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राजस्थान के गृहमंत्री कटारिया पड़ गए ‘भूत’ के चक्कर में!

दिल्ली से प्रकाशित ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ नामक मैगजीन के सम्पादक पवन कुमार भूत ने पैसों में प्रेस कार्ड बेचकर देशभर में हजारों पत्रकार बना दिए है। किरण बेदी सहित देशभर के कई बड़े पुलिस अधिकारियों को चकमा देकर उनके नाम का इस्तेमाल कर चुके इस भूत के चक्कर से राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया भी बच नहीं सके।  हाल ही में पवन कुमार भूत ने उदयपुर स्थित विज्ञान समिति हॉल में अपनी मैगजीन ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ का लोकापर्ण किया। यहां यह बताना जरूरी है कि यह मासिक पत्रिता एक दशक से अधिक समय से यदाकदा प्रकाशित होती रही है। साथ ही यह भी बताना अत्यन्त आवश्यक है कि इस प्रकार के लोकापर्ण समारोह के लिए इसका प्रकाशन अधिक हुआ है। उदयपुर में आयोजित हुए लोकापर्ण समारोह में पवन कुमार भूत ने राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को बतौर मुख्य अतिथि बुला लिया। कटारिया भी बना जाने भूत के चक्कर में पड़ गए और लोकापर्ण समारोह में चले गए।

दिल्ली से प्रकाशित ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ नामक मैगजीन के सम्पादक पवन कुमार भूत ने पैसों में प्रेस कार्ड बेचकर देशभर में हजारों पत्रकार बना दिए है। किरण बेदी सहित देशभर के कई बड़े पुलिस अधिकारियों को चकमा देकर उनके नाम का इस्तेमाल कर चुके इस भूत के चक्कर से राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया भी बच नहीं सके।  हाल ही में पवन कुमार भूत ने उदयपुर स्थित विज्ञान समिति हॉल में अपनी मैगजीन ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ का लोकापर्ण किया। यहां यह बताना जरूरी है कि यह मासिक पत्रिता एक दशक से अधिक समय से यदाकदा प्रकाशित होती रही है। साथ ही यह भी बताना अत्यन्त आवश्यक है कि इस प्रकार के लोकापर्ण समारोह के लिए इसका प्रकाशन अधिक हुआ है। उदयपुर में आयोजित हुए लोकापर्ण समारोह में पवन कुमार भूत ने राज्य के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को बतौर मुख्य अतिथि बुला लिया। कटारिया भी बना जाने भूत के चक्कर में पड़ गए और लोकापर्ण समारोह में चले गए।

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पुलिस व प्रेस के नाम पर ठगी का गोरखधंधा
यूं तो हिन्दूस्तान की जनता को कई शातिर लोग विभिन्न तरीकों से ठग रहे है। इस मामले में प्रेस (मीडिया) के माध्यम से जनता को ठगा जा रहा है। पवन कुमार भूत द्वारा क्रमशः 2500 और 10,000 रुपए में प्रेस कार्ड दिए जाते रहे है। यूं तो पवन कुमार भूत बताता हैं कि उसकी मासिक पत्रिका के माध्यम से भारत में बढ़ रहे अपराध के ग्राफ को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। वह बताता हैं कि पुलिस व पब्लिक के बीच सामंजस्य स्थापित करने लिए उसकी मासिक पत्रिका एक पहल है। पर सच्‍चाई इससे अलग है। पवन भूत अपनी मासिक पत्रिका (जो कि कभी कभार ही छपती है) के रिपोर्टर बनाने के नाम पर लोगों से 2500 और 10,000 रुपए लेकर प्रेस कार्ड देता है। ऐसे ऐसे लोगों को प्रेस कार्ड दिए गए है जो पत्रकारिता से कोई ताल्लुक नहीं रखते है। ड्राइवर हो या व्यापारी, मिस़्त्री हो या ठेकेदार, सभी को प्रेस कार्ड दिए जा रहे है।

एक ही शहर में सैकडों रिपोर्टर
एक शहर में किसी समाचार पत्र अथवा पत्रिका के 1, 2, 3 या 4 संवाददाता होते है, जो अलग-अलग मुद्दों पर लिखने का काम करते है लेकिन ’’पुलिस पब्लिक प्रेस’’ के एक ही शहर में सैकड़ों-सैंकड़ों रिपोर्टर है। गुजरात के सूरत, बड़ोदा, गांधीनगर, महाराष्ट्र के मुम्बई, कोलकत्ता, दिल्ली, फिरोजाबाद, रांची, धनबाद में 100-100 से अधिक प्रेस कार्डधारी संवाददाता है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं रहा है, राजस्थान के जयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, पाली के बाद अब उदयपुर जिले में इसने रूपए लेकर प्रेस कार्ड बांटने का कार्य आरम्भ किया है।

