Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

केंद्र सरकार बीमा करा रही है, दिल्ली सरकार अस्पतालों में आरक्षण

आज के हिन्दुस्तान टाइम्स में मुझे एक परेशान करने वाली खबर दिखी। खबर यह है कि दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में दिल्ली वालों के लिए 80 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गई हैं और इससे अस्पताल के ओपीडी में भीड़ आधी रह गई है। जाहिर है, इससे दिल्ली वालों को लाभ होगा पर जो आधे लोग दिल्ली के नहीं थे और इस अस्पताल में इलाज कराते थे वे कहां जाएं? उनके लिए क्या कोई व्यवस्था हुई? कोई विकल्प है? मेरे ख्याल से नहीं। कहने की जरूरत नहीं है कि ये सब लोग दिल्ली से सटे गाजियाबाद में रहने वाले हैं और यहां मेरठ से भी लोग इलाज कराने आते थे। गाजियाबाद, नोएडा नए बसे इलाके हैं और यहां इलाज की सरकारी सुविधा नहीं के बराबर है। इसीलिए निजी अस्पताल तो खूब हैं पर यहां इलाज कराना सबके वश का नहीं है। इसीलिए ये लोग दिल्ली के अस्पतालों में जाते हैं।

अमर उजाला के अनुसार, “दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके कारण कई बार राजधानी के लोगों को ही समय पर उपचार नहीं मिल पाता है। इसलिए सरकार अभी जीटीबी अस्पताल में इस योजना की शुरुआत की है। इस अस्पताल में 17 में से 13 काउंटर सिर्फ दिल्ली वालों के लिए आरक्षित होंगे। इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचने पर मरीज को अपना वोटर आईडी कार्ड दिखाना होगा। दिल्ली और बाहरी राज्यों के मरीज के बाकायदा अलग-अलग रंग के कार्ड भी बनाए जाएंगे। योजना सफल रही तो दिल्ली सरकार अपने अन्य अस्पतालों में भी इस योजना को लागू करेगी।”दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से सरकारी अस्पतालों की स्थिति काफी बेहतर हुई है और पहले भी बिहार यूपी के अस्पतालों से बेहतर थी। दिल्ली का एम्स बिहार यूपी वालों से ही भरा रहता है। अब जब दूसरे अस्पताल ठीक हुए हैं तो बाहर से यहां आने वालों की संख्या भी बढ़ी थी। दिल्ली सरकार ने हालांकि दिल्ली से बाहर वालों के लिए रोक नहीं लगाई है पर दिल्ली वालों के लिए 80 प्रतिशत बिस्तर आरक्षित कर दिए हैं और इसी से काफी फर्क पड़ा है। देखना है केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार दिल्ली के आस-पास रहने वालों के लिए क्या व्यवस्था करती है और कब तक।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे, यह खबर दूसरे अखबारों में भी है और जब यह योजना लागू करने की बात चल रही थी तबकी खबरें भी नेट पर मिलीं। वैसे तो मुझे इसका अनुमान भी था पर आयुष्मान भारत के शोर में इस खबर का अलग महत्व है। आप जानते हैं कि सरकार ने चुनाव पूर्व प्रचार के लिए आयुष्मान भारत योजना की घोषणा की है इसके तहत 10 करोड़ लोगों का पांच व्यक्ति के परिवार के हिसाब से प्रति परिवार पांच लाख रुपए का बीमा किया जाना है। अभी इस योजना मद में 2000 करोड़ रुपए रखे गए हैं और इस हिसाब से प्रति व्यक्ति बीमा का खर्च बैठता है 200 रुपए।

आपको याद होगा कि सत्ता में आने के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार जनधन बीमा योजना शुरू की थी और तमाम लोगों के खाते खुलवाए थे। शून्य जमा राशि वाले। इसमें भी बीमा की योजना थी। एक 12 रुपए के करीब की औऱ दूसरी 300 रुपए के करीब की। इस तरह यह सरकार शुरू से बीमा कराने में यकीन करती रही है। पारदर्शिता का तकाजा है कि इस बीमा से कितने लोगों को फायदा हुआ इसका विवरण सार्वजनिक किया जाता और संबंधित जानकारी आमतौर पर उपलब्ध होती। अब जाते-जाते सरकार ने बीमा कराने का काम और बढ़ा दिया है जबकि जरूरत सुविधाएं उपलब्ध कराने की ज्यादा है और सरकार जिन सुविधाओं के लिए बीमा करा रही है वह उसकी जिम्मेदारी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

2000 करोड़ रुपए के बीमा का लाभ पता नहीं कितने लोग उठा पाएंगे और भले ही बीमा 10 करोड़ लोगों का हो जाए पर लाभान्वित वही होगा जिसे इलाज के पैसे मिल ही न जाएं समय पर मिल जाएं। पर इसकी संभावना कितनी है इसका कोई भी अनुमान लगा सकता है। खासकर तब जब प्रति व्यक्ति बीमा एक लाख रुपए का ही है और अलग-अलग बीमारियों के लिए अधिकतम राशि निश्चत है। वैसे भी यह सुविधा अस्पताल में दाखिल होने वालों के लिए है और अनुमान है कि चार प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में दाखिल होकर इलाज कराने की जरूरत होती है। आजकल अखबारों में सिर्फ सूचनाएं छपती हैं। उनका विश्लेषण कम होता है इसलिए आम पाठक को यह सब पता ही नहीं चलता है वह समझ रहा है कि उसका बीमा है। उसे नहीं पता कि इलाज कहां कराना है।

आम जनता को यह भी नहीं पता है कि देश भर में आयुष्मान योजना चलाने वाली सरकार (दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इसमें शामिल नहीं है) कश्मीर में (वहां राष्ट्रपति सरकार है) सरकारी कर्मचारियों से कहा है कि वे अपने परिवार के लिए आयुष्मान जैसी ही छह लाख रुपए की बीमा योजना 8770 रुपए के करीब में खरीदें और इसके लिए वहां की सरकार ने बाकायदा निजी क्षेत्र की रिलायंस समूह की कंपनी से करार किया है। यह स्थिति तब है जब आप हम पढ़ते रहते हैं कि कश्मीर में घायल होने वाले सेना के जवानों को भी इलाज के लिए दिल्ली लाया जाता रहा है। जाहिर है वहां इलाज की सुविधा अपर्याप्त है पर सरकार वहां के सरकारी कर्मचारियों से भी कह रही है कि वे बीमा करा लें। सिर्फ छह लाख रुपए प्रति परिवार जिसमें दिल्ली आकर इलाज कराना कतई संभव नहीं होगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement