Connect with us

Hi, what are you looking for?

साहित्य

कवियों की रामलीला

आज सुबह शशांक को रावण बना देख मुझे एक शरारत सूझी सोचा अगर कवियों को रामलीला करनी पड़े तो स्टार कास्ट कुछ यूँ संभव लगती है। रावण शशांक बन ही गये। सुरेश अवस्थी कवि बनने के पहले बांणासुर बनते ही थे। अपने नीरज जी विश्वामित्र ठीक, राम के लिए उम्र ज्यादा हो गयी है फिर भी अरुण जैमिनी से अच्छा चेहरा मुझे कोई लगता नहीं। कुमार को लक्ष्मण। सुना सुना चुटकुले, चौपाइयां और ज्ञान परशुराम की भौं निकाल देगा। परशुराम वैसे पंवार जी से बेहतर कोई नहीं पर ज़रा शरीर ढीला हो गया है फिर भी फुल ड्रेस में उन्हें ही कास्ट करूँगा, कहूँगा ज़रा खाने से ज्यादा पीने पर ज़ोर दें।

<p>आज सुबह शशांक को रावण बना देख मुझे एक शरारत सूझी सोचा अगर कवियों को रामलीला करनी पड़े तो स्टार कास्ट कुछ यूँ संभव लगती है। रावण शशांक बन ही गये। सुरेश अवस्थी कवि बनने के पहले बांणासुर बनते ही थे। अपने नीरज जी विश्वामित्र ठीक, राम के लिए उम्र ज्यादा हो गयी है फिर भी अरुण जैमिनी से अच्छा चेहरा मुझे कोई लगता नहीं। कुमार को लक्ष्मण। सुना सुना चुटकुले, चौपाइयां और ज्ञान परशुराम की भौं निकाल देगा। परशुराम वैसे पंवार जी से बेहतर कोई नहीं पर ज़रा शरीर ढीला हो गया है फिर भी फुल ड्रेस में उन्हें ही कास्ट करूँगा, कहूँगा ज़रा खाने से ज्यादा पीने पर ज़ोर दें।</p>

आज सुबह शशांक को रावण बना देख मुझे एक शरारत सूझी सोचा अगर कवियों को रामलीला करनी पड़े तो स्टार कास्ट कुछ यूँ संभव लगती है। रावण शशांक बन ही गये। सुरेश अवस्थी कवि बनने के पहले बांणासुर बनते ही थे। अपने नीरज जी विश्वामित्र ठीक, राम के लिए उम्र ज्यादा हो गयी है फिर भी अरुण जैमिनी से अच्छा चेहरा मुझे कोई लगता नहीं। कुमार को लक्ष्मण। सुना सुना चुटकुले, चौपाइयां और ज्ञान परशुराम की भौं निकाल देगा। परशुराम वैसे पंवार जी से बेहतर कोई नहीं पर ज़रा शरीर ढीला हो गया है फिर भी फुल ड्रेस में उन्हें ही कास्ट करूँगा, कहूँगा ज़रा खाने से ज्यादा पीने पर ज़ोर दें।

मदन मोहन समर अंगद के लिए फिट हैं। हालाँकि लोग कहेंगे यार पांव कम जमाये खुद जादा जमें । मंथरा का रोल  सर्वेश अस्थाना से बेहतर कवियों में कोई नहीं कर सकता केवल राम ही नहीं अपनी पर आ जाए तो कैकेई को भी वनवास करा दे भगवान् कसम। नारद सुदीप भोला ..नारायण नारायण ..चाचू ..चाचू ..करता हुआ हर जगह हाज़िर। राम अगर अरुण जैमिनी है तो सीता शैलेश लोढ़ा से बेहतर कोई हो नहीं सकता वाह वाह क्या बात है। व्यास पीठ का जिम्मा सत्तन दादा को । उनसे ज्यादा न रामायण किसी को याद है और न कोई रामलीला का सञ्चालन कर सकता है । संपत बुरा मान जाएंगे अगर उन्हें जटायू न बनाया। बचा पाये न बचा पाएं पर सीता के लिए संघर्ष में पंख कटवाने के बावजूद चोंच मारना नहीं छोड़ेंगे। चाहें जान चली जाय। लव-कुश के लिए चिराग और शम्भू ठीक ।  चिराग लव और शम्भू कुश। शम्भू कुश इसलिए कि कुश को बनाया गया था खर पतवार से कोई पैदा थोड़े ही हुए थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

