दैनिक जागरण में बड़े पैमाने पर संपादकों के तबादले, मनोज झा बने बिहार के स्टेट हेड

दैनिक जागरण अखबार में बड़े पैमाने पर संपादकों के तबादले की खबर आ रही है. चर्चा है कि कुल आठ संपादक इधर से उधर किए गए हैं. कुछ को प्रमोट करके संपादक बनाया गया है. सबसे बड़ा फेरबदल दिल्ली और बिहार में हुआ है. दैनिक जागरण के दिल्ली-एनसीआर के संपादक मनोज झा को बिहार का …

दैनिक जागरण में सरकारी विज्ञापन छापने पर लगी रोक

पेड न्यूज के मामले की जांच के बाद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिया आदेश, केंद्र सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद डीएवीपी ने जारी किया निलंबन का आदेश, दैनिक जागरण पर पेड न्यूज यानि पैसे लेकर खबर छापने का आरोप हुआ साबित
नई दिल्ली। मीडिया इंडस्ट्री से एक चौंकाने वाली ख़बर आ रही है। पेड न्यूज यानि पैसे लेकर खबर छापने के मामले में बड़ी  कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने दैनिक जागरण के सरकारी विज्ञापन पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी में डीएवीपी को निर्देशित करते हुए कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि कि दैनिक जागरण सहित 51 समाचार पत्र जिन्होंने पेड न्यूज छापा है उन्हें किसी भी तरह से सरकारी विज्ञापन ना जारी किया जाए। केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई पत्रकार एवं पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के बाद किया है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने ही दैनिक जागरण द्वारा पेड न्यूज छापने के मामले की जांच की। जांच में दैनिक जागरण अपने पक्ष में ठोस एवं पर्याप्त सबूत नहीं पेश कर पाया।

शेम शेम दैनिक जागरण! मजीठिया मांगने पर संकट से घिरे वरिष्ठ पत्रकार का जम्मू कर दिया तबादला

दैनिक जागरण बिहार का अमानवीय शोषणकारी चेहरा…दैनिक जागरण के वरिष्ठ एवं ईमानदार पत्रकार पंकज कुमार का मजीठिया के अनुसार वेतन मांगने पर जम्मू किया तबादला…. वीआरएस लेने  के लिए जागरण प्रबंधन बना रहा है दबाव… बिहार के गया जिले में दैनिक जागरण के पत्रकार पंकज कुमार अपनी बेख़ौफ़ एवं निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जाते …

आइडिया चोरी करने और धमकाने के मामले में दैनिक जागरण पर हुआ मुकदमा

दैनिक जागरण वाले चोरी और सीनाजोरी के लिए कुख्यात हैं. ताजा मामला पटना का है. मानस कुमार उर्फ राजीव दुबे अपनी कंपनी चलाते हैं. उन्होंने बिल्डरों और आर्किटेक्ट्स पर आधारित ‘बिल्डकान’ नामक एक प्रोग्राम करने का इरादा बनाया. इसके लिए गल्ती से उन्होंने एक ऐसे आर्किटेक्ट (नाम- विष्णु कुमार चौधरी) की मदद ली जो दैनिक जागरण से भी जुड़ा हुआ था. उस आर्किटेक्ट ने सारा आइडिया दैनिक जागरण वालों को बता दिया.

दैनिक जागरण प्रबंधन ने अपने सभी संपादको को भूमिगत होने का निर्देश दिया!

खोज खोज कर जागरण सम्पादकों को पकड़ रही है पुलिस… चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में देश की सर्वोच्च चुनावी अथॉरिटी चुनाव आयोग द्वारा दैनिक जागरण के 15 जिलों के संपादकों सहित प्रधान संपादक और प्रबंध निदेशक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश का अनुपालन करते हुए यूपी पुलिस संपादकों को गिरफ्तार करने में जुट गई है. शेखर त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें जमानत मिल गई.

जागरण न्यूज़ पेपर के MD आशुतोष मोहन की गन्दी बात सुनिए

मुझसे जुलाई 2015 में छतरपुर की जागरण रीवा ब्यूरोशिप और एजेंसी के नाम पर इंदौर रीवा जोन जागरण के एमडी आशुतोष मोहन ने HDFC का 25000 का चेक लिया था, जो कि 28-07-15 को क्लीयर भी हो गया। बाद में इन लोगों ने किसी तरह का कोई पेपर न भेजा और ना ही कोई खबरें प्रकाशित की। आज करीब एक साल बाद तक पैसा वापस करने की बात ये लोग कहते रहे लेकिन पैसे लौटाए नहीं।

जिन लोगों ने ABVP के खिलाफ ज्ञापन दिया, जागरण ने उन्हीं को बता दिया अभाविप कार्यकर्ता!

जागरण वाले ये क्या छाप देते हैं… देखिए एक ब्लंडर : बदायूं में कल जिस अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के विरोध में वकीलों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन दिया था, आज दैनिक जागरण अख़बार ने उसी ABVP का वकीलों को कार्यकर्ता बता कर खबर छाप दिया. सुबह दैनिक जागरण अखबार देखकर वकील सकते में आ गए. एबीवीपी के खिलाफ ज्ञापन दिया था और उन्हें ही बता दिया गया एबीवीपी कार्यकर्ता. इस ब्लंडर को लेकर दैनिक जागरण के पाठकों में भारी रोष है. वकीलों ने माफीनामा न छापने पर अखबार के बहिष्कार की धमकी दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन और संजय गुप्ता को तलब किया

मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न करने और सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानून, न्याय, संविधान तक की भावनाओं की अनदेखी करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने आज दैनिक जागरण के मालिकों महेंद्र मोहन गुप्ता और संजय गुप्ता को अगली सुनवाई पर, जो कि 25 अक्टूबर को होगी, कोर्ट में तलब किया है. आज सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू न किए जाने को लेकर सैकड़ों मीडियाकर्मियों द्वारा दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई हुई.

गाली गलौज पर उतरे दैनिक जागरण रांची के संपादक, रिपोर्टर को तलवे चाटने वाला कहा

रिपोर्टर ने भी दिया करारा जवाब, कहा- आरोप लगाने से पहले सबूत दिखाइए

रांची दैनिक जागरण में इस समय सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नवागत संपादक किशोर झा और उनके पिछलग्गुओं की मनमानी से लोग त्रस्त हैं। अभी दो दिन पूर्व किशोर झा ने दैनिक जागरण के रिपोर्टर्स के WhatsApp group में एक रिपोर्टर को भ्रष्ट और लोगों के तलवे चाटने वाला कह डाला। संपादक के इस व्यवहार से पूरी जागरण टीम सकते में आ गई। संबंधित रिपोर्टर को यह बात इतनी नागवार लगी कि वह भी ग्रुप में ही सार्वजनिक रूप से मोर्चा खोलते हुए संपादक से भिड़ गया और संपादक से अपने ऊपर लगाए गए भ्रष्टाचार के सबूत मांगने लगा।

मूर्ख पत्रकार अवनींद्र कमल ने मुस्तकीम को रोजे में चाय पीते हुए बताया और इसे दैनिक जागरण ने छाप दिया!

Wasim Akram Tyagi : दैनिक जागरण का एक पत्रकार अवनीन्द्र कमल कैराना पहुंचा. लौटकर अपने हिसाब से ‘बेहतरीन’ रिपोर्ताज लिखा. शीर्षक है- ”फिलहाल कलेजा थामकर बैठा है कैराना”. यह रिपोर्ताज जागरण के 20 जून के शामली संस्करण में प्रकाशित भी हो गया. अब जरा इन महोदय की लफ्फाजी देखिये…

दैनिक जागरण के मालिक और मैनेजर भगवान से नहीं डरते लेकिन जनता को भगवान के नाम पर डराते हैं, देखें तस्वीरें

ये तस्वीरें दैनिक जागरण लखनऊ कार्यालय के बाहर की हैं. इसे कहते हैं- ”पर उपदेश कुशल बहुतेरे” यानि जो लोग भगवान से ना डरते हुए अपने कर्मियों को उनका मजीठिया वेज बोर्ड वाला कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक हक नहीं दे रहे हैं, वे ही लोग जनता को ईश्वर की नजर में होने का भय दिखाकर पेशाब न करने, कूड़ा न फेंकने की अघोषित हिदायत दे रहे हैं.

एबीसी आंकड़े : भास्कर ने देश और अमर उजाला ने उत्तर प्रदेश में बजाया दैनिक जागरण का बैंड

एबीसी के आंकड़े अभी आफिसियली जारी नहीं किए गए हैं लेकिन इसकी वेबसाइट पर डाले जा रहे आंकड़े मार्केट में सरकुलेट होने लगे हैं. ऐसा एबीसी के मेंबर अखबारों को एबीसी वेबसाइट पर मिली लागिन सुविधा के कारण संभव हो पा रहा है. भास्कर और अमर उजाला ने आंकड़े निकाल कर यह बता दिया है कि दैनिक जागरण की हर तरफ से बैंड बज रही है.

