Yashwant Singh : लॉकडाउन 3.0 में ग़ाज़ीपुर से नोएडा यात्रा… कल देर रात नोएडा पहुंच गया. बनारस, जौनपुर आदि जिलों के बार्डर पर तो पुलिस वाले मुस्तैदी से चेकिंग करते, गाड़ी नंबर नोट करते दिखे पर नोएडा में हम लोगों को किसी चिड़िया ने भी न पूछा कि हे मनुष्य कहां से आये हो, कहां को जाओगे, क्या गुल खिलाओगे!
बस मनुष्य विहीन बैरिकेडिंग के बीच से स्लो मोशन में कार निकालते हुए आगे बढ़ते जाना था. गौर सिटी में भी गेट पर कोई रोकटोक नहीं. एक गार्ड ने पहचाना और पूछा कि बहुत दिनों बाद दिखे भइया? जवाब दिया- हम भी फंस गए थे भइया, आज आ पाया हूं!
सिक्योरिटी इंचार्ज से मांग कर अपना हाथ सैनिटाइज किया. खुद के आने की एंट्री की रजिस्टर में. ये बस एक नया काम करना पड़ा.
पूरा नोएडा जैसे आटो मोड में आ गया लगता हो. रात के वक्त सड़कें एकदम खाली. टाइम साढ़े दस साढ़े ग्यारह के बीच का था. बीच सड़क पर बैठे कुत्ते इस शहर के आदमियों के सिकुड़-सिमट जाने का ऐलान कर रहे थे.
न कोई पूछने वाला न जांचने वाला न चेक करने वाला. लग रहा जैसे लॉकडाउन 3.0 बस केवल कहने भर को है. अघोषित तौर पर ये मान लेना चाहिए कि लाकडाउन खत्म किया जा चुका है. जिलों के बार्डर पर बस केवल गाड़ी नंबर नोट किए जा रहे ताकि एक साइकोलाजिकल प्रेशर जनता पर बने. नोएडा में प्रवेश के वक्त तो ये फार्मल्टी भी पूरी न की गई.
खैर, कल जब लखनऊ एक्सप्रेस-वे से आ रहे थे तो एक जगह बीच में गाड़ी खड़ी कर यूं ही हल्के होने के लिए नीचे खेतों की तरफ चल पड़े. तभी ध्यान जमीन में गड़े छेददार पाइप की तरफ गया.
मैं जिनकी गाड़ी से आ रहा था वह इंजीनियर हैं, सिंचाई विभाग में. इन जैन साहब ने मुझे इस छेददार पाइप के बारे में जो कहानी बताई वह सीरियसली काफी पसंद आई. पानी बचाने के लिए ऐसे उपक्रम जगह जगह किए जाने चाहिए.
देखें वीडियो-
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.