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ऐसे की जाती है ठगी
पवन भूत विभिन्न माध्यमों से ‘‘संवाददाताओं की आवश्यकता’’ के आशय का विज्ञापन प्रकाशित करवाता है। पहले विज्ञापन में किरण बेदी के साथ वाला फोटो प्रकाशित करवाता था। इसने समय-समय पर किरण बेदी सहित कई आईपीएस अधिकारियों, मंत्रियों व नामीगिरामी हस्तियों के हाथों अपनी मासिक पत्रिका का विमोचन करवाकर उनके फोटोग्राफ का इस्तेमाल विज्ञापनों में किया। इसके कारनामों के बारे में जब किरण बेदी को अवगत कराया गया तो किरण बेदी ने पवन कुमार भूत को लताड़ लगाकर इतिश्री कर ली। विज्ञापन देखकर जरूरतमंद लोग विज्ञापन में दिए पते पर सम्पर्क करते है। अमूमन लोग ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ को किरण बेदी का उपक्रम समझ कर भी सम्पर्क करने चले जाते थे। जहां उनसे रिपोर्टर फीस के नाम पर रुपए वसूल कर संवाददाता का फार्म भरवाया जाता और मैगजीन के सदस्य बनाने का काम सौंपा जाता।

रुपए देकर रिपोर्टर बना व्यक्ति मैगजीन के सदस्य बनाना शुरू करता है। उसे सदस्यता राशि का 25 प्रतिशत दिया जाता है। 1 वर्ष, 2 वर्ष और आजीवन सदस्यता के नाम पर लोगों से रुपए लिए जाते है और वादा किया जाता है कि उनकी सदस्यता अवधि तक उन्हें डाक द्वारा मैगजीन भेजी जाएगी और दुर्घटना बीमा करवाया जाएगा। लेकिन उन्हें ना तो मैगजीन भेजी जाती है और ना ही किसी प्रकार का दुर्घटना बीमा करवाया जाता है। सदस्य बने लोगों को दिया जाता है तो महज सदस्यता कार्ड। जिस पर बड़े अक्षरों में ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ भी लिखा होता हैं, जिसे लोक ‘‘प्रेस कार्ड’’ समझकर खुश हो लेते है।

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सब कुछ जानते हुए चुप हैं किरण बेदी
इस धोखाधड़ी के बिजनेस में पवन भूत ने किरण बेदी के नाम का खूब उपयोग किया। लम्बे समय तक किरण बेदी को अपनी कंपनी का पार्टनर बताकर लोगों को विश्‍वास में लेता रहा। जानकारी के अनुसार उसने किरण बेदी द्वारा पुलिस पब्लिक प्रेस का विमोचन करवाया तथा कई सेमीनारों में मुख्यवक्ता के रूप में बुलाया। विमोचन व सेमीनारों में किरण बेदी के साथ खिंचवाई गए फोटोग्राफ को पवन भूत ने पेम्पलेट, अखबारों आदि में प्रकाशित करवाया ताकि लोग ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ पर विश्‍वास करे और उससे जुड़े।

यही नहीं पवन भूत ने नेशनल टॉल फ्री नंबर 1800-11-5100 का आरंभ भी किरण बेदी के हाथों करवाया। हालांकि यह नंबर दिखावा मात्र है। पवन भूत का कहना था कि पुलिस अगर किसी की जायज शिकायत पर कार्यवाही नहीं करती है तो वो हमारे टोल फ्री नंबर पर कॉल कर सकता है, तब पुलिस पब्लिक प्रेस द्वारा उसकी मदद की जाएगी। यह लोगों को आकर्षित करने का तरीका महज है। पवन भूत ने अपनी वेबसाइट, अपनी मैगजीन व विभिन्न अखबारों इत्यादि में दिए गए विज्ञापन में किरण बेदी का फोटो प्रकाशित कर किरण बेदी के नाम को खूब भूनाया है। इस पूरे मामले में किरण बेदी से सम्पर्क कर जानने की कोशिश की तो उन्होंने केवल इतना कह कर कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया कि – ”मैं ‘पुलिस पब्लिक प्रेस‘ के साथ नहीं हूं।”

