सुनील चतुर्वेदी-
कहीं मीठा, कहीं खारा तो कहीं औषधि पानी रे, ऐसा कैसे! पानी के बारे में विचार करता हूँ तो बचपन का एक खेल जैसे पहेली बन जाता है। गोल-गोल धानी, कित्ता-कित्ता पानी।
चलो आज इस पहेली को ही हल किया जाय। नदियों में बहता पानी पहुँचता है समुद्र में और वहाँ से सूरज पानी को भाप बनाकर चुरा ले जाता है। यही पानी की बूँदें ऊपर उठकर संघनित हो बादल बनती हैं और हवा पर सवार यहाँ-वहाँ तैरते यह बादल बरसकर धरती का पानी धरती को लौटा देते हैं। आसमान से बरसा पानी ज़मीन की सतह, ढलानों, नालों, नदियों में बहता हुआ फिर समुद्र में पहुँच जाता है और वहाँ से फिर आसमान में। यह चक्र है जो अनवरत है। यही है गोल-गोल धानी।
ज़मीन पर बहते बरसात के इस पानी की कुछ मात्रा ज़मीन में रिसकर धरती के नीचे चट्टानों की संधों, दरारों और छिद्रों से गुजरते हुए भू-जल के रूप में संचित हो जाती है। पानी से संतृप्त इस चट्टानों को तकनीकी भाषा में एक्विफर कहते हैं। धरती के नीचे संचित यह पानी हमें कुओं, झरनों और ट्यूबवेल के माध्यम से मिलता है।
सतह पर बहता बरसात का पानी जिस तरह की मिट्टी, वनस्पति और चट्टानों से रिसकर नीचे जाता है उनमें मौजूद घुलनशील तत्व भी पानी में घुल जाते हैं। इसलिये अलग-अलग जगहों और गहरायी पर पाये जाने वाले पानी का स्वाद और गुणवत्ता अलग होती है। यदि वनौषधि वाले जंगल से बरसात का पानी बहकर आता है तो उसमें औषधि के तत्त्व भी घुल जाते हैं। इसलिये किसी कुंड या झरने के पानी से किसी विशेष बीमारी का उपचार संभव है। ऐसा होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं बल्कि वैज्ञानिक घटना है। इसी प्रकार स्थान विशेष पर पानी लाइम स्टोन से होकर गुजरेगा तो उसका स्वाद खारा हो जायेगा। इसी कारण कहीं ज़मीन के नीचे का पानी मीठा, खारा, कसैला तो कड़वा होता है और सतह के पानी की तुलना में हार्ड भी।
यहाँ जल संकट के संदर्भ में प्रश्न यह है कि जब बारिश हर वर्ष हो रही है, बारिश का पानी भी रिसकर भू-जल स्तर तक पहुँच रहा है फिर जल स्तर हर वर्ष नीचे क्यों गिरता जा रहा है?
इस सवाल के जवाब में ज़्यादातर लोग यह कहते हैं कि बारिश कम हो गयी है इसलिये नीचे पहले जितना पानी पहुँचता था अब नहीं पहुँच पा रहा था। यदि आप अपने शहर की पिछले सौ वर्षों की औसत बारिश का आँकड़ा देखेंगे तो आपकी अवधारणा गलत साबित होगी। हाँ, बारिश के पैटर्न में ज़रूर पिछले कुछ सालों में बदलाव आया है। जब हर वर्ष होने वाली बारिश कम नहीं हुई तो फिर क्या वजह हो सकती है?
वजह ढूँढते हुए एक और सवाल सामने आता है कि जितनी बारिश होती है आख़िर उसका कितना प्रतिशत पानी प्राकृतिक रूप से भू-जल स्तर तक पहुँचता है?.. आप भी अनुमान लगाइये कित्ता पानी पहुँचता है ज़मीन के नीचे!
क्रमशः
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