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दैनिक जागरण में सरकारी विज्ञापन छापने पर लगी रोक

पेड न्यूज के मामले की जांच के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिया आदेश, केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद डीएवीपी ने जारी किया निलंबन का आदेश, दैनिक जागरण पर पेड न्यूज यानि पैसे लेकर खबर छापने का आरोप हुआ साबित
नई दिल्ली। मीडिया इंडस्ट्री से एक चौंकाने वाली ख़बर आ रही है। पेड न्यूज यानि पैसे लेकर खबर छापने के मामले में बड़ी  कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने दैनिक जागरण के सरकारी विज्ञापन पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में डीएवीपी को निर्देशित करते हुए कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि कि दैनिक जागरण सहित 51 समाचार पत्र जिन्होंने पेड न्यूज छापा है उन्हें किसी भी तरह से सरकारी विज्ञापन ना जारी किया जाए। केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई पत्रकार एवं पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के बाद किया है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने ही दैनिक जागरण द्वारा पेड न्यूज छापने के मामले की जांच की। जांच में दैनिक जागरण अपने पक्ष में ठोस एवं पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर पाया।

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पेड न्यूज के मामले की जांच के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिया आदेश, केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद डीएवीपी ने जारी किया निलंबन का आदेश, दैनिक जागरण पर पेड न्यूज यानि पैसे लेकर खबर छापने का आरोप हुआ साबित
नई दिल्ली। मीडिया इंडस्ट्री से एक चौंकाने वाली ख़बर आ रही है। पेड न्यूज यानि पैसे लेकर खबर छापने के मामले में बड़ी  कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने दैनिक जागरण के सरकारी विज्ञापन पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में डीएवीपी को निर्देशित करते हुए कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि कि दैनिक जागरण सहित 51 समाचार पत्र जिन्होंने पेड न्यूज छापा है उन्हें किसी भी तरह से सरकारी विज्ञापन ना जारी किया जाए। केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई पत्रकार एवं पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के बाद किया है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने ही दैनिक जागरण द्वारा पेड न्यूज छापने के मामले की जांच की। जांच में दैनिक जागरण अपने पक्ष में ठोस एवं पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर पाया।

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ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान दैनिक जागरण ने पैसे लेकर खबरों का प्रकाशन किया था। हालांकि पूर्व में भी दैनिक जागरण में इस तरह की खबरें प्रकाशित की जाती रही हैं लेकिन अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान दैनिक जागरण द्वारा पैसे लेकर खबर छापने के मामले में उस समय भी बड़ी कार्रवाई हुई थी। गाजियाबाद सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में दैनिक जागरण के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुए थे। गाजियाबाद पुलिस ने उस समय दैनिक जागरण के मालिक संजय गुप्ता सहित उसके कई संपादकों को गिरफ्तार करने के लिए जागरण के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी एवं दबिश दी थी।

दबिश के दौरान संजय गुप्ता किसी तरह बच गए थे। लेकिन पुलिस ने jagran.com के संपादक शेखर त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया था । दैनिक जागरण के संपादक शेखर त्रिपाठी को गाजियाबाद पुलिस ने कवि नगर थाने के लॉकअप में रात भर बंद रखा था। बाद में उन्हें कोर्ट से जमानत मिली थी। शेखर त्रिपाठी ने कहा था कि यह न्यूज़ दैनिक जागरण मैनेजमेंट के कहने पर छापा गया था। खुद को फंसा हुआ देख और जेल जाने के डर से सहमे संजय गुप्ता ने पेड न्यूज छापने के लिए कंपनी के विज्ञापन विभाग को जिम्मेदार बताया  था। दैनिक जागरण के इस कुकृत्य कि मीडिया इंडस्ट्री में एवं पत्रकार बिरादरी में खूब थू – थू हुई थी।

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The Hindu Hindustan Times Indian Express Jansatta सहित देश के सभी बड़े प्रमुख एवं सम्मानित राष्ट्रीय अखबारों ने दैनिक जागरण के इस कृत्य की निंदा करते हुए खबरें प्रकाशित की थी। पत्रकारिता के गिरते हुए स्तरं को बचाने एवं उसे फिर से सुधारने के लिए दैनिक जागरण को कसूरवार मानते हुए वरिष्ठ पत्रकारों ने कड़ी कार्रवाई की मांग प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से की थी। प्रसिद्ध पत्रकार एवं इंदिरा गांधी कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने इस मामले में दैनिक जागरण के प्रधान संपादक के गिरफ्तारी की मांग की थी। रामबहादुर राय ने कहा था कि दैनिक जागरण के प्रधान संपादक एवं मालिक संजय गुप्ता हैं ऐसे में उन्हें हर हाल में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। पैसे लेकर खबर छापने के मामले में दैनिक जागरण की पहले भी किरकिरी हो चुकी है वर्ष 2009 में दैनिक जागरण में सभी चुनावी खबरें पैसे लेकर छापी गई थी।

दैनिक जागरण के मालिकों को कटघरे में रखते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन ने कहा था कि दैनिक जागरण में खबर छापने के बदले में उनसे पैसे मांगे जा रहे हैं। लालजी टंडन ने कहा कि दैनिक जागरण के मालिक एहसान फरामोश एवं धोखेबाज हैं। दैनिक जागरण के मालिकों को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया एवं राज्यसभा मैं सांसद बनाया लेकिन वह लोग इस एहसान को भी भूल गए।

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जनसत्ता अखबार के संपादक ओम थानवी ने भी संजय गुप्ता को प्रायश्चित करने की सलाह दी थी और पेड न्यूज के मामले में दैनिक जागरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र सुरजन अरुण महेश्वरी उर्मिलेश सहित सभी नामी गिरामी पत्रकारों ने एवं संपादकों ने दैनिक जागरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। उस समय दैनिक जागरण के एक संपादक की गिरफ्तारी के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए और इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दैनिक जागरण को दोषी करार दिया। सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा 13 सितंबर 2017 को जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि अगले 2 महीने तक दैनिक जागरण को मिलने वाले सरकारी विज्ञापन पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। 2 महीना पूरा होने के बाद ही इस बारे में सोचा जाएगा कि क्या फिर से दैनिक जागरण को सरकारी विज्ञापन की मान्यता के दायरे में लाया जाए कि नहीं लाया जाए।

मूल खबर…

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