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सुख-दुख

हे जेम्सबॉण्ड… तुम गुटखा बेचने लायक ही हो!

वैसे तो शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ही तुम्हें घर बैठ जाना था… दुनिया में अब एक ही चौधरी व्हाइट हाउस वाले बचे हैं और दूसरे चौधरी के लिए कबड्डी जारी है। आज तुम्हारे रचियता स्वर्ग में बैठे इयान फ्लेमिंग का सीना अवश्य 56 इंच का हो गया होगा कि उनका जेम्सबॉण्ड भारत की धरा पर गुटखा बेच रहा है… हम भारतवासियों ने ही गुटखे का आविष्कार किया और  इसकी पिचकारी से कोई सड़क या बिल्डिंग का कोना बिना चित्रकारी से अछूता न रहा… गुटखा खाने में भारतवंशियों की कोई जोड़ ही नहीं है और मौका आए तो इसकी तलब लगने पर कोई अम्बानी किसी ठेला चलाने वाले  रामलाल से भी गुटखा मांगकर खा सकता है… ये गुटखा ही है, जिसने विविधताओं से भरे देश को एकजुट करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है…

वैसे तो शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ही तुम्हें घर बैठ जाना था… दुनिया में अब एक ही चौधरी व्हाइट हाउस वाले बचे हैं और दूसरे चौधरी के लिए कबड्डी जारी है। आज तुम्हारे रचियता स्वर्ग में बैठे इयान फ्लेमिंग का सीना अवश्य 56 इंच का हो गया होगा कि उनका जेम्सबॉण्ड भारत की धरा पर गुटखा बेच रहा है… हम भारतवासियों ने ही गुटखे का आविष्कार किया और  इसकी पिचकारी से कोई सड़क या बिल्डिंग का कोना बिना चित्रकारी से अछूता न रहा… गुटखा खाने में भारतवंशियों की कोई जोड़ ही नहीं है और मौका आए तो इसकी तलब लगने पर कोई अम्बानी किसी ठेला चलाने वाले  रामलाल से भी गुटखा मांगकर खा सकता है… ये गुटखा ही है, जिसने विविधताओं से भरे देश को एकजुट करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है…

हे जेम्सबॉण्ड, तुम्हारी पिछली फिल्म के प्रदर्शन के वक्त हमारे भारतीय सोशल मीडिया के पुरोधाओं ने तुम्हें संस्कारी बनाने और बताने के प्रयासों में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी… धोती पहनाकर माथे पर चंदन का टीका भी लगा दिया था… जब से देश में संस्कारी और भक्तों की भीड़ बढ़ी है, तब से हे जेम्सबॉण्ड, तुम्हें लुच्चाई करने की इजाजत कैसे दी जा सकती है… वो जमाने बीत गए जब तुम सुरा-सुंदरियों से घिरे नजर आते थे और हैरतअंगेज गेजेट्स का इस्तेमाल करते हुए अपनी एस्टिन मॉर्टिन कार में दांतों तले ऊंगलियां दबाने वाले करतब दिखाते  रहे… बीती फिल्मों में तो जेम्सबॉण्ड को रियलस्टीक बनाने के भी कम प्रयास नहीं किए गए और अभी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हमारे डोभाल साहब के कारनामे भी फुर्सतिया चैनलों ने तुम्हारी स्टाइल में ही पेश किए…

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आज के जेम्सबॉण्ड डेनियल क्रैग को तो रियलस्टीक बताने के चक्कर में कई बार पिटवा भी दिया गया… जेम्सबॉण्ड के रूप में अब डेनियल की पारी भी खत्म होने को है और उनके लिए भी हमारे देश में काम की कमी नहीं रहेगी। कल से क्रैग साहब भी किसी पतंजलि बीयर का विज्ञापन करते नजर आ सकते हैं… बहरहाल, आज तो अपनी तबियत पान बहार बेचते पीयर्स ब्रासनन को देखकर गद्गद् हो गई… 200 साल तक साले अंग्रेजों ने हमारे देश पर राज किया, तो क्या आज हम उनके ब्रिटिश 007 जासूस जेम्सबॉण्ड से गुटखा तक नहीं बिकवा सकते… हे जेम्सबॉण्ड, तुम निश्चिंत रहो… पर्दे पर काम मिलना बंद होने के बाद हमारे देश में तुम्हारे लिए बहुत अवसर मौजूद हैं… अभी तो तुम्हें कच्छे-बनियान भी बेचना है..! बाबा भी जीन्स-टी शर्ट बनाने जा रहे हैं, उसके लिए भी बॉण्ड गल्र्स की जरूरत पड़ेगी ही..! हे जेम्सबॉण्डों, भारत की धरा पर बारातियों की तरह तुम्हारा स्वागत है…                  

एक ब्राण्डप्रेमी

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राजेश ज्वेल

[email protected]

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