महुआ कंपनी पर ताला लग गया है. इसके मालिक पीके तिवारी ने सात महीने की इंप्लाइज की सेलरी हड़प ली है. यहां के कर्मियों को अगस्त 2016 से फरवरी 2017 तक सेलरी नहीं मिली. कर्मचारियों ने बहुत बार कंपनी मालिक से अनुरोध किया कि उनका बकाया दे दें लेकिन तिवारी जी कान में तेल डाल मजे में सोते रहे. आखिरकार सभी एंप्लॉई लेबर कोर्ट गए. वहां भी एक साल बीतने को है लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला है.
महुआ कंपनी की तरफ से एक लेटर कोर्ट में दिया गया जिसमें कहा गया है कि कंपनी और इसके अकाउंट को सीबीआई ने सील कर दिया है. पर सच्चाई यह है कि महुआ कंपनी को 2013 में ही सील कर दिया गया था लेकिन कंपनी कानून की नाक के नीचे 2017 तक चलती रही. कंपनी का कुछ न बिगाड़ सका कानून. मालिक बड़े आराम से कंपनी के सामान बेचते चले गए. वे मौज से अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं. पर वहां के इंप्लाइज को तनख्वाह नहीं दिया गया. सोचिए सात सात महीने की सेलरी हड़पने वाले हमारे मालिक लोग कानून की नाक के नीचे संविधान की मूल भावना की खिल्ली उड़ा रहे हैं.
देखें बकाया मांगने वाले कर्मियों के नाम और कुछ पत्राचार…