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सुख-दुख

इस आईपीएस अफसर को पुलिस पदक मिलने पर एक पत्रकार ने क्यों दी दिल से बधाई?

सुधीर सिंह गब्बर आजमगढ़ में भारत समाचार चैनल के रिपोर्टर हैं. अपने बेबाक स्वभाव के लिए चर्चित सुधीर पर इसी योगी राज में कुछ अफसरों ने साजिश कर कई गंभीर केस थोप दिए. वजह ये कि सुधीर ने सच्चाई छुपाने में अफसरों के गैंग का साथ देने की जगह उसे उजागर करने का साहसिक काम किया. इसी से चिढ़े पुलिस अफसरों ने गब्बर को सबक सिखाने के लिए कई झूठे केस लगा दिए.

पत्रकार सुधीर गब्बर

हर तरफ से खुद को घिरता देख सुधीर सिंह गब्बर ने पुलिस के बड़े अफसरों और लखनऊ के पत्रकारों-नेताओं से गुहार लगाई. भड़ास समेत कई पोर्टलों, मीडिया संस्थानों ने गब्बर को झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भेजने की साजिशों के बारे में प्रकाशित किया.

योगी सरकार का ये वो दौर था जब पूरे प्रदेश में सही खबर लिखने वाले पत्रकारों पर फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज हो रहे थे और उन्हें जेल भेजा जा रहा था. उस समय आजमगढ़ के डीआईजी मनोज तिवारी हुआ करते थे. इनकी सक्रियता की वजह से बच्चों से स्कूल में झाड़ू लगाने की खबर पर जेल भेजे गए जनसंदेश अखबार के रिपोर्टर संतोष जायसवाल रिहा हो पाए. पुलिस संरक्षण में गोकसी से संबंधित खबर छापने पर सुधीर सिंह गब्बर पर पुलिस की मिलीभगत से 5 फ़र्ज़ी मुक़दमे लगाए गए थे. इन मुकदमों को समाप्त कराने में इसी आईपीएस अफसर मनोज तिवारी ने सक्रिय भूमिका निभाई.

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आजमगढ़ की जिला पुलिस द्वारा सुधीर पर लादे गए फर्जी केसों की निष्पक्ष जांच तत्कालीन डीआईजी मनोज तिवारी ने कराई. जब पता चला कि कोई भी केस सही नहीं है और सारा कुछ पत्रकार को परेशान करने, दबाव में लेने के लिए किया गया है तो मनोज तिवारी ने फौरन पहल कर सारे केस हटवाए.

आईपीएस मनोज तिवारी

यही मनोज तिवारी इन दिनों आईजी हैं और फायर सर्विस गंगटोक सिक्किम) में डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं. इन्हें राष्ट्रपति द्वारा इस गणतंत्र दिवस पुलिस पदक से सम्मानित किया गया. आजमगढ़ के पत्रकार सुधीर को जब मनोज तिवारी को राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से सम्मानित किए जाने की सूचना मिली तो वो खुद को रोक न पाए और मनोज तिवारी की प्रशंसा में सोशल मीडिया पर अपनी मन की बात कह दी.

पढ़िए सुधीर ने क्या कुछ लिखा है-

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15 साल की पत्रकारिता के जीवन में तमाम आईएएस और आईपीएस अफसरों से सीधे जुड़ाव हुआ। लेकिन कुछ चुनिंदा आईपीएस अफसरों ने अपनी ईमानदारी, कर्मठता, लोकप्रियता और दुनिया के सामने सच कहने का साहस रखने के कारण प्रभावित किया है। सच के लिए अडिग रहने वालों में एक प्रमुख नाम है- IG पुलिस मनोज तिवारी। इन्हें माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस पदक से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई… श्री तिवारी 2003 बैच के इंडियन पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश जौनपुर जिले के निवासी हैं। श्री मनोज तिवारी जी उत्तर प्रदेश में में कई जिलों में पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ पुलिसअधीक्षक /डीआईजी के रूप में सेवा दे चुके हैं। पुलिस अधीक्षक औरैया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक /डीआईजी झाँसी, सहारनपुर, मुरादाबाद. नरिष्ठ पुलिसअधीक्षक /डीआईजी, एस टीएफ डीआईजी, डीआइजी जोन आजमगढ़ , डीआईजी जोन चित्रकूट आदि पदों पर अपनी उत्कृष्ट सेवा का लोहा मनवा चुके हैं।

श्री मनोज तिवारी जी उत्तरप्रदेश के पुलिस विभाग में अपने अच्छे कार्यों से हमेशा मिशाल पेश करते रहे। औरैया के पुलिस अधीक्षक रहते लाल कार्ड की वजह से चर्चा में रहे। लाल कार्ड से ही अपराधियों पर अंकुश लगाते हुए शांतिपूंण चुनाव कराकर वाहवाही ली। फिर झांसी जनपद में शांति व्यवस्था कायम करते हुए लावारिश पड़े वाहनों को उनके मालिकों तक पहुंचाया। उसी समय सहारनपुर की कानून व्यवस्था ठीक नहीं चल रही थीं तो उन्हे सहारनपुर का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया। पहुंचते ही कुछ ही महीनों में कानून व्यवस्था को पटरी पर ला दिया। दंगा, आंदोलन सब बन्द हो गए। चुनाव आयोग ने उनके द्वारा किए अच्छे कार्यों की वजह से उन्हें मुरादाबाद के वरिष्ठ पुलिस कप्तान की जिम्मेदारी दी। वहां पर शांतिपूर्ण चुनाव कराने में सफल रहे। अभी लावारिस वाहनों का निपटारा कर ही रहे थे कि तभी उत्तर प्रदेश के डीजीपी श्री सुलख़ान सिंह जी का ध्यान तिवारी जी के कार्यों पर गया। उन्होंने मुरादाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक श्री मनोज तिवारी जी के द्वारा चलाए जा रहे कार्यों को एजेंडा बना कर पूरे प्रदेश के पुलिस प्रमुखों को निर्देशित किया था कि थानों में पड़े वाहन उनके मालिकों तक पहुचाएं।

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2019 में आज़मगढ़ के डीआईजी रहते बहुत जल्द लोगों के दिलों पर छा गए। इनके डीआईजी रहते आज़मगढ़ के भ्रष्ट पुलिस अफसरों पर जमकर नकेल कसी गई। एक समय था जब भ्रष्टाचार उजागर करने पर प्रदेश भर के पत्रकारों पर फ़र्ज़ी मुकदमे ताबड़तोड़ दर्ज़ हो रहे थे। यह प्रचलन में आ गया था कि कोई पत्रकार अगर खबर करता है और उसकी सत्य खबर अगर चुभ रही है तो उस पर मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेज दो या चुप करा दो। आज़मगढ़ में स्कूल में बच्चों से झाड़ू लगाने की खबर पर जनसंदेश अखबार के रिपोर्टर संतोष जायसवाल पर मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेज दिया गया तो मेरे ऊपर पुलिस की मिलीभगत से गोकसी कांड का खुलासा करने पर कप्तान के इशारे पर 5 फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज कराए गए।

लेकिन वह केवल मनोज तिवारी जी की ईमानदारी थी कि गलत को गलत कहा। शासन के निर्देश पर मामले की जांच कराई और पुलिस की पोल खोल दी। पत्रकारों पर दर्ज़ फ़र्ज़ी मुकदमों में गैर जनपद से निष्पक्ष जांच करा कर भ्रष्ट पुलिसिंग की साजिशों से बचाया। आपको बहुत बहुत बधाई। आप अपनी ईमानदारी के दम पर और ऊँचाई पाएं, यही ईश्वर से कामना है।

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-सुधीर सिंह
रिपोर्टर भारत समाचार टीवी / प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, आज़मगढ़।

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