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पवन भूत के खिलाफ ठगी की कई शिकायतों के बावजूद किरण बेदी का महज यह कह देना कि मैं उसके साथ नहीं हूं . . क्या पर्याप्त है ? किरण बेदी द्वारा पवन भूत के खिलाफ कोई कार्यवाही करवाने की बजाए चुप रहना किरण बेदी की भूमिका पर सवालिया निशान है।

18 से अधिक बैंकों में खाते
कई राज्यों के लोगों को मूर्ख बनाकर अब तक करोड़ो रुपए ऐंठ चुके पवन कुमार भूत के देशभर के 18 से भी अधिक बैंकों में खाते है। सारे नियमों व सिद्धान्तों को ताक में रख कर व कानून के सिपाहियों की नाक के नीचे पवन कुमार भूत देश की जनता को ठग रहा है। जनता को भी प्रेस कार्ड का ऐसा चस्का लगा है कि बिना सोचे समझे रुपए देकर प्रेस कार्ड बनवा रहे है। जानकारी के अनुसार पवन कुमार भूत ने 2006 में ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ नाम की मासिक पत्रिका आरंभ की थी। शुरू में वह 1000 रुपए लेकर अपनी मासिक पत्रिका के रिपोर्टर नियुक्त करता था तथा रिपोर्टर के माध्यम से लोगों से 200 रुपए लेकर पत्रिका के द्विवार्षिक सदस्य बनाता था। आजकल वो राशि कई गुना बढ़ गई है। इतने बैंकों में खाते खुलवाने के पीछे पवन भूत का मकसद है कि जिस रिपोर्टर के क्षेत्र जो भी बैंक हो उस बैंक में वो सदस्यता शुल्क तुरन्त जमा करवा सके।

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ना बीमा करवाए और ना ही मैगजीन भेजी
5 साल पहले पवन भूत ने रिपोर्टर फीस बढ़ाकर 1000 रुपए से 2500 रुपए कर दी तथा पत्रिका के सदस्य बनाने के लिए भी दो प्लान बनाए। अब वह प्लान के अनुसार रिपोर्टरों से पत्रिका के सदस्य बनाने लगा। 400 रुपए में द्विवार्षिक सदस्यता व 3000 रुपए में आजीवन सदस्यता दी जाने लगी। द्विवार्षिक सदस्य को 1 वर्ष की अवधि के लिए 1 लाख रुपए का दुर्घटना मृत्यु बीमा देने, पुलिस पब्लिक प्रेस का सदस्यता कार्ड व पुलिस पब्लिक प्रेस के 24 अंक डाक द्वारा भिजवाने का एवं आजीवन सदस्य को 1 वर्ष की अवधि के लिए 2 लाख रुपए का दुर्घटना मृत्यु बीमा देने का वादा किया गया।

रिपोर्टर बने सैंकड़ों लोगों द्वारा बनाए गए सदस्यों को महज ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ के सदस्यता कार्ड के अलावा कुछ नहीं दिया गया। हां कभी कभार मैगजीन भेजी गई। प्रेस कार्ड व सदस्यता कार्ड की मार्केट में जबरदस्त मांग के चलते 2012 में पवन भूत ने पुलिस पब्लिक प्रेस की सदस्यता राशि बढ़ा दी, वार्षिक सदस्यता शुल्क 400 रुपए, द्विवार्षिक सदस्यता शुल्क 1000 रुपए व आजीवन सदस्यता शुल्क 3000 रुपए कर दिए गए। एसोसिएट रिपोर्टर की फीस 10,000 रुपए कर दी, जिसे आजीवन सदस्यता मुफ्त दी जाने लगी।

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भीलवाड़ा जिले के कोशीथल गांव के प्रवीण दमामी, उमर मोहम्मद, पालरां निवासी मोहन लाल तेली, मोखुन्दा निवासी अशोक पोखरना, मो. कमरूद्दीन सहित सैकड़ों लोगों ने ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ की दो वर्ष की सदस्यता ली थी। दो वर्ष बीत गए लेकिन किसी को मैगजीन नहीं भेजी गई और ना ही किसी का दुर्घटना बीमा करवाया गया। 

