सोनी पाण्डेय-
जिला प्रशासन ने फोटो आर्टिस्ट Kabeer UP (सुनील दत्त)दादा की रोजी-रोटी का सहारा, उनकी दुकान ढहा दी है।जीवन भर संघर्ष कर अपने सिद्धांतों पर डटे रहनेवाले कबीर दादा ने कभी किसी से समझौता नहीं किया।यह बेहद क्रूर घटना है,मैं इस घटना की कड़े शब्दों में निन्दा करती हूँ और जनपद के सामाजिक/राजनैतिक संगठनों से माँग करती हूँ कि इस मुश्किल घड़ी में जनपद की कला,साहित्य ,संस्कृति की यात्रा को अपने तस्वीरों में सहेजनेवाले दत्ता दादा को न्याय दिलाने के लिए आगे आँए।
दादा! तबीयत ठीक न होने से कुछ दिन यहाँ से दूर रहना चाहती थी पर यह देख,सुन कर मन बहुत आहत हुआ। संघर्ष की इस घड़ी में आपकी बिटिया, आपके साथ है। क्षमा पूर्वक कुछ संस्थाओं और जागरूक लोगों को टैग कर रही हूँ। कृपया इस लड़ाई में हमारा सहयोग करें। अभया महिला सेवा संस्थान, साज फाउण्डेशन, साहित्यानुरागी साहित्यिक संस्था के साथ – साथ सभी जागरूक लोग खुद को टैग मानें।
Arvind Kumar Singh-
दो दशक की पत्रकारिता की प्राचीरों को भग्नावशेषों में तब्दील करके तुम खुश तो बहुत होगे न?
आजमगढ़ : खुश तो होगे बहुत.. कि तुमने अपनी सनक एक फ़कीर कलमकार की गृहस्थी को ध्वस्त कर पूरी कर ली.खुश हो होगें बहुत कि..साला बड़ा.. पत्रकार बनता..फिरता था. वो क्या कहते हैं ..फ्रीलांस जर्नलिस्ट..एक ही झटके में उसके समूचे अस्तित्व को जमीदोज़ कर दिया. उसके बच्चों को सड़क पर ला दिया.. कितना खुश हो रहे होगे न..जब अपनी पिता की बीस बरस की कमाई और चालीस बरस की पत्रकारिता की साख और विश्वास को तुम्हारे बुलडोजर के नीचे जमीदोज़ होते बेटियां देखी होगीं. . बच्चियाँ गिड़गिडाई होगी. चिल्लाई होगीं. क्योंकि ऐसा करने से तुम्हारे अहम की तुष्टि होती है.. न..
सच तो यह है तुम आज निरंकुश पावर में हो..और तुम्हारी यह पावर तुम्हारे निरंकुश सनक पर सवार होकर चलती है. तुम्हारे अंदर एक हीनग्रंथि है कि-तुम हारना नहीं सिखे हो, और जीतने के लिए कितना भी नीचे जा सकते हो..किसी भी कीमत को चुका सकते हो, क्योंकि तुम एक पत्रकार से नहीं अपने आप से लड़ रहे हो, अपनी उत्तेजना और हार के डर से लड़ रहे हो.
जब तुम रोजाना अपने दफ़्तर से आवास, आते-जाते देखते थे कि एक पत्रकार का दफ्तर कैसे चल रहा है.. क्योंकि उसके चलते रहने से तुम्हें ऐतराज था. इस कार्यालय के होने से ऐतराज था. क्योंकि तुम्हारी सनक पर सवार तुम्हारी शक्ति तुमसे रोज सवाल करतीं थीं कि-तुम इसे कब गिराओगे.?.. क्योंकि तुम्हे उत्तेजना चाहिए, सनसनी और भय चाहिए ..जिसका केन्द्र तुम रहो.. इसी लिए तुमने रात के अंधेरे को चुना, दिन के उजाले को नहीं. इसी लिए तुमने सुनवाई के अवसर देने से पहले ही इसे जमीदोज़ कर देना चाहते थे, और अपने अहम की तुष्टि कर ली.
तुम्हे खुशफहमी में रहने का पूरा अधिकार है. क्योंकि तुमने केवल किताबी ज्ञान अर्जित की है वह भी थोड़ा-थोड़ा.. आईएएस होना..ज्ञानी होना नहीं होता है.. एक इंसान बन पाना तो सर्वोत्तम कसौटी है.. लेकिन भूलना मत यह नैयर -ए-आजम की सरजमीं है. जिसने भूख का भूगोल और बग़ावत का इतिहास न केवल पढ़ा है..बल्कि जीया है.. हर जुर्म और ज्यादती के विरूद्ध आवाज उठती रही है..यूँ ही नहीं कहाँ गया है कि ‘जो जर्रा यहाँ से उठता है, वो नैयर -ए-आजम होता है.. .!
और हाँ जो आदमी पत्रकारिता के भग्नावशेषों पर आज खड़ा होकर अनंत की तरफ देख रहा है- वह आदमी नहीं, एक मुकम्मल बयान है/ माथे पर उसके चोट का गहरा निशान है.. जिसे सब नहीं देख सकते हैं.. आप जैसे तो बिलकुल भी नहीं..क्यों कि आप अभी पावर के सनक पर सवार हो.. तुम्हें घृणा नहीं प्रेम की जरूरत है.. और दोनों का उदगम एक ही होता..
–अरविंद सिंह
आजमगढ़
आज एक के साथ हुआ कल किसी और के साथ होगा
आजमगढ़। जिले के वरिष्ठï फोटो पत्रकार एसके दत्ता की नगर पालिका से आवंटित रैदोपुर स्थित दुकान अवैधानिक तरीके से एसडीएम सदर द्वारा ढहवाये जाने को लेकर पत्रकारों के साथ-साथ समाज का हर तबका आंदोलित है। इसे लेकर जर्नलिस्ट क्लब की ओर से बुलाई गयी बैठक में जिले के पत्रकारों के साथ-साथ सभी सामाजिक एवं विपक्षी राजनैतिक दलों के लोग शहर के रैदोपुर स्थित मीडिया हाऊस में पहुंचे और आखिरी स्तर तक इस लड़ाई को लडऩे का संकल्प दोहराया। बैठक में यह तय किया गया कि यह लड़ाई केवल एक पत्रकार की नहीं बल्कि समाज के हर तबके की लड़ाई है।
ऐसे में आवाज बुलंद करने के लिए आजमगढ़ स्वाभिमान संघर्ष समिति के गठन का निर्णय लिया गया। इस 21 सदस्यीय संघर्ष समिति में समाज के हर तबके के लोगों को शामिल किया जायेगा तथा इसके गठन की जिम्मेदारी जर्नलिस्ट क्लब के अध्यक्ष आशुतोष द्विवेदी को सौंपी गयी। यह संघर्ष समिति 26 मार्च को अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़े जाने के परिपेक्ष्य में एसडीएम सदर के खिलाफ डीएम व मण्डलायुक्त को ज्ञापन देगी। इसके साथ ही संघर्ष समिति कानूनी कार्रवाई के लिए आगे की रणनीति तय करेगी। इस लड़ाई में सभी राजनैतिक एवं सामाजिक संगठनों को शामिल किया जायेगा तथा इसी संघर्ष समिति के बैनर तले आगामी 2 अप्रैल को कलेक्ट्रेट में धरना दिया जायेगा।
इसके साथ ही सोशल मीडिया पर एसडीएम हटाओ, शहर बचाओ नाम से कैम्पन चलाया जायेगा। इस बैठक में जर्नलिस्ट क्लब, प्रेस क्लब, तमसा प्रेस क्लब, श्रमजीवी पत्रकार संघ, गांधीगिरी टीम, आर्यावर्त महासभा, आजमगढ़ अभिभावक महासंघ, केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट एसोसिएशन, पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन, समाजवादी पार्टी, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रवीण सिंह, बसपा के मण्डल कोआर्डिनेटर अरूण पाठक, आजमगढ़ व्यापार मंडल , राष्टï्रीय सामाजिक न्याय आंदोलन के रामकुमार यादव आदि लोग मौजूद रहे। बैठक की अध्यक्षता जर्नलिस्ट क्लब के अध्यक्ष आशुतोष द्विवेदी ने किया।
