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आयोजन

पत्रकारों के लिए ipolicy वर्कशॉप, चार से छह सितंबर तक

सेंटर फार सिविल सोसायटी (सीसीएस), एटलस नेटवर्क व फ्रेडरिक न्यूमन फाऊंडेशन (एफएनएफ) के संयुक्त तत्वावधान में आजादी.मी लेकर आए हैं पत्रकारों के लिए ipolicy (लोकनीति में सर्टिफिकेट) कार्यक्रम। 4-6 सितंबर, 2015 तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रस्तुति का माध्यम हिंदी होगी। इस कार्यशाला में आवेदन के लिए सभी भाषाओं (हिंदी, ऊर्दू, अंग्रेजी इत्यादि) के सभी माध्यमों (टीवी, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाओं इत्यादि) में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकार (स्थायी/अस्थायी) स्वीकार्य हैं। 

<p>सेंटर फार सिविल सोसायटी (सीसीएस), एटलस नेटवर्क व फ्रेडरिक न्यूमन फाऊंडेशन (एफएनएफ) के संयुक्त तत्वावधान में आजादी.मी लेकर आए हैं पत्रकारों के लिए ipolicy (लोकनीति में सर्टिफिकेट) कार्यक्रम। 4-6 सितंबर, 2015 तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रस्तुति का माध्यम हिंदी होगी। इस कार्यशाला में आवेदन के लिए सभी भाषाओं (हिंदी, ऊर्दू, अंग्रेजी इत्यादि) के सभी माध्यमों (टीवी, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाओं इत्यादि) में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकार (स्थायी/अस्थायी) स्वीकार्य हैं। </p>

सेंटर फार सिविल सोसायटी (सीसीएस), एटलस नेटवर्क व फ्रेडरिक न्यूमन फाऊंडेशन (एफएनएफ) के संयुक्त तत्वावधान में आजादी.मी लेकर आए हैं पत्रकारों के लिए ipolicy (लोकनीति में सर्टिफिकेट) कार्यक्रम। 4-6 सितंबर, 2015 तक चलने वाली इस कार्यशाला में प्रस्तुति का माध्यम हिंदी होगी। इस कार्यशाला में आवेदन के लिए सभी भाषाओं (हिंदी, ऊर्दू, अंग्रेजी इत्यादि) के सभी माध्यमों (टीवी, रेडियो, समाचार पत्र, पत्रिकाओं इत्यादि) में कार्यरत श्रमजीवी पत्रकार (स्थायी/अस्थायी) स्वीकार्य हैं। 

कार्यशाला में प्रस्तुतिकरण का माध्यम हिंदी होगी। यह कार्यशाला तीन दिवसीय (दो रात, तीन दिन) की होगी जो आवासीय होगी। अर्थात चयनित आवेदकों को पूरे पाठ्यक्रम के दौरान उपस्थित रहना होगा और अपरिहार्य परिस्थितियों के अतिरिक्त पाठ्यक्रम को बीच में छोड़कर जाने की अनुमति नहीं होगी। कार्यशाला के दौरान सामाजिक समस्याओं के मूल कारणों और सरकारी नीतियों के शिक्षा, गरीबों के लिए रोजगार, सुशासन पर होनेवाले परिणामों का जायजा लिया जाएगा। यह पाठ्यक्रम पत्रकारों को खबर खोजने तथा घटनाओं और प्रवृत्तियों के तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए नई दृष्टि प्रदान करेगा।

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लोक नीति के बारे में समझ बढ़ने से पत्रकार तब ज्यादा सजग और जिज्ञासु हो जाता है जब लोक नीतियों के इरादों और उसके गैर इरादतन परिणामों के बीच फर्क करना होता है। अक्सर इस बात की उपेक्षा की जाती है कि नीतियों की विकास की समस्याओं और सामाजिक संघर्ष पैदा करने में सीधी भूमिका होती है। सेंटर फार सिविल सोसायटी का उद्देश्य यह समझ पैदा करना है कि किस तरह सामाजिक समस्याएं वर्तमान नीतियों का परिणाम हैं या वह गैर अच्छी नीतियों के कारण बिगड़ती जा रही हैं। सामाजिक बदलाव को प्रभावित करने के लिए लोक नीति पर ध्यान केंद्रित करके आई पालिसी भारतीय पत्रकारिता की गुणवत्ता और नैतिक आधार को मजबूत बनाना चाहती है।

पत्रकारों के लिए कुछ बुनियादी लाभ

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• भारत के प्रमुख जनमत निर्माताओं ,समीक्षकों,ब्लागरों और रिपोर्टरों से संपर्क और उनके अनुभवों के बारे में जानने का अवसर। साथ ही पब्लिसिटी,एडवोकेसी और रिपोर्टिंग तकनीक की नवीनतापूर्ण जानकारी।

• वर्तमान सामाजिक समस्याएं और शासन की स्थिति को सुधारने और सभी गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ मुहैया कराने  में सरकार,बाजार और सिविल सोसायटी की भूमिकाओं को परिभाषित करना।

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• वस्तुनिष्ठ तथ्यों और आत्मनिष्ठ दृष्टिकोणों के अंतर को स्पष्ट करना।

मीडिया संस्थाओं को बुनियादी लाभ 

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रिपोर्टिंग की गुणवत्ता में सुधार, जैसे मुख्य मुद्दों के गहन विश्लेषण के द्वारा तथ्यों और राय के बीच के घालमेंल को कम करना,और पाठकों को वास्तविक और समसामयिक समाधानों से अवगत कराना।लोक नीति और विकास की दिशा को तय करने में लोक नीति की भूमिका के बारे में समझ बढ़ाना। नीति निर्माताओं को सोचने और सवाल करने के तरीके उपलब्ध कराना ।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिल्ली, जयपुर, पटना, मसूरी, जिम-कॉर्बेट और गुवाहाटी में इस तरह के पाठ्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें एसोशिएट प्रेस, पीटीआई, टाइम्स ऑफ इंडिया, लाइव मिंट, हिंदुस्तान टाइम्स, लोकसभा टीवी, लाइव इंडिया, जी न्यूज, सहारा न्यूज, एनडीटीवी, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, प्रभात खबर, संडे इडियन जैसे मीडिया संगठनों के पत्रकारों ने हिस्सा लिया। इन कार्य़क्रमों में भाग लेने वाले पत्रकारों ने अपने संगठनों में लौटकर अपने साथियों को उन बातों से अवगत कराया जो उन्होंने इन पाठ्यक्रमों में सीखीं थीं और जिन मुद्दों में उनकी दिलचस्पी थी उन पर दीर्घकालिक कार्य़ शुरू किया।

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कौन भाग ले सकता है ?

जन माध्यमों (टीवी, रेडियो, अखबार, पत्रिका) में कार्यरत वरिष्ठ संवाददाता, फीचर लेखक, उप संपादक, सह संपादक, प्रोड्यूसर और एंकर को आमंत्रित करता है। प्राप्त आवेदनों में से योग्यता के आधार पर चयन किया जाता है।

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कृपया ध्यान दें :

• आवेदन व मनोनयन पत्र प्राप्त करने के लिए लिंक http://ccs.in/register-ipolicy-journalists-sep-2015 को कॉपी कर यूआरएल बॉक्स में पेस्ट करें।  

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• चुने गए प्रतिभागियों के लिए पाठ्यक्रम की पूरी अवधि के दौरान उपस्थित रहना होगा। तभी उन्हें लोकनीति के बारे में प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

• पाठ्यक्रम में रजिस्ट्रेशन के लिए 500 रुपए का शुल्क लिया जाएगा। कार्यशाला स्थल तक आने जाने, दो रात- तीन दिन ठहरने, नाश्ता, दो समय के भोजन और चाय आदि की व्यवस्था सीसीएस द्वारा की जाएगी।

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सभी आवेदन और मनोनयन 20 अगस्त 2015 तक मिल जाने चाहिए।

किसी भी अन्य जानकारी के लिए संपर्क करें अविनाश चंद्र – [email protected]/9999882477,अथवा 26537456 विस्तार 25 पर संपर्क करें अथवा www.azadi.me पर क्लिक करें…

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सेंटर फार सिविल सोसायटी के बारे में

सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी की स्थापना 15 अगस्त, 1997 को की गई थी। यह एक दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र, लाभ न कमाने वाला, अनुसंधान और शैक्षिक थिंक टैंक है। जो नागरिक समाज को पुर्नजीवित करते हुए और राजनीतिक समाज की पुनर्रचना के द्वारा  भारत के समस्त नागरिकों के लिए अवसर और समृद्धि बढ़ाने, जीवन की गुणवता में सुधार लाने के काम में लगा हुआ है। हमारा उद्देश्य है मुख्य नीतिगत मुद्दों विशेषकर  सुशासन, जीविका और शिक्षा के क्षेत्र में बाजार आधारित समाधान और नवीनतापूर्ण सामाजिक समुदायिक संसाधन बनकर लोकनीति के जरिये सुधार लाना। हम अनुसंधान कार्यक्रमों, सेमिनारों और प्रकाशनों के माध्यम से लोगों के विचारों, अभिमतों और विचार पध्दति में परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं। हम सीमित नियंत्रण, विधि सम्मत शासन, मुक्त व्यापार और व्यक्तिगत अधिकारों की हिमायती हैं। सीसीएस अकादमी पत्रकारों, यंग लीडर्स, डेवलपमेंट लीडर्स के लिए शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है। जहां प्रतिभागी समाजिक समस्याओं के नीति पर आधारित समाधानों पर मंथन करते हैं।

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अविनाश चंद्र के एफबी वाल से

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