Yashwant Singh : एक अदभुत और ऐतिहासिक फ़िल्म ‘पीहू’ आज देश भर में रिलीज हो रही है। फ़िल्म समीक्षकों ने जमकर स्टार बरसाए हैं। मैं इसलिए ये फ़िल्म फर्स्ट डे नहीं देखने जा रहा कि इस फ़िल्म को एक वरिष्ठ पत्रकार Vinod Kapri ने बनाया है, जो अब मेरे मित्र और बड़े भाई हैं। मैं आज इसलिए देखूंगा कि 2 साल की बच्ची ‘पीहू’ इस फ़िल्म की नायक / नायिका दोनों एक साथ है और पूरी फ़िल्म उसी पर केंद्रित है। आखिर 2 साल की बच्ची कैसे इतना सहज, रीयल और विविध भाव भरा अभिनय कर सकती है? यंग पैरेंट्स की आंख खोलने के लिए 2 साल की बच्ची को केंद्र में रखकर कोई कैसे फ़िल्म बनाने का दुस्साहस कर सकता है?
जो लोग इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग में गए थे, वो फ़िल्म देख कर जब निकले तो निःशब्द थे। भाई Abhishek Upadhyay का लिखा रिव्यू उनकी वाल पर पढ़ रहा था। वो लिखते हैं, फ़िल्म देखकर आप अकेले घर नहीं लौटेंगे। यानि आपके साथ साथ पीहू भी चल रही होगी, आपके मन मस्तिष्क में।
कई समीक्षकों के रिव्यू देख रहा था। सबने जो कहा फ़िल्म की स्क्रीनिंग के बाद, उसका सार बस यही था, न भूतो न भविष्यति!
तय मानिए, ये फ़िल्म ऐतिहासिक साबित होने जा रही है। कई देशों में पुरस्कार तो पहले ही झटके चुकी है। अब ये भारत में बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाने जा रही है। paytm पर या book my show में हिंदी मूवी कैटगरी में इस फ़िल्म को अपने शहर का नाम डालकर सर्च करिए। हर जगह लगी है ये फ़िल्म, अहमदाबाद से मेरठ तक, दिल्ली एनसीआर से लखनऊ-कानपुर तक। चाहें ऑनलाइन बुक करें या सिनेमाहाल की टिकट खिड़की पर, लेकिन इस फ़िल्म को आज देख आइए।
मैं आज नोएडा में देखूंगा। जो जो आज शाम मेरे साथ चलकर ये फ़िल्म देखना चाहे, इनबॉक्स कर दे। पूरी मंडली के साथ चला जाएगा। वैसे ये भी बता दूं, ‘पीहू’ टीवी पत्रकार Rohit Vishwakarma जी की बिटिया हैं। फ़िल्म देखने से पहले फ़िल्म से जुड़े लोगों और उनकी बातों को जान लीजिए, ताकि आनन्द देखते वक़्त दुगुना हो सके।
और हां, कम बजट की इस अदभुत फ़िल्म के पास प्रचार के वास्ते कोई बजट नहीं है। माउथ पब्लिसिटी यानी फ़िल्म के बारे में जनता की बतकही ही एकमात्र तरीका है। यह तरीका आदिम होने के साथ साथ बेहद जमीनी और कारगर भी है। इसलिए फ़िल्म देखकर रिव्यू ज़रूर लिखिए। खराब लगे तो खराब लिखिए, अच्छी लगे तो लिख कर बताइए क्यों अच्छी लगी।
ठग ऑफ हिंदुस्तान ने प्रचार पर पानी की तरह पैसा बरसाया लेकिन फ़िल्म में दम न था तो पिट गयी। जिन लोगों ने पहले दिन देखा उन्होंने फौरन लिख दिया, ठग ने दर्शकों को ठग लिया, न देखें। बस, फ़िल्म पिट गयी। कंटेंट में दम होता तो ठग भी माउथ पब्लिसिटी के दम पर झंडे गाड़ चुकी होती। पीहू की कंटेंट में दम है तो फ़िल्म के प्रचार पर खर्च न होने के बावजूद यह हिट जाएगी क्योंकि दर्शकों की मुंह और कलम से बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी।
तो आइए, 2 साल की अपनी हिरोइन यानी प्यारी ‘पीहू’ की करतूतों को टकटकी लगाकर, सांस बांधे देखें! जो नए मैरड कपल हैं, जो छोटे बच्चों के पैरेंट हैं, जो जल्द ही शादी करने वाले हैं, उनके लिए ये फ़िल्म मस्ट वाच है। पीहू इन्हें बताएगी, प्लीज अपने बच्चे के वास्ते, ये काम करें, ये न करें!
