देवगौड़ा के परिवार में सबकुछ ठीक नहीं होने की खबर छापने का मामला… लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद जद (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा के परिवार में सबकुछ ठीक नहीं होने के बारे में खबर प्रकाशित करने पर एक कन्नड़ अखबार के संपादक और उसके संपादकीय विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। कन्नड़ अखबार के संपादक विश्वेश्वर भट और संपादकीय कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420 और 499 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जनता दल (सेक्यूलर) के प्रदेश सचिव एसपी प्रदीप कुमार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक अखबार विश्ववाणी ने शनिवार को एक झूठी खबर प्रकाशित की जिससे ऐसे छवि बनी कि देवगौड़ा के पोतों के बीच में हंगामे और भ्रम की स्थिति है। एफआईआर के अनुसार विश्ववाणी ने अपने 25 मई के संस्करण में एक अपमानजनक लेख प्रकाशित किया जिसकी हेडलाइन टर्मालय ऑफ द गौड़ा ग्रैंड किड्स थी।खबर में आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी कथित तौर पर अपने दादा को गाली दी थी और मांड्या में एक महिला के हाथों मिली हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।एफआईआर में कहा गया, ऐसी किसी घटना के न होने के बावजूद अखबार ने निखिल कुमारस्वामी के राजनीतिक जीवन को खराब करने के उद्देश्य से मनमाने तरीके से इसे रिपोर्ट किया।
वहीं अखबार ने निखिल कुमार्स नाइट टाइम रेज की सब-हेडलाइन से सूत्रों के आधार पर एक अन्य खबर भी प्रकाशित किया था, जिसमें कहा गया था कि 23 मई की रात चुनाव परिणामों के बाद मैसूर के रेडिसन ब्लू होटल में निखिल अपना गुस्सा निकाल रहे थे।एंगर अगेंस्ट देवगौड़ा शीर्षक से लिखे गए एक अन्य हिस्से में कहा गया कि निखिल कुमारस्वामी अपने दादा पर भी चीख पड़े थे। खबर में आरोप लगाया गया था कि निखिल ने अपने दादा पर इस बात के लिए गुस्सा जाहिर किया कि उन्होंने मांड्या में उन्हें समर्थन देने के लिए कांग्रेस नेताओं को समझाने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया, जैसे कि उन्होंने दूसरे पोते प्रजवल रेवन्ना के लिए किया था।रेवन्ना गौड़ा खानदान के गढ़ हसन से लड़े थे जिसे गौड़ा ने छोड़ा था और उन्होंने वहां से जीत हासिल की। निखिल भारतीय जनता पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुमालता अंबरीश से एक लाख से ज्यादा मतों से हार गए थे।
25 मई को खबर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा था कि यह खबर झूठी और दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने कहा था, निखिल कुमारस्वामी के बारे में कन्नड़ अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट झूठी और दुर्भावनापूर्ण है। निखिल की इस चरित्र हत्या के कारण एक पिता के रूप में मुझे हुई पीड़ा है और इससे संपादक को अवगत कराया गया है।मीडिया से मेरा अनुरोध है कि इस तरह की झूठी खबरों से लोगों की भावनाओं के साथ खेलने से बचना चाहिए।
विश्वेश्वर भट के मुताबिक शुक्रवार को ये खबर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री और निखिल दोनों ने उनसे फोन पर बात की थी और उन्होंने अपनी सफाई दे दी थी लेकिन बावजूद इसके रविवार को पार्टी की लीगल सेल ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की और एक घण्टे के भीतर ही पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर दी।प्राथमिकी पर भट ने कहा कि खबर सूत्रों पर आधारित थी और अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वे स्पष्टीकरण जारी कर सकते थे, जैसा कि अखबार पूर्व में भी जरूरत पड़ने पर तत्परता पूर्वक करता रहा है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हम किस जगह रह रहे हैं. मैं 19 सालों से संपादक हूं और ऐसी घटना कभी नहीं हुई। बहुत अधिक तो मानहानि का मामला दायर किया जा सकता था लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराना एक नई परिपाटी शुरू करने जैसा है।मैं निश्चित रूप से अदालत में इसे चुनौती दूंगा।
गौरतलब है कि कर्नाटक की सत्ता में काबिज जेडीएस का कांग्रेस के साथ गठबंधन है। जेडीएस ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ा, लेकिन फिर भी सूबे की 48 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस और जेडीएस महज एक-एक लोकसभा सीट ही जीत सके।जेडीएस के लिए जीत दर्ज करने वाले प्रज्वल रेवन्ना की जीत का मार्जिन जहां 1,41,324 रहा, वहीं निखिल कुमारस्वामी निर्दलीय महिला प्रत्याशी सुमनलता अंबरीश से 1,25,876 वोटों से चुनाव हार गए। समुनलता को भाजपा का समर्थन हासिल था। चौंकाने वाली बात ये रही कि तुमकुर से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी 13,339 वोटों से चुनाव हार गए।
इसके पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने समाचार चैनलों के व्यंग्य कार्यक्रमों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने ने कांग्रेस-जेडीएस गंठबंधन का मजाक उड़ाने को लेकर कहा था कि यह समय है कि मीडिया को नेताओं का मजाक बनाने से रोकने के लिए एक कानून लाया जाए। कुमारस्वामी ने कहा था कि आप (मीडिया) हमारे नाम का दुरुपयोग करके किसकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं एक कानून लाने की सोच रहा हूं। आपने हम राजनेताओं के बारे में क्या सोचा है? आपको लगता है कि हम बेरोजगार हैं? क्या हम आपको कार्टून कैरेक्टर लगते हैं? किसने आपको मजाक करने का अधिकार दिया’।