देखें संंबंधित वीडियो-
आजमगढ़: वरिष्ठ पत्रकार एसके दत्ता के अखबार के कार्यालय को प्रशासन द्वारा ढहाये जाने को लेकर पत्रकारों ने मण्डलायुक्त को दिया ज्ञापन, जांच कर दोषी अफसरों पर कड़ी कार्यवाही की मांग-
आजमगढ़: वरिष्ठ पत्रकार एसके दत्ता की दुकान प्रशासन द्वारा ढहाये जाने से समाज का हर तबका आन्दोलित, जर्नलिस्ट क्लब कार्यालय पर हुई बैठक, एसडीएम हटाओ, शहर बचाओ का चलेगा अभियान-
योगेश यादव-
एस के दत्ता यानी Kabeer UP आजमगढ़ में पिछले 40 वर्षों से जमीनी पत्रकारिता करते आ रहे हैं। वर्षोंवर्ष से वे एक छायाकार के रूप में भी काम करते रहे हैं। फ़ोटो पत्रकारिता में उनसे पुराना पूर्वांचल की धरती पर शायद ही कोई पत्रकार रहा है। कई वर्षों से पायनियर हिंदी और अंग्रेजी अखबार इनके हाथों से निकल रहा है।
एस के दत्ता यानी Kabeer UP ने स्वतंत्र पत्रकारिता में वर्षों वर्ष से ईमानदारी और बेबाकी से की और वो लकीर खींची है जिसे बड़े से बड़े पत्रकार छू भी नहीं पाए।
जनता के बीच जनता की आवाज को जनता तक ले जाने में इनका योगदान अविस्मरणीय रहा है। ऐसा मैं नहीं पत्रकार जगत का उनको जानने वाला हर व्यक्ति जानता है और कहता है। लेकिन आज उस आवाज को दबाने के लिए जिला प्रसाशन आजमगढ़ ने उन्हें बेबजह परेशान किया हुआ है। कल इसी के चलते वहां के एसडीएम सदर ने उनके अखबार के कार्यालय को बुलडोजर चलवा के रात के अंधेरे में ध्वस्त कर दिया है। उनका सारा सामान प्रेस स्टूडियो आदि को नष्ट कर दिया है। कम्प्यूटर जनरेटर सब उठवा लिया है। ये दुकान नगर निगम आजमगढ़ ने उन्हें 20 वर्ष पूर्व आवंटित की थी। फिर भी इसे अवैध करार देकर तोड़ दिया गया है। जबकि एसडीएम द्वारा नोटिस आने के बाद न्यायालय में पेश होने और जबाब देने का दिन 25 मार्च निर्धारित था। लेकिन प्रशासन ने इसे तय वक्त से एक दिन पूर्व रात में इसे तोड़वा दिया। ये सरासर जिला प्रसाशन की एक पत्रकार को परेशान करने का षणयंत्र है। उनकी निष्पक्षता और ईमानदारी को ध्वस्त करने का षणयंत्र है।
मैं सभी से आवाहन करता हूँ कि इस धृष्टतापूर्ण कार्य के लिए जिला प्रशासन की कार्यवाही की निंदा की जाय।
मैं इस तकलीफदेह वक्त में एस के दत्ता जी के साथ हूँ और उनके लिए उचित न्याय की मांग करता हूँ।
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संजय पांडेय
March 27, 2021 at 12:31 pm
मुआवजे दिलाएगा भडा़स