हिन्दुस्तान अखबार को चलाने वाली कंपनी हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड (एचएमवीएल) के एचआर हेड को उप श्रमायुक्त गोरखपुर ने नोटिस जारी किया है। नोटिस के जरिये कंपनी के प्रतिनिधि को बुलाया गया है ताकि कंपनी अपना पक्ष रख सके। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 7 फरवरी 2015 तक सभी अखबार चार किश्तों में मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर का पूर्ण भुगतान कर दें। नवम्बर की 11 तारीख और वर्ष 2011 से 10 जनवरी 2013 तक के मेरे एरियर का भुगतान कंपनी को 18 प्रतिशत कंपाउंड ब्याज के साथ मुझे बिना मांगे देना चाहिये था। मैंने बड़ी विनम्रता से माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समयावधि का इंतजार किया। जब एक पाई कंपनी ने नहीं भेजा तब कंपनी के एचआर हेड और समूह संपादक को पत्र भेजकर अपना एरियर मांगा। इस बेशर्म कंपनी ने जवाब तक नहीं दिया।
मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सबसे कमजोर श्रेणी की कंपनी को सीनियर स्टाफ रिपोर्टर को कम से कम 8000-10000 मासिक की बेसिक देनी चाहिये। इन नबाबों ने सिर्फ 3750 रूपये प्रति माह बेसिक दिया, जबकि ये क्लास वन में आते हैं और उस हिसाब से इन्हें मुझे 17000 मासिक का बेसिक देना चाहिये था। इस कंपनी ने मुझे लगभग 15000 का कुल मासिक वेतन दिया जबकि देना 63000 मासिक चाहिये था। एचएमवीएल कंपनी, एचटी मीडिया समूह का अंग है जिसका औसत रेवेन्यू 1000 करोड़ प्रति वर्ष से ज्यादा रहा है। लिहाजा कंपनी को क्लास वन के हिसाब से एरियर देना पड़ेगा। अब करीब 14 माह के बकाये एरियर का कंपनी को ब्याज समेत भुगतान करना होगा।
हालांकि यह ढीठ कंपनी इतनी आसानी से पैसा नहीं देगी। एमाउंट पर विवाद फंसाकर लेबर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़वाएगी। हम भी लड़ने को तैयार हैं। हम वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट की जिस धारा 17(1) के तहत लड़ रहे हैं, उसमें क्लेम पाने का अधिकार मेरे बच्चों तक का है। यानी इस पीढ़ी में लड़ाई पूरी न हुई तो अगली पीढ़ी उस लड़ाई को लड़ सकेगी। और कंपनी जब तक इस लड़ाई को खींचेगी तब तक प्रति वर्ष 18 प्रतिशत कंपाउंड ब्याज लगता रहेगा। यानी यह लड़ाई एक प्रकार का बीमा कवर भी है। कंपनी भी यह तथ्य जानती है लेकिन वह मामले को सिर्फ इस नाते लिंगर आन करेगी और 2-10 साल तक फंसाएगी ताकि दूसरे पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारी लड़ने की हिम्मत न जुटा सकें। और हो भी यही रहा है। पूरे यूपी में एचएमवीएल के साथी घुट रहे हैं लेकिन क्लेम नहीं लगा पा रहे हैं।
जिन 14 लोगों ने यूपी में मजीठिया को लेकर क्लेम लगाया/शिकायत की उनमे से 13 टर्मिनेट हो गए और एक का तबादला कर दिया। उनको भी देर सबेर टर्मिनेट कर देंगे। हांलाकि इन 14 में जो भी अंत तक लड़ेगा वह मजीठिया वेज बोर्ड के साथ हैवी मुआवजा लेकर बहाल होग। बस नुकसान इतना होगा कि चुप बैठे साथियों का हक मारा जाएगा, क्योंकि जब तक ये साथी चुप्पी तोड़ेंगे तब तक एचएमवीएल कंपनी नये नाम से अवतार ले चुकी होगी। ऐसे में कोई क्लेम नहीं हो पाएगा और बाकी साथी शायद अपने हक से हाथ धो बैठें। कंपनी भय का व्यापार कर अपने मकसद में सफल होती दिख रही है। जो साथी इस लड़ाई में हैं या आने वाले हैं वे हौसला रखें। आय के अन्य उचित साधनों की तलाश कर लें। हम यह लड़ाई जरूर जीतेंगे। जो लड़ेगा, वह विजयी होगा और उसके दिन जरूर बदलेंगे।
“मजीठिया क्रांति की जय”
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वेद प्रकाश पाठक “मजीठिया क्रांतिकारी”
स्वतंत्र पत्रकार, कवि, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट
संयोजक-हेलमेट सम्मान अभियान गोरखपुर 2016
आवास-ग्राम रिठिया, टोला पटखौली, पोस्ट पिपराईच
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