विष्णु को मुख्य नर्तकी का रोल जब दांती पीस कर कहेगा उंगलियों में दुपट्टा तो …हंगामा हो जायेगा और सुनील जोग्गी चिरपोटना यानी जोकर जो हंसाने के लिए कुछ भी करेगा। कुम्भकरण प्रदीप चौबे से बेहतर कोई नही। मंच पर सोयेंगे और बीच बीच में रावण के अनुचर थर्मस से उनकी सेवा में रहेंगे रात भर। सूर्पनखा पद्म श्री सुरेन्द्र दुबे ही जचेंगे। गजेन्द्र सोलंकी को शत्रुघ्न बनाऊंगा ताकि राम लीला का मुख्य पात्र होकर भी दृश्य से जादातर गायब ही रहें। भीड़ में घुसकर (हालांकि अभी चलने फिरने में दिक्कत हैं पर जब तक मंचन होगा दौड़ने लगेगा) आरती के पैसे का जिम्मा रमेश मुस्कान का ही होगा। सिगरेट की आदत की वजह से धार्मिक मंच पर कोई रोल उचित नहीं होगा। भरत तेज नारायण ठीक रहेगा, रहेगा राम के साथ पर रावण से लड़ेगा नहीं।

जामवंत का रोल उदय दादा का। ज्यादा कुछ करना धरना नहीं बस हनुमान को याद दिलाना है उनका बल वो भी अगर उन्हें  याद रहा तो.. वरना अपने हनुमान जी उन्हें खुद याद दिला देंगे कि मुझे याद दिलाओ। आखिर बिना पद्मश्री वाले सुरेंद्र दुबे जो हनुमान बनेगें। जिन्हें अपने बल के साथ साथ जामवन्त का बल भी याद रहता है। लंका दहन का भी सीन होगा। अनुभवी है बचा बचा के आग लगाएंगे ताकि सीन जले पूछ नहीं। वरना रामलीला के बाद कौन पूछेगा? कुंवर बेचैन विश्ववामित्र के गेट अप में हमेशा तैयार रहेंगे परदे के पीछे। पता नहीं कब नीरज जी दाढ़ी मूंछे नोच नाच कर राम सिंह के साथ मंच छोड़ कर व्हील चेयर पर बैठ जाएँ। परदा उठाने गिराने की ज़िम्मेदारी रहेगी सुरेन्द्र सुकुमार की। कद का लाभ रहेगा। अगर कही परदे की गरारी अटकी तो हाथ से ही परदा उठाता गिराता रहेगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सुग्रीव दिनेश रघुवंशी, नल मैं, नील रमेश शर्मा। दोनों राम राम लिखकर पत्थर तैराते रहेंगे। अपना प्रवीण वो गिलहरी जो प्रण प्राण से सेतु हेतु जुटी रहेगी। इस रामायण के रचियता होंगे यानि संवाद लेखक सुरेन्द्र शर्मा। अशोक चक्रधर का निर्देशन रहेगा। उद्घटान बैरागी जी करेंगे और समापन संतोषानंद। शेष जितने भी बचेंगे उन्हें रामा दाल और रावण की सेना में बाँट दिया जायेगा। सबका स्क्रीन टेस्ट होगा जो पास वो रावण के दल में और जो फेल वो रामा दल में। प्रताप फौजदार और मंजीत सरदार का नो टेस्ट। इन्हें भाला पकड़ा कर राम और रावण दरबार का दरबान बना दिया जायेगा ताकि ये सर्फ देखें, बोले नहीं। विभीषण रहा जा था तो विनीत याद आ गया। वैसे अभी पता करना है वो इस समय है किस दल में। चूँकि यह दशहरा की राम लीला की कास्ट है, कोई फ़िल्म नहीं रही, इसलिए इसमे कवियत्रियों को नहीं लिया गया है। मैंने बहुत आनंद में यह कास्ट की है। आशा है आप भी आनंद लेंगे और मुझे कोई कास्ट नहीं चुकानी पड़ेगी।

इस व्यंग्य के लेखक कानपुर के जाने माने पत्रकार और कवि प्रमोद तिवारी हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement