मेरी लड़ाई पत्रकारों या अखबारों से नहीं, कंपनियों की शोषक नीतियों से लड़ रहा हूं
मित्रों,
दस साल हो गए पत्रकारिता में। इस दरम्यान टीवी, रेडियो, कई दैनिक सांध्य अखबारों, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान जैसे कार्पोरेट अखबारों, साप्ताहिक अखबारों, डिजीटल मीडिया और मैगजीन में सेवाएं दीं। स्वतंत्र पत्रकार के रूप में डिजीटल मीडिया व एक सांध्य दैनिक अखबार में लेखन और रेडियो पत्रकारिता अभी भी जारी है। एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं। मेरी लड़ाई न किसी अखबार से है और न ही किसी पत्रकार से। मैं उन कंपनियों से लड़ रहा हूं जो अखबारों में काम करने वाले पत्रकारों के साथ धोखा कर रही हैं। उनका आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण कर रही हैं। इस लड़ाई में शोषित सभी पत्रकार साथी मेरे साथ हैं। बस चंद ऐसे पत्रकार मेरे विरोधी हैं जो कंपनियों द्वारा गुमराह किये जा रहे हैं। ऐसे विरोधी साथियों के प्रति भी मेरी पूरी हमदर्दी है। भरोसा है कि एक न एक दिन वह भी मेरे साथ जरूर आएंगे।