नई दिल्ली । 26 जनवरी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्वायत्तशासी संस्था भारतीय जन संचार संस्थान में तिरंगा नहीं फहराया गया। प्रशासन की तरफ़ से कोई भी अधिकारी या उसका प्रतिनिधि तक संस्थान में बारह बजे भी मौजूद नहीं था। तब ऐसे में आईआईएमसी के छात्रावास में रह रहे कुछ जागरुक प्रशिक्षुओं ने इस मामले को संज्ञान में लिया और अपने ही खर्च में बाज़ार से तिरंगा झण्डा और कुछ फूल ख़रीद कर संस्थान में वापस आए और तिंगा फहराया।
सुबह बारह बजे तक जब आईआईएमसी में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया तो वहां के छात्रावास में रह रहे प्रशिक्षुओं ने इसका संज्ञान लिया। उन्होने संस्थान की प्रचीर में तिरंगा फहराने केलिए सर्वसम्मति से योजना बनाई और इसके लिए संस्थान में मौजूद कुछ कर्मचारियों और गार्ड्स से प्रशिक्षुओं ने इसकी सूचना दी कि वह संस्थान में तिरंगा फहराना चाह रहे हैं। किन्तु गार्डों का कहना था कि हमें कोई आदेश नहीं दिया गया है और न ही ऐसी कोई सूचना ही है कि आज झंडारोहण होना है। गार्डों की बात सुनकर प्रशिक्षु हैरत में आ गए और उन्होने गार्डों से कहा कि क्या इसके लिए किसी आदेश और योजना की ज़रूरत पड़ती है? आज हमारा गणतंत्र दिवस है और हम इसके लिए सुबह से इंतज़ार में हैं कि अभी राष्ट्रध्वज फहरेगा और राष्ट्रगान के बाद मिष्ठान वितरित किया जाएगा, किन्तु ऐसा नहीं हुआ, जबकि दोपहर के एक बज चुके हैं। अंत तक दोनो पक्षों में बात नहीं बन पाई और प्रशिक्षु तिरंगा फहराने के अपने निर्णय और धर्म पर टिके रहे।
इसके बाद का सिलसिला ये रहा, कि प्रशिक्षु संस्था के मुख्य द्वार से ही तिरंगा फहराने के स्थल तक चढ़ गए और क्रान्तिकारी तरीके से आईआईएमसी के माथे पर तिरंगा बांधा। इसको लेकर इन युवाओ में काफी उत्साह देखने को मिल रहा था। इन्होने प्रशासन पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया है। इस मामले में सबसे पहले झंडारोहण स्थल तक पहुंच कर झंडा फहराने वाले नीरज प्रियदर्शी का कहना है कि आज गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर जहां देश के हर कोने में बैठा युवा जोश और देश-प्रेम के रंग में डूबा है, वैसी स्थिति के बरक्स हम यहां पर संवेदनहीनता का पाठ सा पढ़ रहे हैं, ये सब सीखने को हमे प्रशासन मजबूर कर रहा है। लेकिन वास्तव में हम संवेदनहीन हैं नहीं। इसीलिए हमने यह निर्णय किया है कि अपने संस्थान में हम तिरंगा अवश्य फहराएंगे, और इसीलिए हमने ऐसा किया। वहीं इस युवा दल का नेतृत्व कर रहे सूरज पाण्डेय ने भी प्रशासन सहित आईआईएमसी एलुमनी एसोसिएशन(इम्का) की निश्क्रियता पर भी सवाल उठाएं हैं और कहा है कि इम्का भी जब हर कदम पर हमारे साथ रहता है तो इस तरह के गम्भीर मामलों में भी उसे संस्था की ख़बर लेनी चाहिए। उन्होने कह कि हम जानना चाहते हैं कि प्रशासन ने क्यूं तिरंगा नहीं फहराया और यदि कोई भी अपिहार्य कारण रहा भी तो हम छात्रों को इसकी कोई सूचना क्यों नहीं दी गई।
बहरहाल ज्ञात हो कि 66वें गणतंत्र दिवस के दिन पत्रकारिता का मक्का कहे जाने वाले भारतीय जनसंचार संस्थान में राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया गया, ऐसी स्थिति में वहां के छात्रावास में रह रहे प्रशिक्षुओं के एक दल ने वहां स्वयं से तिरंगा फहराया और मिष्ठान स्वरूप चॉकलेट्स आपस में तथा कर्मचारी और गार्डों के बीच बांटकर पर्व का जश्न मनाया।
आईआईएमसी छात्र अमित राजपूत की रिपोर्ट.