भड़ास के संपादक यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
Rohit Vishwakarma : पीहू पर पापा की बात….. फिल्म आज रिलीज हो रही है… देश दुनिया के करीब करीब करोड़ लोग अब तक फिल्म का ट्रेलर देख चुके हैं कुछ ने फिल्म भी देख ली है .. हम (मैं और प्रेरणा) जितनी बार भी फिल्म को देखते हैं उसके हर सीन को हम जीते हैं… सबकुछ सपने जैसा लगता है, जैसे अभी तो शूटिंग चल रही थी, फिल्म में पीहू की मां Prerna Sharma और मैं उसके सौ फीसदी सीन से सीधे जुड़े हुए हैं… जुड़े होने का मतलब ये नहीं की हम सेट पर मौजूद थे .. बल्कि इसका मतलब है कि पीहू का हर सीन हमने पूरा कराया है… हर दिन शूटिंग से पहले स्क्रीन प्ले यानी पटकथा सुनकर पीहू से सीन कैसे कराया जाएगा ये हमारा काम होता था… ठीक उसी तरह जैसे फिल्म में EP या फिर फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर काम करते हैं… कमोबेश वैसे ही हमने इस फिल्म में काम किया है…
इस फिल्म के हर सीन को पीहू के बाल मन ने जिया है … जिस वक्त वो रो रही है वो वाकई रो रही है … जब वो हंस रही है वो वाकई हंस रही है… और जब वो पानी में फिसल कर गिरती है तो वाकई गिरती है … पढ़ने में अजीब और क्रूर लग सकता है… लेकिन एक ऐसे माता पिता की मौजूदगी में ये सोचना गलत होगा जिनके लिए बच्चा उनकी कमाई का जरिया नहीं… बल्कि दिल का वो टुकड़ा है जिसके बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता … हां कई सीन में मुश्किल आई भावनाओं ने आंख भर दिए…कई बार हमने पापड़ बेले… फूटफूटकर रो भी पड़ा… पीहू की हरकतों से खिलखिलाकर हंस भी दिए… और कई बार खुद से सवाल किए… हर बार मन ने यही जवाब दिया कि एक ऐसी कहानी दुनिया के सामने रखनी है जो पीहू जैसे बच्चों से जुड़ी है … अगर पीहू हमारे कलेजे का टुकड़ा है तो बाकी सारे भी तो ऐसे ही हैं पूरी शूटिंग करीब महीने भर में पूरी हो गयी… जिसका तकरीबन पूरा हिस्सा सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही शूट होता था… वो किसी मॉडल की तरह सिर्फ कैमरों पर पोज देने नहीं आती थी… जैसे एक कलाकार अदाकारी के लिए किरदार को जीता है वैसे पीहू के बाल मन ने भी हर सीन को जिया है … लेकिन पीहू फिल्म में अभिनय नहीं बल्कि सच में भावनाए दे रही है… हरकोई पूछता है कि बच्चे को रुलाया कैसे… हंसाया कैसे … बच्चे से ये कैसे कराया वो कैसे कराया … ये सारी बातें फिल्म रिलीज के बाद होंगी… बस इतना कहूंगा कि मातापिता ये जानते हैं कि बच्चा किन हालात में क्या करता है और क्या कर सकता है…
फिल्म को लेकर और क्या क्या हुआ हमारी जिंदगी में… फिल्म की शूटिंग में क्या क्या हुआ… ये सब एक दिन पीहू पढ़ सके इसलिए लिखूंगा.. ताकि पीहू हमारे फैसले पर गर्व कर सके, विनोद जी ने बड़ी हिम्मत का काम किया जो इस विषय पर फिल्म बनाने की सोची औऱ उसे रिलीज तक लेकर आए … और शूटिंग के दौरान फिल्म के प्रोड्यूसर किशन जी का पीहू पर प्यार तो बयां ही नहीं किया जा सकता… आज भी पीहू उनके दिए तोहफों से खेलती है… उम्मीद करूंगा कि पीहू की मेहनत आपसभी की जिंदगी में बदलाव लाएगी … जरूर देखिएगा 16 नवंबर को पीहू…
‘पीहू’ के पापा और टीवी पत्रकार रोहित विश्वकर्मा की एफबी वॉल से.
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anil sharma
November 16, 2018 at 10:48 am
sach kahu film nahi dekhi bhadas 4 media per pihu se releted articals read kiye sach aankho ne rula diya her lekh padate padate aisa laga goya film dekh raha hun