यूपी में वास्तव में जंगल राज है। इलाहाबाद में एक पत्रकार को गरियाते धकियाते कालर पकड़कर गैस एजेंसी से बाहर कर दिया गया। साथ ही चेतावनी भी दी गई कि जहां चाहो शिकायत कर दो कुछ नहीं होने वाला। भुक्तभोगी पत्रकार ने थाने जाकर घटना की तहरीर दी पर पांच दिन बाद भी मुकदमा दर्ज करने को कौन कहे, पुलिस प्राथमिकी तक दर्ज नहीं कर सकी है। मामला इलाहाबाद के नवाबगंज थाना क्षेत्र का है। ‘पत्रकारों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं’ का जोर जोर से गाना गाने वाले ‘क्रांतिकारी पत्रकार’ हों या इलाहाबाद के पत्रकारीय संगठन इस मामले में बगल झांकने और आश्चर्यजनक हद तक चुप्पी साधे हुए हैं।
उज्जवला : ना रोक ना टोक, केवल लूटखसोट
केंद्र सरकार की उज्जवला रसोईगैस कनेक्शन योजना जो गरीब परिवारों के लिए चल रही है। हकीकत में बड़ा गड़बड़ घोटाला है। योजना तो शुरू कर दी गई पर ये जानने की कोशिश नहीं की गई कि उसका लाभ किसको मिल रहा है। पीएम मोदी से लेकर भाजपा के बड़े नेताओं का जोर, केंद्र सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने और योजनाओं में होने वाली गड़बड़ियों की तरफ सतर्क निगाह रखने के लिए आएदिन कार्यकर्ताओं को दिया जाता है पर जमीनी स्तर पर ठन-ठन गोपाल है। बड़े नेताओं को चेहरा दिखाने और सेल्फी की गहराती परंपरा वाले कार्यकर्ता, पदाधिकारी को छोड़िए, विधानसभा चुनाव के उन टिकटार्थियों को भी तो इधर देखने की फुर्सत नहीं जो जनसेवा का ठप्पा लगाए, कुर्ता टाइट किए समाजसेवा करने की ‘जंग’ में जुटे हुए हैं।
हकीकत यह है कि उज्जवला गैस योजना में किसी गरीब परिवार के नाम का कनेक्शन किसी और को फर्जी तरीके से देने का ‘खेल’ खुलेआम चल रहा है। इलाहाबाद के सोरांव तहसील के नवाबगंज इलाके में डेढ़ से दो हजार रूपए वसूलने के बाद ही कनेक्शन दिए जा रहे हैं। तकरीबन दो हजार से ज्यादा भुक्तभोगी ग्रामीण इस लूट के गवाह हैं पर कोई सुनने वाला नहीं। ना अच्छे दिन का सपना दिखाने वाली केंद्र सरकार और ना ‘बन रहा है आज संवर रहा है कल’ का राग अलापने वाली प्रदेश सरकार।
कई भुक्तभोगियों की शिकायत पर दारासिंह सरोज नामक पत्रकार ने न्यूज आइटम कलेक्ट के दौरान सच्चाई जानने नवाबगंज स्थित गैस एजेंसी पहुंचा तो वहां दलित जाति के पत्रकार दारासिंह को जातिसूचक गालियां दी गईं। पत्रकार को कालर पकड़ कर धकियाते हुए बाहर कर दिया गया। प्रतापगढ़ के एक पूर्व मंत्री का खुद को भतीजा बताने वाले एजेंसी संचालक के गुर्गों ने चैलेंज किया-जहां शिकायत करनी हो, करके देख लो, पहुंच-जुगाड़ दोनों है, कुछ नहीं होगा। भुक्तभोगी पत्रकार नोएडा में दो तीन चैनलों में कार्य करने वाला इलाहाबाद से प्रकाशित एक मासिक पत्रिका का ब्यूरोचीफ है। भुक्तभोगी पत्रकार ने मदद की गुहार लगाई है।
इलाहाबाद से शिवाशंकर पांडेय की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected]