Akhilesh Chandra : जोरहाट, असम से पांच दिन पहले 13 लोगों को लेकर उड़े AN-32 विमान का अब तक कुछ पता नहीं चल पाया है। उस देश के लिए यह बड़ी शर्म की बात है, जिसने कभी पुष्पक विमान उड़ाया हो! देश में एक मजबूत और ईमानदार सरकार के रहते ऐसा हुआ। जिस देश का पीएम झपकी भी न लेता हो उसके अपने ही इलाके में गायब हुए विमान का पता न चले, यह कैसे हो सकता है? क्या किया जाए ऐसी मजबूत सरकार का? सब मौन हैं?
Riwa S. Singh : इंडियन एयरफ़ोर्स के विमान AN-32 को लापता हुए आज पांचवां दिन है। खोजबीन जारी है लेकिन कुछ पता नहीं। उस विमान में 5 जवान और 8 क्रू मेंबर थे। इस ख़बर को जितना भयानक दिखना था वैसी दिखी नहीं। मीडिया इसकी सुध उस तरह नहीं ले रही। प्रधानमंत्री की इसपर कोई ख़ास प्रतिक्रिया नहीं आयी। उन 13 लोगों के 13 परिवार वालों के लिए बीते 3 दिन कैसे बीते होंगे, हम अंदाज़ा नहीं लगा सकते। वह विमान अरुणाचल प्रदेश में ही था (उसे वहीं मेचुका जाना था) तबतक उससे संपर्क टूट गया। वह अरुणाचल प्रदेश जहां के लोग ख़ुद को भारतवासी कहते हैं और जिसे चीन अपना क्षेत्र मानता है। वह अरुणाचल प्रदेश जिसे लेकर भारत सरकार दशकों से ढीला रवैया अपना रही है और चीनी घुसपैठ रुटीन हो गया है। वह अरुणाचल प्रदेश जिसपर अपनी सम्प्रभुता कायम रखने के लिए भारत सरकार ने कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाये।
पता नहीं वह विमान कहां होगा? पता नहीं वह क्षतिग्रस्त हुआ या चीनी सीमा को लांघ गया। चीन एक शातिर देश है, कूटनीति में उसका कोई सानी नहीं। वह विस्तारवादी सिद्धांत अपनाते हुए हॉन्ग कॉन्ग और ताइवान को अपने अधीन कर चुका है। भारत भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में भले इससे बचा रहा हो लेकिन भारतीय अर्थ जगत पर चीन हावी है। यह आसान तरीका है अवसर आने पर अपना नियंत्रण दिखाने को।
आज भी आप किसी ताइवानी को चीनी कह दें तो वे भड़क उठते हैं, हॉन्ग कॉन्ग में रहने वाले ख़ुद को हॉन्गकॉन्गर्स कहते हैं लेकिन वहां चीन का अधिपत्य है इसमें कोई दो राय नहीं। अगर विमान बंगाल की खाड़ी में गिरा हो तो…? तो ऐसा कैसे हो सकता है कि अबतक उसका पता नहीं चला। वह क्षेत्र बड़मूडा ट्रायंगल नहीं है जहां से चीज़ें विलुप्त हो जाएं और पता ही न चले। तीन दिन पर्याप्त थे उस विमान की स्थिति जानने को। अबतक कहां है AN-32? कहां हैं सारे सवाल जो इसपर पूछे जाने थे?
अखिलेश चंद्रा और रीवा एस सिंह की एफबी वॉल से.
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