जज : तो खबर डिलीट कर रहे हो ना…
चिरकुट : हुजूर, ये कैसे होगा.. बिलकुल नहीं. ये तो व्यंग्य लिखा गया है. व्यंग्य के आखिर में लिखा भी हुआ है कि नाम और पहचान सब काल्पनिक है.
जज : तुम्हें कोर्ट ठिकाने लगा देगी… तुम्हें पता नहीं है तुम क्या बोल रहे हो…
चिरकुट : हुजूर… कोर्टवा हमार भी है.. सिर्फ आपे का थोड़े ही है…
जज : तुम्हारा वकील तो कुछ बोल ही नहीं रहा है, तुम्हीं बोले जा रहे हो…
चिरकुट : नाहीं साहेब…. वकील साहेब बोलिहन.. हमहीं पीछे जाइ रहन हैं….
वकील : जज साहेब, आापसे वो बात तो हुई ही नहीं थी जो आपने क्लाइंट से डायरेक्टली कह दिया…
जज : मुझे नहीं पता… अब कोर्ट देख लेगी… आप बोलिए साफ-साफ, अभी, क्या करना है..
वकील : हुजूर, मुझे ऐसा अंदाजा नहीं था कि क्लाइंट और आप मिल कर ऐसा माहौल बना देंगे.. इस माहौल के लिए मैं तर्क गढ़ कर नहीं लाया था… लिहाजा मुझे एक मौका दीजिए…
जज : ऐसा नहीं जा सकते आप वकील साहब… आप बताइए कि ये ‘पादना न्यूज’ असल में किस चैनल का नाम है…
वकील : हुजूर बताया जा चुका है कि जो भी अवांछित पादते हैं उनके बारे में लिखी गई मिली जुली कहानियों का समुच्चय है पादना न्यूज…
जज : ऐसा कैसा हो सकता है… पादना न्यूज कोई चैनल होगा… उसके पदाधिकारी होंगे… उसका मुझे असली नाम और डिटेल चाहिए…. वरना देख लेना…
चिरकुट : जज साहब, ऐसे तो सावधान इंडिया बंद हो जाए और हरिशंकर परसाई जेल चले जाएं… कोई हद होती है न्यायगिरी की….
जज : ये क्या है… तुम्हारा बयान संज्ञान ले लिया जाएगा… तुम्हें पता नहीं तुम क्या बोल दिए हो.. तुम्हें भुगतना पड़ जाएगा…
वकील : नया तारीख दे दीजिए… माहौल बहुत खराब है… आपको भी समझना चाहिए… आपके करियर का मामला है…
जज : देखते हैं ऐसा कैसे हो सकता है… मार्च में आना… नोट करो … कंप्लेनेंट सेड दैट.. रिस्पांडेंट सेड दैट .. ब्ला ब्ला ब्ला….
कोरस : यस योर आनर … जी हुजूर… जय हो न्याय पालिका की…
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सिपाही : दारू पी रहे हो…
चिरकुट : नहीं सर… हम अकेले नहीं हैं… उ देखिए… दारू का ठेका है सामने और बगल में मास क दुकान… हम उही दून्ने फेर में बैठे हैं..
सिपाही : चल निकल बाहर.. गाड़ी का कागज है… ये कौन बैठा है बुड्ढा बगल में…
चिरकुट : साहब, बगल वाला बुड्ढा भिखारी है, उसने कहा घर छोड़ देने को तो ठंढी में बिठा लिया और कई मोमोज खिला दिया… भिखारी जी पहले से हाफ मारे हुए हैं और हम अपना दूसरा पव्वा शुरू किए हुए हैं…
सिपाही : तुम लोगों को कानून पता ही नहीं है.. भिखारी बुड्ढे को फेंको बाहर… और तुम चलो थाने… न कागज है और न कायदे की आवाज निकल रही है… तेरी गाड़ी कंपाउंड होगी और तू जेल जाएगा…
चिरकुट : बहुत बिनती कर ली… अब आप ले ही चलो … कंपाउंड कराओ. मेडिकल कराओ… तिहाड़ जेल भेजो…
सिपाही : अब ये जाएगा… चल तू.. मैं बाइक पे बैठता हूं और ये सिपाही तेरे साथ चलेगा…
चिरकुट : हद है यार.. माफी मांग ली.. आपकी ड्यूटी को सैल्यूट बोल दिया… ये भी बता दिया कि इस जगह पर अकेला मैं नहीं, लोग सीरिज में दारू पी रहे हैं तो सबको ले चलो… लेकिन तू मानता नहीं.. तो चल भाई…
सिपाही : बहुत बोलता है.. बड़ बड़… मीडिया वीडिया ब्लाग व्लाग सब जानते हैं.. तुम्हीं लोगों ने पुलिस की इमेज गंदी की है.. अब फंसे हो तो पटा रहे हो समझा रहे हो…
चिरकुट : चल बे, ले चल… अब तू ले ही चल…
सिपाही : थानेदार सर, ये दारू पी रहा था… सड़क पर खुलेआम… गाड़ी का कागज भी नहीं था…
चिरकुट : सर हम पी तो रहे थे… पकड़े गए तो माफी भी मांगी लेकिन वहां दर्जनों कारें पी पा रहीं थीं… अकेल हम्हीं को?
थानेदार : चोप्प…. ! जो पूछता हूं वो जवाब दे… कौन से मीडिया में है रे…
चिरकुट : टकाटक प्रेस न्यूज चैनल में खटखट एडिटर हूं….
थानेदार : ओहो… मेरा भी भाई पत्रकार है… लेकिन तुम्हारी आवाज से लग रहा है कि तुम मीडिया में नहीं हो बल्कि पियक्कड़ हो…
चिरकुट : सर मेरा पूरा खानदान जब गरियाता है या लतियाता है या पिटाता है या पियक्कड़ी करता कराता है तो वह तुलतुलाता है… ये डीएनए की प्राब्लम है…
थानेदार : तो मेरी डीएनए की प्राब्लम ये है कि मेरी शकल काली है और मेरा सिपाही जो तुम्हें पकड़ लाया है वो मेरा खानदानी है तो अपन का काम ही है कि जो गोरी चमड़ी वाला मिले उसे उठाओ.. खासकर उसको भी जिससे अपना महीना न बंधा हो, उसे हर हाल में उठा लाओ… उसको थाने तक लाते हुए बोल बोल के उसकी औकात दिखाओ और उसे सबक सिखाओ… आइंदा से ध्यान रखना …अभी तो मीडिया ब्लाग व्लाग से होने का बता रहे हो तो जाओ… ऐसा कुछ बैकग्राउंड तुम्हार न होता तो मेडिकल कराके सीधे तिहाड़े भिजवा देते… समझे ना…
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ब्लागर : ये चिरकुट यशवंतवा गरिया दिया है रे माका नाका टाका साका करके…
चिरकुट : हुजूर माई बाप गलती हो गई है… हाईजैक हो गया था.. न हुआ हो भी तो माफी… क्योंकि गरिया गरिया के डिलीट मार रहे थे… हमें का पता था कि आप पकड़ लेंगे एकाध सीन…
ब्लागर : संडास बहाय दिए हो… तुम्हें पता ही नहीं है कि हम रायपुर से रमन सिंह से हाथ मिलाय के और माल कमाय के आ रहे हैं.. अरे इसी दिन के लिए तो हम युवा मीडिया विश्लेषक बनने के लिए तड़पड़ा रहे थे… अब तो सरोकारिता लिक्खाड़पना में चार चांद लगने का काम शुरू हुआ है..
चिरकुट : अरे साहब आप पहले से ही बहुत बड़े आदमी थे… डराय डराय के मारने के काम किया करते थे… हम नहीं भूले हैं आपका भड़ास को दलाली का ब्लाग कहने वाला शानदार तर्कशास्त्र… हम त नौकरी डाट काम टाइप कुछ मीडिया जाब डाट काम टाइप कुछ करने का बिचारे थे.. पर आपने ऐसा नापा डराया कि हम डर ही गए और उ धंधा ही छोड़ दिए…. हां… धंधा करते हैं.. लेकिन ब्लैक में.. ह्वाइट की हवा आपने निकाल दी…
ब्लागर : अबे तूं संडास… ऐसी देसी गाली देता है कि फेसबुक बदबू मार देता है… देखता नहीं कि हम नए जमाने के लोग हैं.. मेरी वाल पढ़ लिया कर.. क्या क्या पकाता बकता लिखता बताता रहता हूं.. थोड़ा भी सेंस होता तो समझ जाता संडास…
चिरकुट : जी साथी.. आपसे भी सीखने का प्रयास जारी रहेगा… तभी तो हम आज भी आपको शानदार युवा मीडिया विश्लेषक मानते छापते हैं… सैल्यूट यू…
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पुराना परिचित : काबे .. कहां हो.. उंगलियाने का मन कर रहा है फोन पर.. अपना नंबर दो…
चिरकुट : नहीं यार… यहीं चैट कर लेते हैं.. नंबर दे देंगे लेकिन फोन पर न उंगलियाना.. जो कहना करना है यहीं चैट पर कर लो ना…
पुराना परिचित : बड़े आदमी हो गए हो क्या…. ससुर… इतना दिमाग खराब हो गया….
चिरकुट : नहीं यार.. आदमी तो चिरकुट ही हूं… लेकिन फोन उठाने का मन नहीं करता… और, जब आप चैटिंग पर कर ही रहे हो तो बता दो सारी बात यहीं पर…
पुराना परिचित : नहीं बे… तुम्हें ऐसे कैसे छोड़ूंगा… मैं भी तो पुराना अति क्रांतिकारी और बड़ा धंधेबाज रहा हूं… तेरे बारे में ऐसा ही कुछ लिखकर तुझे टैग कर देता हूं…
चिरकुट : नहीं यार… मैं आपको पहचानने की कोशिश करता हूं.. आपने अपना नाम तो ‘कोमल’ बताया लेकिन नाम आपका ‘अद्भुत कोमल’ लिक्खा दिख-लग रहा है, तो मैं वाकई नहीं समझ पाया कि आप हो कौन…
पुराना परिचित : लो… तुम्हें पता ही नहीं… ‘अदभुत’ मेरे बेटे का नाम है… लोग पूंछ आगे लगाते हैं… मैंने सींग आगे लगा दिया.. .बेटे के नाम को आगे लगा दिया… इतना भी नहीं समझते हो .. इतना अब बदल गए….
चिरकुट : अरे भाई, तभी तो समझने में दिक्कत हो गई…. माफ करिएगा… माफी मांगता हूं.. बड़ा मजा आया… आपसे बात करके… आपसे चैट करके.. आपकी आवाज सुनके… सब कुछ बड़ा मजा आया.. अदभुत… आनंदम.. लव यू.. कृपा बनाए रखिएगा भाई…. गलती वलती हो गई हो जो उसे अनजाने में किया मान लीजिएगा..
पुराना परिचित : हा हा हा … अब लग रहा है कि आप असली आदमी हैं… बड़ा मजा आया.. कब घर पर आ रहे हैं… आपकी आवाज सुने बहुत दिन हो गया था… कब आ रहे हैं इस शहर…
चिरकुट : बख्श दो भाई… जब आउंगा तो जरूर फोन करूंगा… आप पहले भी महान थे, आज भी महान हैं और आगे भी रहेंगे… शुक्रिया थैंक्यू लव यू मेरे भाई.. प्रणाम.. गुडनाइट… अच्छा लगा बात करके आपसे.. शुभ रात्रि भाई…
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स्वामी, अब बुला लो… मन भर गया है झेलते-झेलते… और, इस कड़ी में कहीं ये चिरकुट किसी दिन अकेले कहीं भाग भूग कर मौनव्रत सदा-संन्यासी न बन जाए…. कुछ कराइए मित्रों.. गुहार सुनिए…
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से. यहां यह भी बताना जरूरी है कि उपरोक्त सब व्यंग्य और सारे चरित्र काल्पनिक हैं. कहीं कोई साम्य लगे तो वह मात्र संयोग होगा. यशवंत से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
santosh singh
December 18, 2014 at 12:29 pm
yashwant singh you are a man of real vision today PATRKARITA. …….THANK YOU…………….