Virendra Yadav : इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित यह खबर उद्विग्न करने वाली है। मध्यप्रदेश के दतिया जिले के एक राजकीय कालेज के प्रधानाचार्य डा. एस एस गौतम को पुलिस ने गिरफ्तार कर इसलिए जेल में डाल दिया क्योंकि प्रधानाचार्य ने एक निजी बातचीत, जिसका छुपकर वीडियो बनाया गया, में यह कह दिया था कि उन्होंने कभी भी अपने विभाग में देवी देवताओं की तस्वीर नहीं लगने दी और वह कॉलेज में सिर्फ गांधी और आंबेडकर की तस्वीर लगाने के पक्ष में हैं।
उन पर सरस्वती के बारे में भी टिप्पणी करने का आरोप है। यूं तो एक धर्म निरपेक्ष देश में प्रधानाचार्य का यह कथन संविधान सम्मत और उचित है। लेकिन उनका अपराध यह है कि इस बहुसंख्यकवादी देश में वे दलित समुदाय से हैं। उनके साथी कॉलेज के एक अन्य दलित प्रोफेसर के विरुद्ध भी इस ‘अपराध’ में शामिल रहने के कारण पुलिस ने केस दर्ज किया है।
उल्लेखनीय यह है कि यह सब कांग्रेस शासित उस राज्य में किया गया है जो भाजपा के कट्टर हिंदुत्व का मुकाबला अपने नरम ‘हिंदुत्व’ से करने का हौसला रखती है। तो अब क्या यह तय माना जाय कि भाजपा हो या कांग्रेस हिन्दू धर्म और उसके देवी देवताओं पर कोई तर्क वितर्क संभव नहीं है? तो फिर बाबा साहब अम्बेडकर की उन 22प्रतिज्ञाओं का क्या होगा जिनमें उन्होंने हिन्दू धर्म के देवी देवताओं में अनास्था और उन्हें न अपनाने की अपील की थी।
दलित प्रधानाचार्य और प्रोफेसर के विरुद्ध यह दमनकारी कारवाई संविधान को मानने वाले धर्मनिरपेक्ष नागरिकों की स्वतंत्रता पर खुला हमला है। राहुल गांधी को कमलनाथ से इस बाबत तुरंत जवाबदेही मांगनी चाहिए। इस घटना की निन्दा और इसके विरुद्ध आवाज बुलंद करना जरूरी है।
लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक वीरेंद्र यादव की एफबी वॉल से.