दैनिक जागरण के गाजियाबाद कार्यालय में उठापटक, इंदू शेखावत ने भूपेंद्र तालान के खिलाफ थाने में दी तहरीर

गजियाबाद । अधिकारियों की चाटुकारिता और खबरों के एवज में वसूली जैसे आरोपों के कारण चर्चा में रहने वाले दैनिक जागरण के गाजियाबाद कार्यालय में उठापटक और सिर फुटव्व्ल की नौबत आ गयी है। ताजा मामला नगर निगम के आयुक्त अब्दुल समद के पक्ष में प्लांट करके लगायी जा रही खबरों से जुड़ा है। नगर निगम की बीट जागरण संवाददाता भूपेंद्र तालान देखते हैं। काफी समय से तालान पर यह आरोप लग रहे थे कि वह नगर आयुक्त के पक्ष में जागरण में पाजिटीव खबरें लगाा रहे हैं। इस मामले में जागरण के प्रबंधन को शिकायतें भी मिल रही थीं, लेकिन ब्यूरो चीफ राज कौशिक का सानिध्य होने के कारण तलान पर कभी आंच नहीं आयी।

गलत खबर छपने से नाराज गाजीपुर के वकीलों ने दैनिक जागरण अखबार फूंका (देखें तस्वीरें)

गाजीपुर : जिले में आज सुबह से वकीलों ने दैनिक जागरण अखबार के खिलाफ भांति भांति तरीके से गुस्सा निकाला. कल 26 अप्रैल को पेशी पर आये एक अपराधी के उपर गोली मारने की घटना के बाद अधिवक्ताओं ने गोली मारने वाले अपराधियों को पकड़ने की कोशिश की. वहां मौजूद पुलिस कर्मियों की निष्क्रियता पर पुलिस व अधिवक्ताओं में झड़प भी हो गयी. कहा जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम और खबर को निष्पक्षता से न प्रकाशित कर दैनिक जागरण ने एकतरफा ट्रीटमेंट दिया. दैनिक जागरण की खबर में कहा गया है कि अधिवक्ताओं ने अपराधी को पकड़ने की कोई कोशिश नहीं बल्कि अपराधियों को भागने में मदद किया.

जागरण के आजादी वाले कार्यक्रम में विनीत कुमार क्या जागरणकर्मियों के शोषण की बात रख पाएंगे?

Yashwant Singh : आज मंच जागरण का, परीक्षा विनीत कुमार की… ‘मीडिया मंडी’ किताब के लेखक विनीत कुमार मीडिया विमर्श में उभरते नाम हैं। विनीत बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं। मीडिया संस्थानों के दोहरे मानदंडों को बेनकाब करने में विनीत कोई उदारता नहीं बरतते। सामाजिक मुद्दों पर भी विनीत की लेखनी ईमानदार और …

दैनिक जागरण ने इलाहाबाद के पूर्व मेयर चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह को जीते जी मार दिया

दैनिक जागरण महान अखबार है. यहां कभी मायावती के लिए गंदी गंदी गालियां छप जाया करती हैं तो कभी जिंदा लोगों को मरा घोषित कर दिया जाता है. ताजा मामला इलाहाबाद एडिशन का है. कल दैनिक जागरण इलाहाबाद में पेज नंबर नौ पर एक छोटी सी खबर छपी है जिसमें बताया गया है कि पूर्व मेयर चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह के निधन के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष निर्मल खत्री ने उनके घर पहुंचे और उन्होंने वहां शोक संतप्त परिवार को सांत्वाना दी.

दैनिक जागरण की कुत्सित मानसिकता पर बुलंदशहर के सफाईकर्मियों का प्रहार, आफिस को कचरे से पाटा (देखें वीडियो)

बुलंदशहर में डीएम संग जबरन सेल्फी खिचाने वाले आरोपी की वकालत करने वाले दैनिक जागरण को अब समाज के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 5 दिनों से महिला विरोधी मानसिकता से की जा रही पत्रकारिता पर जिले के सफाईकर्मियों ने प्रहार कर दिया है। महिला सम्मान की इज्जत उतारने वाले दैनिक जागरण का आफिस कूड़े से पाट दिया गया है और सफाईकर्मियों ने ऐलान किया है कि अगर अपनी बदतमीजियां जागरण ने बंद नही की तो पूरे शहर का कचरा जागरण के आफिस पर डाला जायेगा।

संजय गुप्ता यानि स्वतंत्रता का दुश्मन

Shrikant Singh : देश के इस दुश्‍मन को अच्‍छी तरह पहचान लें… दोस्‍तो, देश के दुश्‍मनों से लड़ने से कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण उन्‍हें पहचानना है। सीमापार के दुश्‍मनों से कहीं अधिक खतरनाक दुश्‍मन देश के अंदर हैं। आप उन्‍हें पहचान गए तो समझिए हमारी जीत पक्‍की। हम आपका ध्‍यान देश के एक ऐसे दुश्‍मन की ओर दिलाना चाहते हैं, जो पुलिस, प्रशासन, देश की न्‍यायपालिका और यहां तक कि देश की व्‍यवस्‍था तक को प्रभावित कर अपनी मुनाफाखोरी के जरिये इस देश को लूट रहा है। आप पहचान गए होंगे। हम दैनिक जागरण प्रबंधन की बात कर रहे हैं। आज 26 जनवरी है। गणतंत्र दिवस। इस दिन एक वाकया याद आ रहा है।

दैनिक जागरण चंदौली में गलत खबर छपने पर संपादक को नोटिस जारी

वर्ष 2012 के अक्टूबर व नवम्बर माह में दैनिक जागरण के चंदौली संस्करण में मुगलसराय से प्रकाशित हुये दो भ्रामक समाचारों की शिकायत को संज्ञान में लेने के बाद भारतीय प्रेस परिषद ने वादी व जागरण के वाराणसी के सम्पादक को सुनवाई के लिये नोटिस जारी किया है। सुनवाई वर्ष 2016 के 5 जनवरी को सुनिश्चित है। विदित हो कि वर्ष 2012 के अक्टूबर माह के 19 तारीख को जागरण के पृष्ठ संख्या 02 पर ”बिजली कटौती के विरोध में क्रमिक अनशन” नामक शीर्षक से समाचार प्रकाशित हुआ था जो पूरी तरह गलत था। वादी राजीव कुमार ने स्पष्ट किया था कि दिनांक 17 अक्टूबर को एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल किया जायेगा और किया भी गया था। इसका समाचार लगभग सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से 18 अक्टूबर के अंक में प्रकाशित किया था, जागरण को छोड़कर। उसी समाचार को दैनिक जागरण ने 19 अक्टूबर को क्रमिक अनशन के रूप में दिखाया।

मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार… पढ़िए एक युवा ने क्यों कर लिया सुसाइड

Vinod Sirohi : जरूर शेयर करें —मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार — आप पर कोई बंदिश नहीं है आप इस मैसेज को बिना पढ़े डिलीट कर सकते हैं। अगर आप पढ़ना चाहें तो पूरा पढ़ें और पढ़ने के बाद 5 लोगों को जरूर भेजें।

मेरा नाम राहुल है। मैं हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना का रहने वाला हूँ। आप भी मेरी तरह इंसान हैं लेकिन आप में और मुझमें फर्क ये है कि आप जिन्दा हैं और मैंने 19 अगस्त, 2015 को रेल के नीचे कटकर आत्महत्या कर ली।

दैनिक जागरण कर्मियों ने अपने मालिक और संपादक संजय गुप्ता के आवास के बाहर प्रदर्शन कर अपना हक मांगा

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों ने बुधवार को अखबार के मालिक संजय गुप्ता के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने महारानी बाग से लेकर न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी तक जुलूस निकाला और संजय गुप्ता के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

बदतमीज और क्रूर जागरण प्रबंधन के खिलाफ जाने-माने वकील परमानंद पांडेय ने पीएम मोदी को पत्र भेजा

Shri Narendra Modi
Hon’ble Prime Minister of India
New Delhi

Sub.: Exploitation, victimization and harassment of the Dainik Jagran employees

Hon’ble Pradhan Mantri ji,

We write to you with pain and anguish over the exploitation and victimization of newspaper employees by their proprietors that has crossed all limits. The saddest part of it is that the Governments- Central as well as the States- have become the mute spectators to this sordid state-of-affairs.

