माफ करेंगे । लोकशाही ,जनसत्ता और जनसरोकारों के कथित पहरुवे चौथा खंभा शायद अब लोकतंत्र को बचाने के लिए जरूरी अपने को पांचवां खंभा भी घोषित करने वाले मीडिया और मीडिया वाले राज्य सभा टीवी में मजठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों और माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहस चलाने के बाद आप भी जागोगे कि अभी भी मालिकों के डंडे से डरते ही रहोगे।
सरकारी और पब्लिक ब्रोडकास्टरों को सरकार का भोंपू करार देने वाले निजी चैनलों और अखबारों के कथित पहरुवों मालिकों और कारपारेट के भांड़ गान से आगे भी दुनिया है।
माफी सहित हम सभी एेसे सरोकारी मीडियाकर्मियों जिनमें रवीश भाई,उर्मिलेश, राजदीप सारादेसाई ,सागरिका घोष,अर्णब गोस्वामी जैसे बड़े लोगों को यह भार उठाने की विनती करते हैं कि कुछ समय अगर हो तो समाचार पत्र के पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मियों के इस ज्वलंत और जरूरी मुद्दे को भी अपने चैनलों या अपने पत्रकारीय लेखनों या चर्चाओं मे जगह दें। बाकी के बड़े स्वध्ान्यमान्य स्वतंत्र पहरुवों से ऐसी अपेक्षा करना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है सो इसके लिए उनसे भी माफी।
मजीठिया मंच के फेसबुक वॉल से