होती थीं। पर ऐसे एक ही खबर कई अखबारों में बाईलाइन और लीड भी छप जाए ऐसा बहुत कम होता था। अमूमन रिपोर्टर भी बुरा मानते थे कि उन्हें एक्सक्लूसिव कह दी गई खबर दूसरे अखबारों को भी दे दी गई। पहले ज्यादा अखबारों में छपवाने वाली खबर एजेंसी के जरिए लीक या प्लांट की जाती थी। तब एजेंसी की साख होती ही थी खबर वैसी ही बनाई जाती थी। इसके अलावा, एक अखबार में कोई खास खबर छपे तो दूसरे अखबार भी छापते थे। अब लाल लाल आंख दिखाने की सलाह और सूत्रों का कहना कि सेना पीछे चली गई – मानने वाली खबर नहीं है। इसलिए प्लांट करने वाले को भी पता है। सबको दे दी गई। और रिपोर्टर की हैसियत नहीं है कि बुरा मान जाए। अगली बार फिर ऐसा प्लांटेशन छापेगा। मैं फिर बताउंगा।
दैनिक जागरण की आज की खबर में आगे लिखा है, “सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख के एलएसी के पास चीनी सैनिकों के जमावड़े में बीते छह जून, 2020 को हुई बातचीत से पहले ही कुछ कमी हुई थी। चीन कुछ चुनिंदा जगहों से धीरे धीरे अपनी सेनाओं की संख्या कम कर रहा है। बताया जाता है कि विदेश मंत्रालय के स्तर पर हुई बातचीत में बनी सहमति को सीमा पर पहुंचने से हालात को सामान्य बनाने में काफी मदद मिली है। इन दोनों बैठकों में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी शिनफिंग के बीच दो अनौपचारिक बातचीतों में हर हाल में सीमा पर शांति बहाली बनाए रखने के मिले निर्देश का जिक्र किया गया था।“ ना सूत्रों के नाम ना वार्ताकारों के नाम। कूटनीति रंग ला रही है का दावा पर कूटनीति है किसकी यह नहीं बताएंगे।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह का विश्लेषण.
Bhavi menaria
June 11, 2020 at 1:38 pm
सच्चाई आप बताओ क्या है। आपकी समीक्षाएँ पढ़ कर एक बात तो पता चल चुकी है कि पूरे देश में सिर्फ एक अखबार, टेलीग्राफ ही सही है ! देश को सच्चाई जानने का अधिकार है और वो मौजूदा दौर में आप ही सामने रख सकते हैं। और हां सर मेरा मानना है कि जहां देश की सामरिक बात हो वहां ट्वीटर पर पूछना उचित नहीं है ( व्यक्तिगत सोच)।
धन्यवाद