मुकेश अम्बानी के चैनल टेक ओवर करने के बाद ibn7 की टीआरपी दूरदर्शन के आसपास है। जबसे उमेश उपाध्याय ने इस आईबीएन7 चैनल की कमान संभाली है, उसकी पूरी कोशिश चैनल को बर्बाद करने की है। अगर आशुतोष और राजदीप ने सैकड़ों की नौकरी खाकर पेट पे लात मारी तो देश के सबसे बड़े बिज़नेस ग्रुप के चैनल ने एक-एक करके पत्रकारों से रोज़ी लेने का काम शुरू किया है। उदाहरण देकर बात करते हैं। ब्रिज दुग्गल 1.75 लाख रुपये प्रति माह की तनख्वाह लेकर पूरे असाइनमेंट का कामकाज सँभालते थे। उमेश ने उनका तबादला रांची कर दिया। जब दुग्गल ने पूछा कि क्या आप रांची में पौने दो लाख का रिपोर्टर रखेंगे तो उन्हें बोला गया- हाँ, हम इस चाहते हैं।
मज़ेदार बात ये है कि रांची में ibn7 के 25 हज़ार रूपए महीने की तनख्वाह लेने वाले जयशंकर को इसी चैनल ने इसलिए निकाल दिया था क्योंकि चैनल को वहां ब्यूरो नहीं स्ट्रिंगर की ज़रूरत थी। आलोक वर्मा नाम के एक क्राइम रिपोर्टर जिन्होंने अपनी सारी जिंदगी दिल्ली पुलिस मुख्यालय के आसपास गुज़ारी, उनका तबादला बिहार के भागलपुर कर दिया गया। पूछने पर आलोक को बोला गया कि हमें बिहार में सीनियर लोगों को भेजना है। आलोक भागलपुर ज्वाइन किये। आलोक की तनख्वाह करीब 1 लाख रुपए है। किसी भी चैनल के पास भागलपुर में केवल स्ट्रिंगर ही हैं। आलोक के पास न गाड़ी है न ऑफिस है और न कैमरा है।
नीरज गुप्ता ibn7 के पोलिटिकल एडिटर थे। उनका तबादला पटना किया गया। नीरज की तनख्वाह करीब पौने दो लाख है। जब नीरज ने कहा कि इतना महंगा रिपोर्टर पटना क्यों भेज रहे हैं तो उन्हें बोला गया कि हमें बिहार मज़बूत करना है। यहाँ ये बताना ज़रूरी है कि पटना में काम करने वाले किसी भी चैनल चाहें वो हिंदी हो या इंग्लिश हो, की तनख्वाह नीरज के बराबर नहीं है। यहाँ ये भी बताना ज़रूरी है कि पटना में ibn7 के ब्यूरो चीफ चंद्रमोहन को मात्र 35000/- रूपए मिलते थे और उनको दिल्ली इसलिए बुला लिया गया क्योंकि ये भी तनख्वाह चैनल पर भारी पड़ रही थी। आप ही सोचिए- पौने दो लाख बनाम पैंतीस हज़ार।
चर्चा है कि आउटपुट से कुछ और लोगों का तबादला बिहार होना है। इसी क्रम में आउटपुट के तस्लीम खान को रिसर्च पर भेज दिया गया है और करीब तीन अन्य लोगों को बिहार भेजा जाना ज़रूरी है। जानकारों के मुताविक उमेश उपाध्याय की सारी कवायद एक जाति विशेष के लोगों को फ़ायदा पहुँचाने की है और हर वो शख्स जो उनकी जाति का नहीं है, वो उनका शिकार होगा। चैनल में विद्रोह का माहोल है। मालिक चैनल के लोगों से न मिलते हैं न उनकी पीड़ा को समझते हैं। करोड़ों अरबों के इस चैनल को ऐसे लोगों के हाथ सौंप दिया है जिनके ऊपर चैनल डुबाने की ही तोहमत लगी है। सूत्रों से खबर ये है कि चैनल के सीईओ पारिगी ने कोशिश की हालात बेहतर हों लेकिन वो उमेश के रसूख के चलते अभी तक कामयाब नहीं हो पाये। उमेश दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के भाई हैं और दोनों दिल्ली में रिलायंस की पॉवर सप्लाई करने वाली कंपनी से धंधा करते हैं, जिसको लेकर केजरीवाल प्रेस में चीख चीख कर बयान दे चुके हैं। इतने ख़राब माहौल के बावजूद उमेश इसलिए बचे हैं क्योंकि उनको ibn में लाने वाले उनके मित्र रोहित बंसल रिलायंस बोर्ड के सदस्य हैं।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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Comments on “उमेश उपाध्याय ने आईबीएन7 का सत्यानाश कर दिया, कइयों को इधर-उधर फेंका, देखें लिस्ट”
aisa bhi to ho sakta hai ki abhi aane bale dino me bihar me election hai un karno se inka transfer kiya gaya ho
IBN men bhi ek senior abhi ladki ke sath bathroom men pakda gaya. Yahan channel ko chamkane aaya tha