आईटीवी नेटवर्क के मालिकों-संपादकों-प्रबंधकों ने अपने पत्रकारों की 4 महीने की सैलरी हड़प रखी है!
आईटीवी नेटवर्क के अंतर्गत हिंदी न्यूज चैनल इंडिया न्यूज़, अंग्रेजी चैनल न्यूज एक्स और दो अखबार द संडे गार्डियन और आज समाज नाम से चलते हैं। जाहिर है यह एक बड़ा ग्रुप है जिसका मीडिया के हर क्षेत्र में दखल है। कार्तिकेय शर्मा इस चैनल के मालिक हैं। राणा यशवंत, अजय शुक्ल समेत कई लोग यहां संपादक के रूप में कार्यरत हैं। पिछले चार महीने से (यानी दिसंबर 2019) इस कंपनी ने अपने पत्रकारों को सैलरी नहीं दी है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो इस्तीफा दे दें।
सोचिए, कोरोना महामारी के दौर में जब प्रधानमंत्री भी आग्रह कर चुके हैं कि कर्मचारियों की सैलरी न काटी जाए, यह चैनल उनकी बात भी नहीं सुन रहा।
इंडिया न्यूज सैलरी हड़पने के लिए काफी समय से कुख्यात है। मीडिया इंडस्ट्री में बड़े-बड़े पत्रकारों के साथ इस चैनल ने यह गंदा खेल खेला है। लेकिन इस बार तो शोषण की सीमा लांघते हुए इंडिया न्यूज पिछले छह महीने से कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रहा है। सितंबर 2019 से ही सैलरी 20 दिन तक लेट आने लगी। इसके बाद दो महीने के अंतराल के बाद सैलरी आई।
इस बीच कर्मचारियों ने इसका विरोध किया तो डिजिटल विंग के सीईओ संदीप अमर ने सारी डिजिटल टीम को अपने कमरे में बुलाकर यह निर्देश दिया कि आप लोग ऑफिस आना और काम करना बंद कर दें, जब तक पैसे नहीं मिलते। इससे मैनेजमेंट पर दबाव पड़ेगा। हालांकि बाद में उत्पन्न हुई स्थितियां बताती हैं कि यह खेल संदीप अमर ने प्रबंधन के कहने पर खेला था ताकि कर्मचारियों को उलझाया जा सके।
दरअसल इंडिया न्यूज के कॉन्ट्रेक्ट में यह बात साफ तौर पर लिखी हुई है कि अगर कंपनी अपने किसी कर्मचारी को निकालती है तो उसे तीन महीने की बेसिक सैलरी देनी पड़ेगी। यही कारण है कि इंडिया न्यूज में कर्मचारियों को एचआर डिपार्टमेंट की तरफ से फोन जाते हैं कि आप इस्तीफा दे दीजिए। आज तक किसी पत्रकार के पास कोई भी ईमेल या ऑफिसियल कम्युनिकेशन नहीं पहुंचा है। जाहिर तौर पर ये लोगों को मजबूर कर उनसे इस्तीफा चाहते हैं। इसके बाद भी सैलरी कब मिलेगी, इसका कोई अता-पता नहीं है।
चार महीने से सैलरी न मिलने से परेशान कुछ पत्रकार दिल्ली लेबर कमिशनर के पास गए। आधिकारिक तौर पर अपनी शिकायत दर्ज कराई। इसके बावजूद कंपनी का टालमटोल का रवैया जारी रहा। अब प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक स्पेशल लेबर ऑफिसर को इस केस की सुनवाई के लिए नियुक्त किया है। हालांकि ट्विटर पर इंडिया न्यूज के खिलाफ मुहिम चलाने पर धमकियां भी मिलने लगी हैं। इंडिया न्यूज के दफ्तर से लोग फोन कर करियर तबाह करने की धमकी दे रहे हैं। लेकिन वो एक बात भूल रहे हैं कि पत्रकार से मीडिया है, न कि मालिक से और न ही एचआर से। उम्मीद है पत्रकारों की नजर भी अपने साथियों के साथ हो रहे अन्याय पर पड़ेगी और वो भी साथ आएंगे।
फिलहाल ये वीडियो देखें सुनें और इंडिया न्यूज ग्रुप की असलियत जानें-
इस पूरे प्रकरण पर भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह ने फेसबुक पर एक पोस्ट भी प्रकाशित की है जिसमें उन्होंने इंडिया न्यूज ग्रुप के कर्मियों के साथ अपनी एकजुटता दिखाते हुए वहां के संपादकों-मालिकों पर निशाना साधा है. पढ़ें-
Yashwant Singh : माफ करिएगा. थोड़ी तल्ख बात कहने जा रहा हूं. नाम लेकर.
Rana Yashwant और Ajay Shukla, ये दो लोग उस मीडिया ग्रुप में काम करते हैं, वहां संपादक की हैसियत में हैं, जहां के इंप्लाइज को चार महीने से सेलरी नहीं मिली है. संपादक का मतलब अपने अधीन काम करने वाले मीडियाकर्मियों के दुख-सुख को समझने-बूझने और तदनुसार कदम उठाने वाला भी होता है.
आईटीवी नामक इस मीडिया हाउस के मालिक कार्तिकेय शर्मा प्रधानमंत्री मोदी की संपादकों-मीडिया मालिकों से हुई वीडियो क्रांफ्रेंसिंग बैठक में हिस्सा ले चुके हैं और ढेर सारी अच्छी अच्छी सलाह भी दे चुके हैं. पर खुद के मीडिया हाउस में काम करने वालों को चार महीने से सेलरी नहीं दे रहे हैं. सोचिए, ये कोरोना काल और लाक डाउन वे लड़के कैसे काट रहे होंगे.
मैं राणा यशवंत और अजय शुक्ला से अपील करता हूं कि वे लोग इस मुद्दे पर खुल कर बोलें. अपना पक्ष रखें. वे अगर मालिकों के साथ हैं, नौकरी प्यारी है, तो इसी तरह चुप्पी साधे रहें. अगर अपने मीडियाकर्मियों के दुख के साथ हैं, तो उन्हें सेलरी देने के लिए अपने मालिकों पर दबाव बनाना चाहिए. टीम लीडर होने के नाते उन्हें पब्लिक डोमेन में अपनी बात रखनी चाहिए.
ये समस्या पिछले कई महीने से है. भड़ास पर दर्जन भर बार छप चुका है सेलरी संकट को लेकर. इंडिया न्यूज ग्रुप के कई लड़के लगातार इधर उधर हाथ मार कर प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह दबाव बने और कार्तिकेय शर्मा उनकी सेलरी रिलीज करे.
पता चला है कि कार्तिकेय शर्मा एक फाउंडेशन भी चलाते हैं जो भूखे लोगों को रोटी वगैरह बांटता है. अरे भइया, पहले अपने यहां काम करने वालों की रोटी का जुगाड़ तो देख लो, फिर ढिंढोरा पीटना गरीबों की भलाई का.
पत्रकार Jitendra Chaturvedi लिखते हैं- दिल्ली में कई पत्रकार संगठन हैं। डीजेए के ही तीन धड़े सक्रिय हैं। एक के कर्ताधर्ता रास बिहारी सर है, दूसरे की कमान मनोहर सर के पास है और तीसरे की अनुराग पुठेगा सर के पास। अगर आप लोगों तक मेरी आवाज और चार माह से वेतन न पाए पत्रकार साथियों का दर्द पहुंच रहा हो तो उनके लिए कुछ करिए। अन्यथा संगठन बनाना और चलाना सब बेईमानी हो जाएगा। IFWJ को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए। मामला बहुत संवेदनशील है।
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Pankaj Bhutani
April 16, 2020 at 2:59 am
मान गया आपको सच की तलवार हैं हाथ मे कलम ना कहे इसे बस सबको मिल जाये उनकी सैलरी