दैनिक जागरण के क्रूर उत्पीड़न के शिकार होकर अधनंगे हो चुके इन सैकड़ो मीडियाकर्मियों को आपके समर्थन की जरूरत है

Yashwant Singh : अदभुत वक्त है ये. अदभुत सरकार है ये. ताकतवर लोगों, कट्टर लोगों, पूंजीवादी लोगों, बाहुबली लोगों का राज चल रहा है. सरकार जनता के मसलों पर चुप है. महंगाई पर चुप है, उत्पीड़न पर चुप है, शोषण पर चुप है. बस केवल जो अनर्गल मुद्दे हैं, उनको हवा दी जा रही है, अनर्गल मुद्दों के आधार पर जनता का बंटवारा किया जा रहा है. मोदी से मीडिया वालों को बहुत उम्मीदें थीं. आखिर कांग्रसी अराजकता का दौर जो खत्म हुआ था. लेकिन मोदी ने मीडिया वालों को यूं निराश किया और अराजकता की ऐसी कहानी लिखनी शुरू की है कि सब सकते में है.

जागरण कर्मियों का आंदोलन जारी, दूसरे दिन भी बैनर-पोस्टर के साथ बैठे धरने पर (देखें तस्वीर)

दैनिक जागरण धर्मशाला यूनिट के आंदोलनकारी जागरणकर्मियों ने दूसरे दिन भी धरना प्रदर्शन जारी रखा. मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से सेलरी देने, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्गत आदेशों को मानने, कर्मचारियों को बहाल करने संबंधी कई मांगों को लेकर दैनिक जागरण धर्मशाला के मीडियाकर्मी इन दिनों हड़ताल पर चल रहे हैं. यह हड़ताल नोएडा से लेकर हिसार, पानीपत, जम्मू, जालंधर, धर्मशाला आदि जगहों पर है. प्रबंधन जैसे तैसे अखबार छाप पा रहा है.

धर्मशाला जिला मुख्यालय में दैनिक जागरण के खिलाफ निकला जुलूस, लगे नारे (देखें तस्वीरें)

धर्मशाला, 15 अक्तूबर। मजीठिया वेज बोर्ड के तहत वेतनमान व एरियर की मांग करने पर दैनिक जागरण से सस्पेंड किए गए धर्मशाला यूनिट के कर्मियों ने आज जिला मुख्यालय में रैली निकाल कर दैनिक जागरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जगरण प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने पर सस्पेंड किए गए 18 कर्मियों ने पहले दैनिक जागरण की पठानकोट-मनाली एनएच किनारे शाहपुर के बनोई में स्थित प्रेस के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू किया था। वीरवार को वे जिला मुख्यालय में पहुंचे और यहां दैनिक जागरण के मालिक संजय गुप्ता और प्रबंधन के खिलाफ नारे लिखी तख्तियां लेकर जमकर नारेबाजी की।

दैनिक जागरण वाले चोर ही नहीं, बहुत बड़े झुट्ठे भी हैं… देखिए इनका ये थूक कर चाटना

दैनिक जागरण के मालिक किसिम किसिम की चोरियां करते हैं. कभी कर्मचारियों का पैसा मार लेते हैं तो कभी कानूनन जो देय होता है, उसे न देकर फर्जी लिखवा लेते हैं कि सब कुछ ठीक ठाक नियमानुसार दिया लिया जा रहा है. ऐसे भांति भांति के फर्जीवाड़ों और चोरियों का मास्टर दैनिक जागरण समूह अब तो बहुत बड़ा झुट्ठा भी घोषित हो गया है. यही नहीं, जब इसका झूठ पकड़ा गया तो इसे थूक कर चाटने को मजबूर किया गया और इसे ऐसा करना भी पड़ा.

प्रतिमा भार्गव केस में प्रेस काउंसिल ने दैनिक जागरण और आई-नेक्स्ट को दोषी ठहराते हुए लताड़ा, …लेकिन बेशर्मों को शर्म कहां!

आगरा की रहने वाली प्रतिमा भार्गव ने मीडिया के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई जीत ली है. लेकिन दुख इस बात का है कि बेशर्म मीडिया वाले इस खबर को कतई नहीं छापेंगे. अगर इनमें थोड़ी भी नैतिकता होती तो प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के इस फैसले को न सिर्फ प्रकाशित करते बल्कि खुद के पतने पर चिंता जताते, विमर्श करते. प्रतिमा भार्गव के खिलाफ एक फर्जी खबर दैनिक जागरण आगरा और आई-नेक्स्ट आगरा ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. अनाप-शनाप आरोप लगाए.

दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक, कार्मिक प्रबंधक और मार्केटिंग मैनेजर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज

मीडिया संस्थानों में गजब का खेल है। भले ही लोगों को बाहर से कुछ दिखता हो, लेकिन इसकी हालत आम कारोबार की तरह है। मुनाफा की होड़ में हर तरह के हथकंडे अख्तियार किए जा रहे हैं। देश का नम्बर वन अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक जागरण अखबार में भी तरह—तरह के खेल हैं। मामला कार्यस्थल पर सम्मान का है। फिलहाल इस अखबार में सीनियर मार्केटिंग एक्जक्यूटिव के पद पर कार्यरत पीड़ित महिला कर्मचारी ने गौतमबुद्ध नगर थाना में दैनिक जागरण के मुख्य महाप्रबंधक नीतेन्द्र श्रीवास्तव, कार्मिक प्रबंधक देवानंद कुमार उर्फ मुन्ना और नोएडा के मार्केटिंग मैनेजर नकुल त्यागी पर भारतीय दंड विधान की धारा 354ए और 504बी के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया है। यह मुकदमा कांड संख्या 643/15 के अन्तर्गत दर्ज किया गया है।

दैनिक जागरण नोएडा में यूनियन ने सीजीएम को बता दी औकात, महिला कर्मियों को करना पड़ा बहाल

इसे कहते हैं यूनियन की ताकत. दैनिक जागरण नोएडा के चीफ जनरल मैनेजर नीतेंद्र श्रीवास्तव ने मार्केटिंग से दो महिला कर्मियों को निकाल बाहर किया तो ये महिला कर्मी दैनिक जागरण की नई बनी यूनियन तक पहुंच गईं और अपनी आपबीती सुनाई. यूनियन ने सीधे सीजीएम नीतेंद्र श्रीवास्तव की केबिन पर धावा बोला और नीतेंद्र को घेर कर दोनों कर्मियों को बहाल करने का आदेश जारी करने के लिए मजबूर कर दिया. नीतेंद्र को लोगों ने जमकर खरी खोटी सुनाने के बाद भांति भांति के विशेषणों से नवाजा. बस केवल मारा नहीं. उधर, नीतेंद्र भी कहां बाज आने वाला था. बहाली के अगले रोज दोनों कर्मी जब काम पर आईं तो इन्हें साइन यानि कार्ड पंचिंग करने से रोक दिया गया और इन्हें कैंपस में इंटर नहीं करने दिया गया. इसके बाद यूनियन की पहल पर दोनों कर्मियों ने नोएडा पुलिस स्टेशन और लेबर आफिस में शिकायत डाल दी है या शिकायत करने की तैयारी कर ली है.

जागरण प्रबंधन चाहता है किसी तरह पुराने कर्मचारियों से निजात मिल जाए!

Shrikant Singh :  जंग ‘जागरण’ ने शुरू की, समापन हम करेंगे… मित्रों, आज कल मैं फेसबुक पर दैनिक जागरण प्रबंधन की हरकतों के बारे में कुछ नहीं लिख रहा हूं। इस पर कुछ मित्रों ने शिकायत भी की है। क्‍या करूं, आप तो जानते ही हैं-सबसे बड़ा रुपैया। ऐसा न होता तो जागरण प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को धता क्‍यों बताता। तमाम कर्मचारियों को बेवजह क्‍यों परेशान करता। कभी कचहरी का भी मुंह न देखने वाले लोग सुप्रीम कोर्ट में दस्‍तक क्‍यों देते। बेजुबान लोग क्रांतिकारी क्‍यों बन जाते।

दैनिक जागरण के फोटो जर्नलिस्ट मदन मौर्य की ये तस्वीरें बहुत बड़ी खबर बन सकती थी लेकिन आफिस वाले मैनेज हो गए!

मेरठ में एक फोटोग्राफर हैं मदन मौर्या. सीनियर फोटो जर्नलिस्ट हैं. जमाने से दैनिक जागरण की ही सेवा में है. बेहद मुंहफट और बेबाक. चोर के मुंह पर चोर कह देना उनका रोज का नियम है. चोर चाहे सीनियर पत्रकार हो या सीनियर पुलिस / प्रशासनिक अधिकारी. मदन मौर्य की इमानदारी और मुंहफटई के कारण सब चुपचाप उनकी सुनते, उन्हें झेलते रहते हैं. दैनिक जागरण, मेरठ के मालिकान बहुत अच्छे से मदन के इमानदार स्वभाव को जानते हैं, इसलिए वो मदन के खिलाफ ढेर सारी प्रायोजित शिकायतों को डस्टबिन में डालते रहते हैं, मदन के आफिस के लोगों के बारे में कड़वे बोल को सुन कर अनसुना करते हुए भी उस पर चुपचाप अमल करते जाते हैं. मदन का काफी समय से सबसे बड़ा दुख ये कि जिनके कंधों पर सिटी की रिपोर्टिंग का जिम्मा है, उन्होंने निजी स्वार्थवश पूरे पत्रकारिता के तेवर को धंधेबाजी में तब्दील कर रखा है. मदन अपने कैमरे के जरिए जिस सरोकारी व तेवरदार पत्रकारिता को अंजाम देते हैं, उसे उनके आफिस वाले कुछ लोग बेच खाने को तत्पर हो जाते हैं. ये सारी बातें और भूमिका मदन के स्वभाव-संस्कार के बारे में बताने के लिए थीं. अब आते हैं असली खबर पर.

दैनिक जागरण मेरठ के सीनियर फोटो जर्नलिस्ट मदन मौर्य

मजीठिया: बाजू में काली पट्टी, मौन व्रत, रंग लाया जागरण कर्मियों का संघर्ष, बढ़ा वेतन

पिछले महीने दैनिक जागरण नोएडा के कर्मी अपनी जायज मांगों को लेकर प्रतीकात्‍मक आंदोलन पर थे। इसके साथ ही उन्‍होंने 16 जुलाई को हड़ताल का नोटिस प्रबंधन को थमाया हुआ था जिसके बाद जागरण कर्मियों की एकता से घबराये हुए प्रबंधन ने वार्ता का लंबा दौर चलाया। इस दौरान प्रबंधन अपनी कुटिलता से बाज नहीं आया और हड़ताल रुकवाने के लिए अदालतों में याचिका दायर करता रहा परंतु जागरणकर्मियों ने भी जैसे दृढ़ निश्‍चय कर रखा था कि अब संस्‍थान में पुरानी परिपाटी नहीं चलने देंगे। अब और अत्‍याचार सहन नहीं करेंगे। अपना जायज हक लेकर रहेंगे। प्रबंधन की कुटिल चालों से वार्ता को पटरी पर आते न देख जागरण कर्मियों ने मौन व्रत पर जाने का निर्णय लिया।

दिल्ली पुलिस ने झूठी खबर पर जागरण को थमाया नोटिस

दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी राजन भगत ने दैनिक जागरण के संपादक को प्रेषित एक लिखित स्पष्टीकरण में आगाह किया है कि वह अपने संवाददाता को विभाग के संबंध में अनधिकृत खबरें न देने की ताकीद करें। साथ ही, दैनिक जागरण में “आप की खबरें करती हैं लोगों का मनोरंजन: भीम सेन बस्सी” शीर्षक से प्रकाशित समाचार पर हमारा पक्ष ठीक से प्रकाशित करें। 

मजीठिया वेतनमान : दैनिक जागरण के मीडिया कर्मी भर रहे प्रपत्र-सी, आप क्‍यों रहें पीछे !

दैनिक जागरण के स्‍थायी, अनुबंधकर्मी और अंशकालिक मीडिया कर्मियों ने प्रपत्र-सी को भर लिया है और जो रह गए हैं, वह भी इन्‍हें जल्‍द ही भरने जा रहे हैं। ऐसे में अन्य अखबारों के मीडिया कर्मी पीछे क्‍यों रह रहे हैं। यदि किसी के पास प्रपत्र-सी नहीं है तो जल्‍द इसे साइट से डाउनलोड कर ले। नहीं तो जागरण के साथियों से संपर्क करे, वे मदद करेंगे। यदि जागरण छोड़ने के बाद किसी अन्‍य संस्‍थान में कार्य कर रहे हैं तो भी प्रपत्र-सी को भरने के लिए पुराने सहयोगियों से संपर्क कर सकते हैं।

अब दारूबाज करते हैं दैनिक जागरण में भविष्‍य का फैसला

चौथे स्‍तंभ का यह कलंक है या कुछ और…अब कुछ दारूबाज मिल कर करते हैं दैनिक जागरण में संपादकीय विभाग के कर्मचारियों के भविष्‍य का फैसला। पिछले एक साल का रिकार्ड देखें तो जिन लोगों को प्रमोशन या इंक्रीमेंट मिला है, उनमें अधिकतर दारूबाज हैं, जो अपने सरगना के लिए शाम को दारू की व्‍यवस्‍था करते हैं। दारू की इस व्‍यवस्‍था के बदले में उन्‍हें मोटी तनख्‍वाह मिलती है। काम के मामले में ये कितने काबिल हैं, वह बात किसी से छिपी नहीं हैं। पिछले दिनों इस गिरोह के सदस्‍यों ने एक सप्‍लीमेंट प्‍लान किया, जिसके लिए चवन्‍नी का विज्ञापन नहीं मिला। उससे मालिक संजय गुप्‍ता इन दारूबाजों से खासे खफा हैं।

जागरण के ‘रेडियो सिटी’ के खिलाफ टीवी टुडे का सौ करोड़ मानहानि का दावा

टीवी टुडे नेटवर्क ने अपने सलाहकार संपादक राजदीप सरदेसाई पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने मुंबई हाईकोर्ट में दैनिक जागरण के एफएम स्‍टेशन ‘रेडियो सिटी’ के खिलाफ 100 करोड़ रुपए की मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया है। मुंबई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति गौतम पटेल की पीठ में विचाराधीन मामले पर तात्कालिक निर्देश दिया गया है कि ‘रेडियो सिटी’ प्रबंधन उस टिप्पणी का दोबारा प्रसारण न करे। मामले पर 11 अगस्त को अंतिम सुनवाई होनी है। अदालत ने रेडियो सिटी को 28 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। 

जब निशिकांत ठाकुर ने पहला शिकार रामजीवन गुप्ता को बनाने की चाल चली थी…

साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड के संघर्ष में हम एकजुट होकर विरोधस्वरूप काली पट्टी बांधकर जागरण प्रबंध तंत्र की मजबूत नींव को हिलाने में कामयाब जरूर हुए लेकिन वर्तमान की एकता से घबराए प्रबंध तंत्र अंदर ही अंदर किसी भयानक षड्यंत्र को रचने से बाज नहीं आएंगे। 1991 की बात है। 8-10-1991 की मध्यरात्रि में हड़ताल का बिगुल बजने पर तात्कालिक सुपरवाइजर प्रदुमन उपाध्याय ने एफ-21, सेक्टर-8 (मशीन विभाग) में ले जाकर यूनियन से अलग होने और यूनियन का बहिष्कार करने के एवज में नकदी की पेशकश की थी।

नोएडा हिंदुस्‍तान में एक और विकेट चटका, दो और के अखबार छोड़ने की अटकलें

दैनिक हिंदुस्‍तान नोएडा कार्यालय में इन दिनों हताशा का माहौल है। इन्‍क्रीमेंट में उपेक्षा और भेदभाव का शिकार हुए लोग लगातार संस्‍थान का दामन छोड़ रहे हैं। इस माह अब तक तीन लोग संस्थान छोड़ चुके हैं, जिनमें विनीत राय, प्रभात उपाध्‍याय और मनोज द्विवेदी शामिल हैं। 

सलाम जागरणकर्मियों, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था दैनिक जागरण में यूनियन बनेगी

: यूनियन के रूप में अवतरित दसावतार, जागरण कर्मियों की एकता मिसाल बनेगी : आपके हौसले, आपकी एकजुटता, आपका जुनून रंग ला रहा है। इस जुनून के आगे पहाड़ जैसा जागरण प्रबंधन की कोई चालबाजी कामयाब नहीं हो रही। यही पहली जीत है। दैनिक जागरण में कार्यरत सभी भाइयों से आग्रह है- आपकी एकता, धैर्य और संगठित रहना अन्य संस्थान के कर्मियों के लिए मिसाल बनती जा रही है। कभी जागरण में यूनियन बनेगी- ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा।

कर्मचारियों से निपटने के लिए दमन की रणनीति बनाने में जुटा जागरण प्रबंधन, कोई भी कार्रवाई भारी पड़ना भी तय

दैनिक जागरण नोएडा का प्रबंधन अब आंदोलन की धमक से सहम चुका है। अब वह बड़ी कार्रवाई पर मंत्रणा में मशगूल हो गया है। कर्मचारी बहादुरी से अपनी मांगों पर अटल रहते हुए पूरी तरह आरपार की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं। ताजा सूचना ये मिल रही है कि जागरण मालिक और प्रबंधक अब संस्थान के आंदोलित पुराने कर्मचारियों को हटा कर नई भर्ती करने की योजना बना रहे हैं। नई भर्ती के लिए इंटरव्यू लिए जा रहे हैं। जो लोग यूनियन में शामिल हैं,  उनको हटाने की तैयारी की जा रही है। हालाँकि ये भी कहा जा रहा है की यह चर्चा यूनियन की एकता तोड़ने के लिए प्रबंधन द्वारा फैलाई जा रही है।

दैनिक जागरण नोएडा में काली पट्टियां बांधकर प्रबंधन की नीतियों का विरोध जताते कर्मचारी

जागरण के जिंदा और हिन्दुस्तान-अमर उजाला के मुर्दा पत्रकार

दैनिक जागरण नोएडा में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन इन दिनों मीडिया कर्मियों के बीच सबसे बड़ी खबर है। जागरण कर्मियों ने जो तेवर, उत्साह प्रबंधन के दमनात्मक रवैये के खिलाफ दिखाया है, वह दर्शाता है कि वाकई जागरण के कर्मी जर्नलिस्ट हैं, अन्यथा हिंदी अखबारी मीडिया में हिंदुस्तान  अखबार के भड़ैत पत्रकार भी हैं, जिनकी शशि शेखर के आगे बोली नहीं निकलती। कमोबेश यही हाल अमर उजाला के भी ज्यादातर पत्रकारों का हैं, जो सिर्फ पेट पाल रहे हैं। 

दैनिक जागरण मेरठ में भगदड़, कई गए, कई जाने को तैयार, भ्रष्टाचार में डूबे चापलूसों की चांदी

मेरठ दैनिक जागरण इन दिनों अस्‍थिरता और संक्रमणकाल से गुजर रहा है। हालात ऐसे बन पड़े हैं कि काम करने वाले गंभीर पत्रकार जागरण मेरठ को नमस्‍ते करने को मजबूर हैं। जहां कई संजीदा पत्रकार जागरण को अलविदा कह चुके हैं, वहीं कई नए-पुराने काबिल कर्मचारी भी यही राह पकड़ने की असमंजस में हैं। मालिकान और उनके शीर्ष सहयोगियों की अयोग्यता अब यहां के मीडिया कर्मियों के सिर चढ़ कर बोलने लगी है। भ्रष्ट चापलूसों से ज्यादातर कर्मी आजिज आने लगे हैं। 

सीनियरों को पांच लाख न देने पर रिपोर्टर को लॉकअप में रखा, सेक्स रैकेट चलाने का आरोप लगा जेल भेजवाया

सहरसा : वर्षों से दैनिक जागरण में सहरसा से रिपोर्टिंग करते रहे पत्रकार संजय साह का कसूर इतना था कि वह गलत तरिके से धन उगाही कर अपने सीनियरों की तीमारदारी नहीं कर पाते थे। उन्हें सैक्स रैकेट चलाने के आरोप में जेल भेज दिया गया।

Jagran Prakashan completes acquisition of Radio City

Leading media group Jagran Prakashan Ltd said it has completed the acquisition of Music Broadcast Pvt Ltd, which operates the popular Radio City FM stations. “We are delighted to announce that Radio City has now become a part of Jagran Prakashan Ltd. The acquisition marks JPL’s foray into the high growth radio industry and catapults the company to a leadership position in the radio segment of the media industry,” said Jagran Prakashan CMD Mahendra Mohan Gupta.

दैनिक जागरण की पोल-पट्टी खोलेंगे कुमावत, संसद में गूंजेगा मजीठिया वेतनमान का मुद्दा

दैनिक जागरण ने एक बार फिर एक होनहार कर्मचारी खो दिया है। कुमावत से मेरी विस्‍तार से बातें हुआ करती थीं। वह अक्‍सर यह कहते थे- मैं जागरण प्रबंधन को उसके हित की बातें बताता रहता हूं, लेकिन वे प्रबंधन के इगो, अहंकार और घमंड के प्रतिकूल हुआ करती थीं। इसलिए उन बातों को महत्‍व नहीं दिया जाता था। जागरण को तो विजय सेंगर और विष्‍णु त्रिपाठी जैसे चापलूसों की जरूरत है, जो कानून का एक अच्‍छर नहीं जानते और कंपनी को कानूनी उलझनों में फंसाते जा रहे हैं। 

मजीठिया मामले में जागरण ने कुमावत को बलि का बकरा बनाया

नोएडा : मजीठिया वेतनमान को लेकर दैनिक जागरण प्रबंधन का अपने कर्मचारियों पर दमन जारी है। प्रबंधन ने उपमहाप्रबंधक ( एचआर) आर कुमावत पर कई तरह के आरेाप लगाकर उनसे इस्‍तीफा ले लिया है। उनकी इस्‍तीफे की आशंका पहले से ही थी क्‍योंकि वह मजीठिया मामले में प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों को परेशान करने के खिलाफ थे। 

लुधियाना जागरण महाप्रबंधक के तुगलकी फरमान से पत्रकार परेशान

दैनिक जागरण लुधियाना के पत्रकार आज कल बहुत परेशान हैं. कारण है नव नियुक्त्त महाप्रबंधक का तुगलकी फरमान। दैनिक जागरण लुधियाना में नव नियुक्त महाप्रबंधक राहुल मित्तल ने पद संभालते ही जागरण के लिए पैसा वसूली शुरू कर दी है। महा प्रबंधक ने आते ही सभी पत्रकारों के हाथ जबरदस्ती  50-50 कूपन की कॉपी थमा दी हैं। एक एक कूपन 1000 रुपए का है। मतलब हर एक पत्रकार 50,000 रुपए इकट्ठे कर जागरण को देगा.

दैनिक जागरण, मुरादाबाद में उथल-पुथल, कई लोग हुए इधर से उधर

दैनिक जागरण, मुरादाबाद में उठापटक मची हुई है. कई लोगों को इधर से उधर कर दिया गया है. कुछ रिपोर्टर संपादक के रवैये से खफा होकर दूसरे अखबरों में नौकरी तलाश रहे हैं. चीफ रिपोटर के पद पर कार्यरत संजय रस्‍तोगी को हटाकर संभल का प्रभारी बना दिया गया है. संभल काफी समय से खाली चल रहा था. उनकी जगह चीफ सब ज्ञानेंद्र और सीनियर सब एडिटर अभिषेक आनंद को तात्‍कालिक तौर पर यह जिम्‍मेदारी दी गई है. 

दैनिक जागरण, लखनऊ में कई बदलाव, नीरज रावत ईटीवी पहुंचे

दैनिक जागरण, लखनऊ में कई लोगों की जिम्‍मेदारियों में बदलाव किया गया है. लोकल इंचार्ज के पद पर कार्यरत अजय श्रीवास्‍तव को ब्‍यूरो में भेज दिया गया है. उनके स्‍थान पर अमित मिश्रा को लोकल इंचार्ज की जिम्‍मेदारी दी गई है. प्रबंधन में आलोक त्रिपाठी को इनपुट हेड तथा अजय शुक्‍ला को आउटपुट हेड बना दिया है.

जागरण बरेली से श्यामेंद्र, विनीत और अविनाश का इस्तीफा

दैनिक जागरण बरेली से चीफ सब एडिटर श्यामेंद्र कुशवाहा, रिपोर्टर विनीत सिंह और अविनाश चौबे ने इस्तीफा दे दिया है। विनीत और अविनाश ने दो महीने पहले भी इस्तीफा दिया था लेकिन तब सिटी इंचार्ज की कुर्सी संभालने के बाद ज्ञानेंद्र सिंह ने दोनों को वापस बुला लिया था। अब इनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है।

भागलपुर में भास्कर और दैनिक जागरण में छिड़ा पोस्टर युद्ध

भागलपुर (बिहार) : हिंदी समाचार दैनिक भास्कर टीम ने गत दिनो यहां शहर के चर्चित मंदिर बूढ़ानाथ में पूजापाठ की। इसके साथ ही भास्कर बुकिंग भी शुरू हो गई। पहली बुकिंग बाबा बूढ़ानाथ की हुई। जैसे ही भास्कर ने दो पोस्टर लगाकर जंग तेज की, दैनिक जागरण ने भी जवाबी पोस्टर लगाकर एक बार फिर नंबर वन होने का पोस्टर से ही आलाप लिया। 

लाठीचार्ज की फोटो खींचने पर पुलिस ने रिपोर्टर को पीटा तो जागरण ने मदद की बजाए उल्टे नौकरी से निकाल दिया

मेरठ के लिसाड़ी गेट पर पिछले दिनो पुलिस जब लोगों पर लाठिया भांज रही थी, दैनिक जागरण के रिपोर्टर रिजवान खान उस दृश्य को अपने कैमरे में कैद करने लगे। इस पर एसओ लिसाड़ी गेट और कुछ पुलिसकर्मियों ने उनसे पहले तो हाथापाई और मारपीट की, फिर लॉकअप में ठूंस दिया। बाद में पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप पर उन्हें छोड़ दिया गया। इसमें सबसे शर्मनाक भूमिका जागरण प्रबंधन की रही। रिजवान खान को मदद करने की बजाए उल्टे नौकरी से हटा दिया गया।