किन्हीं कारणों से मैं मैगजीन नहीं भेज पता हूं
पवन भूत का कहना है कि मेरी कमजोरी रही है कि मैं सदस्यों को मैगजीन नहीं भेज पाता हूं। पाली निवासी रमेश राणा का कहना है कि क्या हजारों लोगों से मैगजीन के नाम से लाखों रुपए लेकर महज इतना कह देना कि किन्हीं कारणों से मैं मैगजीन नहीं भिजवा पा रहा हूं पर्याप्त है ? 5000 रुपए प्रतिमाह का झांसा देकर बेरोजगार युवाओं से हजारों रुपए लेकर उन्हें रिपोर्टर कार्ड प्रदान करने वाले पवन भूत के खिलाफ पुलिस कोई कार्यवाही करेगी या देश के लोगों को यूं ही लुटते हुए देखती रहेगी ?

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‘‘मैं अकेला क्या कर सकता हूं, हर तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है, मैंनें भी ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ के कई सदस्य जोड़े लेकिन पवन भूत ने उन सदस्यों को मैगजीन नहीं भेजी। चूंकि लोगों से सदस्यता राशि लेकर मैंनें पवन भूत को भिजवाई थी इसलिए लोगों ने मैगजीन के लिए मुझ पर दबाव बनाया। अंत में मुझे अपनी जेब से पैसे वापस लौटाने पड़े।’’ दिनेश सिंह-ज्ञानगढ़, भीलवाड़ा। 

सदस्यों की मैगजीन न मिलने की शिकायतों से परेशान होकर भीलवाड़ा के रिपोर्टर रवि व्यास को अपना क्षेत्र छोड़कर अन्यत्र जाकर रहना पड़ रहा है। अकेले भीलवाड़ा शहर में सैकड़ों लोगों को पुलिस पब्लिक प्रेस की सदस्यता दिलवा चुके युवा रवि व्यास का कहना है कि सदस्यता फार्म में लिखा होता है कि डाक द्वारा मैगजीन भेजी जाएगी और दुर्घटना बीमा करवाया जाएगा। लेकिन जब मैगजीन नहीं आती है और बीमा नहीं करवाया जाता है तो लोग सदस्यता फार्म भरने वाले को पकड़ते है ना कि मैगजीन के मालिक और सम्पादक को।

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पीड़ितों ने की थी प्रधानमंत्री से शिकायत और गृहमंत्री ने दिया लोकापर्ण
ठगी के शिकार हुए लोगों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी. चिदम्बरम व प्रेस कांउसिल ऑफ इंडिया को शिकायत पत्र भेजकर ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। धोखाधड़ी के शिकार हुए देश भर के कई लोगों ने फरीदाबाद, कोलकत्ता के थाने में एफआईआर दर्ज करवाई लेकिन नतीजा सिफर रहा है। अभी तक पवन भूत के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे ऐसा लगता है कि पवन भूत पुलिस व पब्लिक के बीच में भले ही सामंजस्य स्थापित ना करवा पाया हो, लेकिन पुलिस व प्रेस में सामंजस्य जरूर स्थापित किया है। इस सामंजस्य का ही परिणाम है कि राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ का लोकापर्ण कर दिया।

पवन भूत ने अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भीलवाड़ा में कार्यालय संचालित कर रखा हैं, इस कार्यालय का संचालन तमन्ना अहमद करते है। तमन्ना अहमद कई बरसों से पवन कुमार भूत के साथ है, जिसे भूत ने मैनेजिंग एडिटर बना रखा है। उदयपुर में आयोजित हुए लोकापर्ण समारोह के बाद पवन कुमार भूत ने तमन्ना अहमद के जरिए उदयपुर में अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया हैं, उम्मीद है तमन्ना अहमद की जानिब से कुछ दिनों बाद शहर की सड़कों पर दौड़तें चौपहिया वाहनों पर ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ लिखा नजर आने लगेगा और जिले में प्रेस कार्डधारी पत्रकारों की जमात की संख्या भी अवश्य बढ़ जाएगी।

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लेखक लखन सालवी से संपर्क +91 98280-81636 या [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

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0 Comments

  1. LOON KARAN CHHAJER

    May 19, 2016 at 11:39 am

    वास्तव में यह सही है अनेक युवा इस भुत के शिकार हो चुके हैं अपनी जानकारी की कमी के चलते पुलिस के अधिकारी भी इसके जाल में फंस जातें है. कुछ जगह पर इसके खिलाफ FIR भी दर्ज हो चुकी है।

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