Daya Sagar : देश की 86 फीसदी करेंसी रद्दी हो गई। इसमें अगर 50 फीसदी करेंसी को भी अगर हम काला धन मान लें तो वह चलन से बाहर हो गई। यानी आज की तारीख में भ्रष्ट लोगों के पास काले धन के नाम पर अचल सम्पत्ति और सोना बचा होगा। कैश बिलकुल नहीं होगा। बेशक ये एक बड़ी उपलब्धि है। बाकी सारा कैश पैसा जो अब तक अन-आकाउंटेड था। वह सब अकाउंटेड हो जाएगा। बेशक इससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। मुझे नहीं लगता कि अगले कुछ सालों में किसी के पास रिश्वत देने के लिए भी कोई पैसा होगा। सबके पास अकाउंटेड मनी होगी। यानी रिश्वत खोरी बंद। कोई भी ईमानदार अर्थव्यवस्था कैश लैस होती है। उसमें सारे लेनदेन चेक और प्लास्टिक मनी के जरिए होते हैँ। इस प्रयोग का प्रयास यही है कि हमारी अर्थ व्यवस्था कैश लैस हो। साफ सुधरा काम हो। तो इसमें दिक्कत क्या है भाई? आपकी समझ में क्या नहीं आ रहा है?
Madan Tiwary : अर्थशास्त्र अगर इतना आसान होता तो गोल्ड पेमेंट बन्द नहीं करना पड़ता। आमलोग समझ रहे हैं कि यह कदम कालाधान रोकने के लिए उठाया गया है। पहली बात 5 प्रतिशत भी काला धन बड़े नोट की शक्ल में नहीं है। यह जमीन, जेवरात, सोना, हीरा, बांड, शेयर में निवेश है। अब जिनके पास 5-10 करोड़ होगा भी वह 10 से 20 प्रतिशत पर बदला जायेगा। किसी को भी अकाउंट में 4-5 लाख जमा कर के उसको निकाल लेगा, नए नोट के रूप में। वह नया नोट कालेधन के रूप में ही होगा। जिसके एकाउंट में जमा होगा उसको कुछ प्रतिशत का फायदा होगा। इस कदम से अब कालेधन के रूप में सोना का लेन-देन होगा, सोने की तस्करी बढ़ेगी।
कालाधान व्यवसाय का हिस्सा बन गया था, अब वह उत्पादक कार्यों में नहीं लगकर सिर्फ अनुत्पादक रूप में यानी सोना हीरा के रूप में जमा रहेगा। उत्पादन घटेगा, मार्केट में रिसेशन आएगा, रोजगार में कटौती होगी, यह कदम उठाने का मतलब कालाधान वगैरह नहीं है बल्कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है और देश को दिवालिया होने से बचाने के अंतिम प्रयास के रूप में उठाया गया है।
हाँ, जो तेज होंगे वह इस मौके का फायदा उठा सकते है। कालेधन को सफेद करने में कमीशन के रूप में दिसंबर तक बेरोजगार लाख दो लाख कमा ले सकते हैं। इससे ज़्यादा कमाना हो तो फ़ीस दो, परमानेंट कमाने का उपाय भी बता दूंगा 🙂
संपादक दया शंकर शुक्ल सागर और एडवोकेट मदन तिवारी की एफबी वॉल से.