 

छेड़खानी में नामजद जागरण के संपादक सद्गुरुशरण ने नीतीश को पढ़ाया पत्रकारिता का पाठ

पटना : जनरल वी के सिंह ने मीडिया को प्रेस्‍टीच्‍यूट्स ऐसे ही नहीं कहा। महिलाओं की अस्‍मत को छेड़ने का आरोपी सीनियर न्‍यूज एडिटर मुख्‍य मंत्री के समक्ष ईमानदार पत्रकारिता का पाठ पढ़े, तो क्‍या कहेंगे। संडे को पटना में ऐसा ही हुआ। 

छेड़खानी में नामजद जागरण के संपादक सद्गुरुशरण अवस्थी मंचासीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्रकारिता का पाठ पढ़ाते हुए

यौन शोषण के आरोपी प्रशांत मिश्र को गिरफ्तार करो, गृहमंत्री से गुहार, पत्रकारों ने काले झंडे दिखाए

(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते दैनिक जागरण के मालिकान के साथ सबसे दाएं प्रशांत मिश्र एवं यूनियन का मांग पत्र)


दैनिक जागरण के राजनैतिक संपादक प्रशांत मिश्र पर यौन शोषण के आरोप का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कहीं पर उनकी गिरफ्तारी और मामले की निष्‍पक्ष न्‍यायिक जांच की मांग की जा रही है तो कहीं पर उन्‍हें काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। पटना से खबर मिली है कि प्रशांत मिश्र दैनिक जागरण कार्यालय भवन के उद्घाटन अवसर पर पटना पहुंचे तो उन पर लगे आरोपों से पत्रकारों में इतना रोष रहा कि वहां उन्‍हें काले झंडे दिखाए गए और उनकी गिरफ्तारी की मांग की गई।

दैनिक जागरण के कर्मचारियों को भड़का रहा है पुलिस अधिकारी

नोएडा : सूत्रों से खबर मिली है कि नोएडा के कुछ पुलिस अधिकारी दैनिक के कर्मचारियों को भड़काने में लगे हैं, जिससे आने वाले दिनों में शहर में अशांति पैदा हो सकती है। शायद यही वजह है कि वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षक के आदेश को भी महीनों से लटका दिया गया है।

अब आ गया दैनिक जागरण की धौंस का जवाब देने का समय

दोस्‍तो, दैनिक जागरण में अब बहू बेटियों की इज्‍जत सुरक्षित नहीं है। कहां कहां से पकड़ कर आ गए हैं चरित्रहीन लोग, कुछ पता ही नहीं चल पा रहा है। आए दिन ऐसे मामलों के खुलासे होते हैं, लेकिन जागरण प्रबंधन अखबार की धौंस दिखा कर उन्‍हें दबवा देता है। क्‍या यह वही अखबार है, जो स्‍वामी विवेकानंद के सिद्धांतों और आदर्शों पर शुरू हुआ था। अब ऐसा लगता तो नहीं है।

छापे को लेकर भ्रम फैला रहे हैं दैनिक जागरण प्रबंधन के गुर्गे

दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय में एक ऐतिहासिक घटना घटी। चार-चार श्रम पर्यवेक्षकों ने कंपनी दफ्तर पर बुधवार की रात में छापा मार दिया। यह घटना ऐतिहासिक इसलिए है कि जहां अखबार के दफ्तर में लेबर आफिस का चपरासी भी नहीं फटकता था, वहां अधिकारियों ने छापा मार कर यह संदेश दिया है कि श्रम अधिकारी अब अखबार की भौकाल में आने वाले नहीं हैं। इस घटना से बौखलाए दैनिक जागरण प्रबंधन ने कर्मचारियों में भ्रम फैलाने के लिए अपने कुछ गुर्गों को छोड़ दिया है।

दैनिक जागरण में एक खबर रिपीट तो एक छूटी

आइए आपको दिखाते हैं दैनिक जागरण में विष्‍णु त्रिपाठी के चिंटुओं, मिंटुओं और चिंदीचोरों का एक कारनामा। नोएडा संस्‍करण में भाई लोगों ने एक ही खबर को दो बार छाप दिया है, जबकि नोएडा के इंदिरा गांधी कला केंद्र में पुलिस, पत्रकार और समाज की चिंताओं पर गहन चिंतन के लिए आयोजित एक जोरदार कार्यक्रम की नोएडा संस्‍करण में कोई कवरेज ही नहीं आई। उस कार्यक्रम में लोकतंत्र के तीन स्‍तंभों के दिग्‍गज जुटे थे। बदलते जमाने के अखबार में ऐसी जड़ता क्‍यों। जो खबर रिपीट हुई है, उसका शीर्षक है-”शहर में व्‍यावसायिक इस्‍तेमाल पर जब्‍त होगी ट्रैक्‍टर ट्राली”। यह खबर नोएडा संस्‍करण के पुलाउट पेज-चार और आठ पर छपी है। 

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जागरण अलीगढ़ में नवीन पटेल फिर बन गए सिटी चीफ रिपोर्टर

अलीगढ़ : यहां लंबे समय से दैनिक जागरण में कार्यरत नवीन पटेल को एक बार फिर डेस्क से स्थांतरित कर सिटी चीफ रिपोर्टर बना दिया गया है। दो वर्ष पूर्व जागरण प्रबंधन से एक गंभीर शिकायत के बाद उन्हें सिटी चीफ रिपोर्टर पद से हटाकर डेस्क पर लगा दिया गया था। उनके स्थान पर रमाकांत चतुर्वेदी को सिटी चीफ रिपोर्टर बना दिया गया था।

मजीठिया वेज बोर्ड : सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई, भविष्य की रणनीति और लड़ने का आखिरी मौका… (देखें वीडियो)

Yashwant Singh : सुप्रीम कोर्ट से अभी लौटा हूं. जीवन में पहली दफे सुप्रीम कोर्ट के अंदर जाने का मौका मिला. गेट पर वकील के मुहर लगा फार्म भरना पड़ा जिसमें अपना परिचय, केस नंबर आदि लिखने के बाद अपने फोटो आईडी की फोटोकापी को नत्थीकर रिसेप्शन पर दिया.

पत्रकार ने जीएम / एडिटर को पत्र लिखा- आपकी एक छोटी-सी हरकत औद्योगिक अशांति पैदा कर सकती है, जो संस्थान पर बहुत भारी पड़ेगी

श्री अभि‍मन्यु शर्मा जी,

महाप्रबंधक / संपादक

दैनिक जागरण, जम्मू।

महोदय,

मुझे आज फोन पर सूचना मिली है कि मेरे 50 हजार रुपये के लोन के संदर्भ में आप गारंटी लेने वाले मेरे सहयोगियों को प्रताडि़त कर रहे हैं। आपने उनसे यह झूठ भी बोला है कि लोन के संदर्भ में मुझे नोटिस जारी हो चुका है, जबकि उस संदर्भ में मुझे कोई नोटिस नहीं मिला है। इस संदर्भ में आपका ध्यान निम्न बातो पर दिलाना चाहता हूं।

(पत्र लेखक पत्रकार श्रीकांत सिंह की फाइल फोटो)

दस-दस हजार रुपये लेकर अमर उजाला और दैनिक जागरण के रिपोर्टरों ने छपवाई झूठी खबर!

एटा (उ.प्र.) : जिले के मिरहची थाना क्षेत्र के गाँव जिन्हैरा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की बीमारी के चलते स्वाभाविक मौत हो गई, लेकिन अमर उजाला और दैनिक जागरण ने तो कमाल ही कर दिया। स्वाभाविक मौत को मौसम के पलटवार से फसल बर्बाद होने के सदमे से किसान की मौत होना दर्शा दिया। ऐसा करना उनकी कोई मजबूरी नहीं थी बल्कि इस तरह से खबर प्रकाशित करने के एवज में दस-दस हज़ार रुपये मिले थे। धिक्कार है, ऐसी पत्रकारिता पर! मीडिया पर कलंक हैं ऐसे पत्रकार!

देखते हैं, ‘मजीठिया’ से बचने को किस हद तक गिरता है जागरण

चलो करते हैं न्याय की बात। दैनिक जागरण का कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार कुमावत खुद प्रताड़ना का शि‍कार हो रहा है। यह मैं नहीं कह रहा हूं, ये साक्षात माननीय कुमावत जी के ही वचन हैं। मैं नोएडा के सेक्टर-छह स्थि‍त कार्यालय में पुलिस अधि‍कारियों से मिलने गया था कि वहां रमेश कुमार कुमावत जी से मुलाकात हो गई। वह मुझसे कहने लगे-भइया मुझे क्यों फंसा दिया।

प्रदीप श्रीवास्तव और विनोद शील का विरोध करने के कारण मैं निशीकांत ठाकुर का चहेता बन गया

: दैनिक जागरण के चिंटू, मिंटू और चिंदीचोर : अवधी की एक कहावत है-केका कही छोटी जनी, केका कही बड़ी जनी। घरा लै गईं दूनौ जनी। अर्थात किसे छोटी बहू कहूं और किसे बड़ी बहू कहूं। घर तो दोनों बहुओं ने बर्बाद किया है। यह बात दैनिक जागरण पर सटीक बैठती है। 1995 की बात है, जब टीवी चैनलों की धूम मची थी। अखबार इस बात से डर गए थे कि कहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया उन्हें निगल न जाए। ऐसे समय में मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से काम छोड़ कर दैनिक जागरण में नौकरी के लिए आ गया था।

जागरण के भरोसे अपना भविष्य तय करने से पहले जरा सोच लेना

बहुत से लोग इस समय दैनिक जागरण में नौकरी कर रहे होंगे, तो कुछ नौकरी छोड़ चुके होंगे या कुछ को नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया गया होगा। यहां तक कि कुछ को तो क्रूरतापूर्वक निकाल दिया गया होगा। कुछ ऐसे भी होंगे जो नौकरी के लिए प्रयास कर रहे होंगे। नौकरी आपका पूरा भविष्य तय करती है। इसलिए नौकरी में आने से पहले कंपनी की प्रोफाइल जानना बहुत जरूरी होता है। आपको बताना चाहता हूं कि दैनिक जागरण की ब्रांडिंग पर भरोसा करके अपना भविष्य तय करने से पहले एक बार जरूर सोचें।

‘कारवां’ मैग्जीन में प्रकाशित हुई जागरण मैनेजमेंट के शोषण और मीडियाकर्मियों के संघर्ष की कहानी

हिंदी समाचारपत्र ‘दैनिक जागरण’ प्रबंधन द्वारा संस्थान के मीडिया कर्मियों के शोषण और संघर्ष की कहानी अब आए दिन चर्चाओं में आ रही है। इसी क्रम में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अमल को लेकर उसके कर्मचारी विरोधी कदम पर संदीप भूषण ने ताजा सविस्तार टिप्पणी की है। ‘द कारवां’ (The Karavan) मैग्जीन में प्रकाशित पूरी कहानी हम साभार यहां अविकल रूप से प्रकाशित कर रहे हैं –

पत्रकार श्रीकांत सिंह ने जागरण वालों पर यूं मारी पिचकारी, देखें वीडियो

दैनिक जागरण नोएडा से जुड़े हुए वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत सिंह काफी समय से बगावती मूड में हैं. इन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से अपना एरियर व सेलरी पाने के लिए मुहिम छेड़ रखी है. साथ ही दर्जनों कर्मचारियों को इस मुहिम से जोड़ रखा है. पिछले दिनों नाराज प्रबंधन ने श्रीकांत का तबादला जम्मू कर दिया. बाद में वे नोएडा बुलाए गए लेकिन उन्हें आफिस में नहीं घुसने दिया गया. साथ ही जागरण के गार्डों ने उनसे मारपीट व छिनैती की. इस पूरे मामले को लेकर वे लेबर आफिस गए लेकिन उनका आरोप है कि अफसर ने सेटिंग करके रिपोर्ट जागरण के पक्ष में दे दी है.

दैनिक जागरण के महाप्रबंधक समेत चार के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मुकदमा

पटना से एक बड़ी खबर आ रही है. दैनिक जागरण के महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी समेत चार लोगों के खिलाफ पटना कोतवाली में यौन उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया गया है. ये मुकदमा दैनिक जागरण में कार्यरत एक महिला पत्रकार ने दर्ज कराया है. 24 फरवरी को दर्ज मुकदमें में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानि आईपीसी की धाराएं 341, 354, 506, 509, 504, 34 लगाई गई हैं.

विष्णु त्रिपाठी का खेल, दैनिक जागरण की बन गई रेल

दैनिक जागरण में संपादक पद की शोभा बढ़ाने वाला स्वनामधन्य विष्णु त्रिपाठी किस प्रकार गेम करके अखबार को क्षति पहुंचा रहा है उसकी एक बानगी हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। मजीठिया मामले में मालिकों से बुरी तरह लताड़े जाने के बाद अब मालिकों के बीच अपनी छवि चमकाने के लिए विष्णु त्रिपाठी रोज नई नई चालें चल रहे हैं।पिछले दिनों रेल बजट और आम बजट के दौरान सेंट्रल डेस्‍क को नीचा दिखाने और अपनी वाहवाही करवाने की अपने गुर्गों के सहारे चली चालें उल्‍टी पड़ गई लगती हैं। प्‍लान ये था कि बजट और रेल बजट से सेंट्रल डेस्‍क को अलग कर यह दिखाया जाए कि इन महत्‍वपूर्ण अवसरों पर सेंट्रल डेस्‍क की भूमिका न के बराबर है। और इस तरह सेंट्रल डेस्‍क पर अपने चपाटियों के हवाले करने की साजिश कुछ इस तरह रची गई।

जागरण के पत्रकार ने नोएडा के उप श्रमायुक्त की श्रम सचिव और श्रमायुक्त से की लिखित शिकायत

मजीठिया मामले में अपने को पूरी तरह से घ‍िरा पाकर दैनिक जागरण प्रबंधन इतना बौखला गया है कि अब वह हमला कराने, घूसखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने पर उतर आया है। इस बात के संकेत उस जांच रिपोर्ट से मिल रहे हैं, जिसके लिए जागरण के पत्रकार श्रीकांत सिंह ने उप श्रम आयुक्त को प्रार्थना पत्र दिया था। जांच के लिए पिछले 21 फरवरी 2015 को श्रम प्रवर्तन अध‍िकारी राधे श्याम सिंह भेजे गए थे। यह अफसर इतना घूसखोर निकला कि उसने पूरी जांच रिपोर्ट ही फर्जी तथ्यों के आधार पर बना दी। उसने जांच रिपोर्ट में बतौर गवाह जिन लोगों के नाम शामिल किए हैं, उनमें से कोई भी घटना के मौके पर मौजूद नहीं था।

मजीठिया संघर्ष : जागरण प्रबंधन ने तबादला किया तो श्रीकांत ने मैनेजमेंट को भेजा नोटिस

दैनिक जागरण के नोएडा कार्यालय से जम्मू स्थानांतरित मुख्य उपसंपादक श्रीकांत सिंह ने जागरण प्रबंधन को दिया नोटिस. कार्मिक प्रबंधक रमेश कुमार कुमावत ने श्रम प्रवर्तन अध‍िकारी राधे श्याम सिंह को दिए थे भ्रामक, गुमराह करने वाले और अपूर्ण बयान. जागरण प्रबंधन की दुर्भावनापूर्ण नीतियों के कारण श्रीकांत सिंह को ड्यूटी करने में पहुंचाई जा रही है बाधा. प्रबंधन की हठधर्मिता के विरोध में श्रीकांत सिंह लेंगे अदालत की शरण. पढ़ें, नोटिस में क्या लिखा गया है… 

भारतीय टीवी न्यूज इंडस्ट्री में बड़ा और नया प्रयोग करने जा रहे हैं दीपक शर्मा समेत दस बड़े पत्रकार

(आजतक न्यूज चैनल को अलविदा कहने के बाद एक नए प्रयोग में जुटे हैं दीपक शर्मा)


भारतीय मीडिया ओवरआल पूंजी की रखैल है, इसीलिए इसे अब कारपोरेट और करप्ट मीडिया कहते हैं. जन सरोकार और सत्ता पर अंकुश के नाम संचालित होने वाली मीडिया असलियत में जन विरोधी और सत्ता के दलाल के रूप में पतित हो जाती है. यही कारण है कि रजत शर्मा हों या अरुण पुरी, अवीक सरकार हों या सुभाष चंद्रा, संजय गुप्ता हों या रमेश चंद्र अग्रवाल, टीओआई वाले जैन बंधु हों या एचटी वाली शोभना भरतिया, ये सब या इनके पिता-दादा देखते ही देखते खाकपति से खरबपति बन गए हैं, क्योंकि इन लोगों ने और इनके पुरखों ने मीडिया को मनी मेकिंग मीडियम में तब्दील कर दिया है. इन लोगों ने अंबानी और अडानी से डील कर लिया. इन लोगों ने सत्ता के सुप्रीम खलनायकों को बचाते हुए उन्हें संरक्षित करना शुरू कर दिया.

दैनिक जागरण नोएडा हड़ताल : देखिए और पढ़िए जीत के इस निशान को, सलाम करिए मीडियाकर्मियों की एकजुटता को

जो मालिक, जो प्रबंधन, जो प्रबंधक, जो संपादक आपको प्रताड़ित करता है, काम पर आने से रोकता है, तनख्वाह नहीं बढ़ाता है, बिना कारण ट्रांसफर करने से लेकर इस्तीफा लिखवा लेता है, वही मालिक प्रबंधन प्रबंधक संपादक जब आप एकजुट हो जाते हैं तो हारे हुए कुक्कुर की तरह पूंछ अपने पीछे घुसा लेता है और पराजित फौज की तरह कान पकड़कर गल्ती मानते हुए थूक कर चाटता है. जी हां. दैनिक जागरण नोएडा में पिछले दिनों हुई हड़ताल इसका प्रमाण है. कर्मचारियों की जबरदस्त एकजुटता, काम का बहिष्कार कर आफिस से बाहर निकल कर नारेबाजी करना और मैनेजरों के लालीपॉप को ठुकरा देना दैनिक जागरण के परम शोषक किस्म के मालिक संजय गुप्ता को मजबूर कर गया कि वह कर्मचारियों की हर मांग को मानें.

संजय गुप्ता को रात भर नींद नहीं आई, जागरण कर्मियों में खुशी की लहर

बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ. इसे पहले ही हो जाना चाहिए था. डिपार्टमेंट का कोई भेद नहीं था. सब एक थे. सब मीडियाकर्मी थे. सब सड़क पर थे. सबकी एक मांग थी. मजीठिया वेज बोर्ड खुलकर मांगने और सुप्रीम कोर्ट जाने वाले जिन-जिन साथियों को दैनिक जागरण प्रबंधन ने परेशान किया, ट्रांसफर किया, धमकाया, इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया, उन-उन साथियों के खिलाफ हुई दंडात्मक कार्रवाई तुरंत वापस लो और आगे ऐसा न करने का लिखित आश्वासन दो.

लिखित आश्‍वासन के बाद काम पर लौटे हड़ताली जागरणकर्मी

(दैनिक जागरण, नोएडा के कर्मियों द्वारा हड़ताल की जानकारी मिलने पर जनपक्षधर पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव कैमरे समेत मौके पर पहुंचे और फोटोग्राफी में जुट गए)


अरसे से अपने पत्रकारों, कर्मचारियों को अपना दास समझने वाले दैनिक जागरण समूह के मालिकों पहली बार सामूहिक शक्ति के सामने झुकना पड़ा है. दैनिक जागरण के मीडिया कर्मचारी इस मीडिया हाउस के समूह संपादक व सीर्इओ संजय गुप्‍ता के लिखित आश्‍वासन के बाद ही हड़ताल समाप्‍त करने को राजी हुए और काम पर वापस लौटे. मैनेजर टाइप लोगों के लालीपाप थमाकर हड़ताल खत्म कराने के तमाम प्रयास फेल होने के बाद संजय गुप्‍ता को मजबूरी में लिखित आश्‍वासन देकर मामला सुलझाना पड़ा. बताया जा रहा है कि दिल्‍ली चुनाव के चलते गुप्‍ता एंड कंपनी ने तात्‍कालिक तौर पर यह रास्‍ता अपनाया है और किसी को परेशान न करने का लिखित वादा किया है.  

दैनिक जागरण, नोएडा के हड़ताल की आंच हिसार तक पहुंची

दैनिक जागरण, नोएडा में कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. प्रबंधन की दमनकारी और शोषणकारी नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों का सालों से दबा गुस्‍सा अब छलक कर बाहर आ गया है. मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर एक संपादकीय कर्मचारी का तबादला किए जाने के बाद सारे विभागों के कर्मचारी एकजुट होकर हड़ताल पर चले गए हैं. मौके पर प्रबंधन के लोग भी पहुंच गए हैं, लेकिन कर्मचारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं हैं. प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल को बुला लिया है, लेकिन प्रबंधन के शह पर सही गलत करने वाली नोएडा पुलिस की हिम्‍मत भी कर्मचारियों से उलझने की नहीं हो रही है. 

दैनिक जागरण, नोएडा में हड़ताल, सैकड़ों मीडियाकर्मी काम बंद कर आफिस से बाहर निकले

मीडिया जगत की एक बहुत बड़ी खबर भड़ास के पास आई है. दैनिक जागरण नोएडा के करीब तीन सौ कर्मचारियों ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दिया है और आफिस से बाहर आ गए हैं. ये लोग मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं दिए जाने और सेलरी को लेकर दैनिक जागरण के मालिकों की मनमानी का विरोध कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक हड़ताल की शुरुआत मशीन यानि प्रिंटिंग विभाग से जुड़े लोगों ने की और धीरे-धीरे इसमें सारे विभागों के लोग शामिल होते गए. सिर्फ संपादक विष्णु त्रिपाठी और इनके शिष्यों को छोड़कर बाकी सारे लोग हड़ताल के हिस्से बन गए हैं.

पाठकों से खुलेआम चीटिंग : सीबीएसई का नाम लेकर एक निजी इंस्टीट्यूट की वेबसाइट को प्रमोट कर रहा है दैनिक जागरण

आदरणीय यशवंत जी, एक ओर दैनिक जागरण खुद को देश का नंबर एक अखबार होने का दावा करता है दूसरी ओर जागरण के संपादक व कार्यकारी अधिकारी समाचार पत्र को उतनी गंभीरता से नही लेते। इसकी बानगी 20 जनवरी 2015 के जागरण के बागपत संस्करण में देखने को मिली। हालाकि दी गई खबर मेरठ के एक पत्रकार ने लिखी है तो जाहिर है कि खबर मेरठ यूनिट के अन्य संस्करणों में भी गई होगी।

दैनिक जागरण के मालिकों ने नरेंद्र मोदी से की मुलाकात, जागरणकर्मियों का चेहरा हुआ उदास

खबर है कि दैनिक जागरण के मालिकों की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें पीएम राहत कोष के लिए चार करोड़ रुपये का चेक सौंपा. साथ ही सबने प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचवाई. दैनिक जागरण के CMD महेंद मोहन गुप्त, प्रधान संपादक और CEO संजय गुप्त समेत कई गुप्ताज और इनके वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत मिश्र तस्वीर में दिख रहे हैं, मुस्कराते. पर निराशा जागरण कर्मियों के चेहरे पर छा गई है.

दैनिक जागरण, बनारस में संपादक बने ‘रेड स्‍टार’

दैनिक जागरण, वाराणसी के संपादकीय विभाग के कर्मचारी परेशान हैं. संपादकीय प्रभारी की कार्यप्रणाली उन पर भारी पड़ रही है. राघवेंद्र चड्ढा एवं आशुतोष शुक्‍ला के समय में बना बेहतरीन माहौल पूरी तरह खराब हो चुका है. संपादकीय विभाग के कर्मचारियों पर मैनेजमेंट हावी है. संपादक वहीं करते हैं, जो मैनेजमेंट चाहता है. लिहाजा बिना किसी योजना के काम कर रहे कर्मचारी बुरी तरह तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं और लगातार गलतियां हो रही हैं.

क्या जागरण बठिंडा वालों ने नाम न छापने के लिए पार्षद और भिवानी स्वीट्स की मिठाई खाई

देश भर में मिलावटखोरी के खिलाफ मुहिम चलाने का दावा करने वाले दैनिक जागरण के बठिंडा संस्करण के लोकल पुलआउट में गुरुवार को नकली मिठाई पकड़े जाने वाली ख़बर प्रकाशित की। ख़बर में पूर्व कांग्रेसी पार्षद के कोल्ड स्टोर और मिठाई बनाने वाले प्रतिष्ठान के नाम का ज़िक्र नहीं किया गया। बिना नाम वाली ये खबर दिन भर लोगों और पत्रकारों में चर्चा का विषय बनी रही। जबकि दैनिक भास्कर समेत अन्य अखबारों के लोकल पुलआउट में इसी खबर को पूरी आक्रामकता और पूर्व कांग्रेसी पार्षद तथा मिठाई बनाने वाले प्रतिष्ठान के नाम के साथ प्रमुखता से छापा गया।

दैनिक जागरण के संपादकीय प्रभारी एवं चीफ रिपोर्टर के बीच सड़क पर गाली-ग्‍लौज

दैनिक जागरण, इलाहाबाद से खबर है कि संपादक और चीफ रिपोर्टर शुक्रवार की रात सरे राह आपस में एक दूसरे की ऐसी की तैसी करते दिखे. एक दूसरे की मां-बहन करने के बाद देख लेने तक की धमकी दी गई. सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिन तो दोनों लोगों के बीच पद को लेकर तनाव और तनातनी चल रही थी, जो बीती रात कहासुनी और गाली-ग्‍लौज में बदल गई. हालांकि कुछ लोगों ने बीच बचाव कर मामले को सुलटा दिया.