प्रेस की स्वतंत्रता एकतरफा नहीं हो सकती : न्यायालय
केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा ‘द वायर’ वेब पोर्टल के खिलाफ दाखिल आपराधिक मानहानि के मामले में ‘द वायर’ ने अपनी याचिका उच्चतम न्यायालय से वापस ले ली है। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात की ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो जल्द से जल्द इस मामले के ट्रायल को पूरा करें।
उच्चतम न्यायालय ने गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र जय शाह द्वारा समाचार पोर्टल ‘द वायर’ और उसके पत्रकारों के खिलाफ दायर मानहानि के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता एकतरफा नहीं हो सकती और पीत पत्रकारिता नहीं होनी चाहिये। न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जिस तरह से देश में पत्रकारिता हो रही है उससे हाल के समय में न्यायपालिका संस्था को काफी कुछ झेलना पड़ा है।न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा कि उनके खिलाफ मुकदमे की सुनवाई सक्षम अदालत तेजी से पूरा करेगी। पीठ ने साथ ही कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोच्च है, लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकती।पीठ ने इस तरह के चलन की कड़ी आलोचना की कि समाचार पोर्टल किसी व्यक्ति का पक्ष जानने के लिये प्रतिक्रिया मांगने के बाद 5-6 घंटे भी इंतजार नहीं करते हैं और लेख प्रकाशित कर देते हैं।
इन टिप्पणियों के बीच सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसको कम करके कहा जा रहा है कि समाचार पोर्टल जो कर रहे हैं वह पीत पत्रकारिता ही है। जब समाचार पोर्टल और उसके पत्रकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उनके द्वारा दायर अपील वापस लेने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा कि हम आपको वापस लेने की अनुमति क्यों दें। पीठ ने कहा कि सभ्य देश में किसी व्यक्ति को बेहद अल्प नोटिस देकर और जवाब की प्रतीक्षा किये बिना लेख प्रकाशित किये जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि कैसे यह संस्कृति भारत में आई है। पीठ ने सिब्बल से कहा कि हमने बहुत ज्यादा झेला है। यह बहुत ही गंभीर विषय है।
पीठ ने बार-बार यह टिप्पणी की कि समाचार पोर्टल सिर्फ चार-पांच घंटे का समय देते हैं और इसके आगे इंतजार किये बगैर ही वे नुकसान पहुंचाने वाले लेख प्रकाशित कर देते हैं।हमें स्वत: ही इसका संज्ञान क्यों नहीं लेना चाहिए और इसे सुलझा देना चाहिए। हम चाहते हैं कि मामले में फैसला हो। इस अदालत के न्यायाधीश के तौर पर हम चिंतित हैं। निश्चित ही पीठ की यह टिप्पणी न्यायपालिका और न्यायाधीशों के बारे में समाचार पोर्टलों द्वारा प्रकाशित किये गये लेखों के बारे में थी। मेहता ने कहा कि यह सबके साथ हो रहा है।
याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए पीठ ने कहा कि वह इस टिप्पणी के साथ मामले का निपटारा कर रही है कि ‘द वायर’ ने नोटिस दिया और प्रतिक्रिया मांगने के 12 घंटे के भीतर जवाब आने से पहले ही प्रकाशन करके शाह की छवि धूमिल की गई। पीठ ने बेहद संक्षिप्त नोटिस के बारे में कहा, ‘‘इस तरह की धमकी नहीं दी जानी चाहिये।
जब सिब्बल ने कहा कि समाचार पोर्टल और उसके पत्रकार मुकदमे का सामना करने को तैयार हैं और आदेश में इस तरह की टिप्पणी मुकदमे के दौरान उनके मामले को प्रभावित करेगी तो पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इन टिप्पणियों से मुकदमे के दौरान मामला नहीं प्रभावित होगा। सुनवाई पूरी करते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि हम बहुत सारी बातें कहना चाहते हैं, लेकिन हम यह नहीं कहेंगे। सिब्बल ने जवाब में कहा कि मैं भी कई बातें कहना चाहता हूं, लेकिन नहीं कहूंगा।
बाद में शाम में समाचार पोर्टल के संस्थापक संपादकों में से एक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहाकि हमने न्यायालय से कहा कि हम अपील वापस लेकर मुकदमे का सामना करना चाहते हैं। पीठ के पास जय शाह पर ‘द वायर’ की खबर के गुण-दोष पर दोनों में से किसी भी पक्ष को सुनने का कोई अवसर नहीं था। इसके बावजूद न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति बी आर गवई ने इसे ‘पीत पत्रकारिता’ कहा।उन्होंने कहा कि मुकदमे में इन चीजों से लड़कर हम साक्ष्यों के जरिये साफ तौर पर साबित करेंगे कि हमने हर पत्रकारीय मानकों का पूरी सावधानी से पालन किया और हमने सिर्फ उसी चीज को प्रकाशित किया, जिसका हम बचाव कर सकते हैं।
शाह ने दो मामले, एक आपराधिक मानहानि और एक 100 करोड़ रुपये की मानहानि का दीवानी मुकदमा दायर किया है। जय शाह ने पत्रकार रोहिणी सिंह, समाचार पोर्टल के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वर्द्धराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एम के वेणु, प्रबंध संपादक मोनोबिना गुप्ता, जन संपादक पामेला फिलिपोज और ‘द वायर’ का प्रकाशन करने वाली फाउण्डेशन फार इंडिपेन्डेन्ट जर्नलिज्म के खिलाफ अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस पोर्टल के लेख में दावा किया गया था कि केन्द्र में 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद जय शाह की कंपनी के कारोबार में जबर्दस्त विस्तार हुआ है।
‘द वायर’ का जय शाह को लेकर लेख वेब पोर्टल ने एक लेख में यह दावा किया था कि एनडीए के सत्ता में आने के एक साल बाद जय शाह की कंपनी का कारोबार 16,000 गुना बढ़ गया था। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कंपनी ने अपने कारोबार में भारी वृद्धि की। एक साल में इसकी आय 50,000 रुपये से बढ़कर 80 करोड़ रुपये हो गई। जय शाह ने लेख लिखने वाली रोहिणी सिंह व संपादकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि मुकदमा दायर किया है। महानगर मजिस्ट्रेट का मामले में आदेश आपराधिक मानहानि के मामले में महानगर मजिस्ट्रेट ने 13 नवंबर 2017 को सभी उत्तरदाताओं को बुलाया था। कोर्ट ने द वायर के खिलाफ यह आदेश दिया था कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अमित शाह के खिलाफ किसी विशेष रुप में समाचार प्रकाशित नहीं कर सकते, जिसके बाद ‘द वायर’ ने हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी।