रेखा पाल-
मनदीप पुनिया, वो पत्रकार जो तिहाड़ जेल से भी रिपोर्टिंग कर आया, पैर पर लिख डाले नोट्स
तिहाड़ जेल से रिहा होते ही पत्रकार मनदीप पुनिया ने कहा कि वो जेल में बंद किसानों पर एक रिपोर्ट बनाकर लौटे हैं. सबसे ज़बरदस्त तो जुनून की हद ये कि वो अपने पैरों पर लिखकर लाए हैं किसानों से इंटरव्यू के नोट्स. मनदीप पुनिया ने जेल से निकलते ही कहा कि- आज के समय में सबसे मुश्किल काम ग्राउंड से रिपोर्ट करना होता है. मुझको रोका गया और जेल में डाल दिया गया, लेकिन मैंने तो जेल को भी अपना बना लिया और जेल से भी मैं रिपोर्ट कर सकता हूं. और एक रिपोर्ट मैं लेकर आया हूं जल्द पब्लिश करूंगा.
साथ ही पुनिया ने मांग करते हुए कहा कि मेरे जैसे जिन लोगों को जेल में बंद किया गया है उनको फ्री किया जाए, चाहे कप्पन सिद्दीकी साहब हों या फिर कोई और पत्रकार.
मनदीप पुनिया सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन कवर कर रहे थे. इस दौरान पुनिया पर आरोप लगा कि उन्होंने पुलिस के साथ बदसलूकी, मारपीट की है और इस आरोप में उनको जेल भेज दिया गया था. पूनिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उन्हें 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है।
सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों के साथ कथित दुर्व्यवहार के आरोप में दो पत्रकारों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की मीडिया संस्थानों और स्वतंत्र पत्रकारों ने रविवार को आलोचना की थी। ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप में फ्रीलांस पत्रकार मनदीप पुनिया और ऑनलाइन न्यूज इंडिया के धर्मेन्द्र सिंह को दिल्ली पुलिस ने शनिवार शाम हिरासत में लिया था। हालांकि, धर्मेंद्र सिंह को बाद में छोड़ दिया गया, लेकिन पूनिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
पत्रकार मनदीप पुनिया स्वतंत्र पत्रकार के बतौर लगातार अनदेखे जन मुद्दों और खेती-किसानी के मुद्दों पर लिख-पढ रहे हैं।उनके जोश और उत्साह का क़ायल आज हर एक पत्रकार और वो जनसमूह है जो किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा है है।
मनदीप 2017 बैच के IIMC के विद्यार्थी रहे हैं। कई लोगों की माने तो वो इकलौते ऐसे पत्रकार हैं जो मन मुताबिक पत्रकारिता करने के लिए खेती करते हैं ताकि रिपोर्टिंग के लिए किराए का बंदोबस्त हो सके। जब किसान आंदोलन में मंच के पास स्थानीय नागरिक के नाम पर कुछ लफंगों ने उत्पात मचाया था तो मंदीप पुनिया ने ही ये पर्दाफाश किया था कि वो सत्ताधारी दल से जुड़े लोग हैं, उनके नाम क्या हैं और किन पदों पर हैं।
वहीं, मंदीप पुनिया ने जेल से रिहा होने के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपनी बात रखी –
‘मुझे लगता है कि मेरे साथ गलत हुआ. पुलिस ने मुझे मेरा काम करने से रोका. यही मेरा अफसोस है. उस हिंसा का नहीं जो मेरे साथ हुई. इस घटना ने रिपोर्टिंग करने के मेरे संकल्प को मजबूत किया है. ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग करना सबसे जोखिम भरा, लेकिन पत्रकारिता का सबसे जरूरी हिस्सा है’.
‘मैं पहले दिन से किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग कर रहा हूं और जिस तरह से सत्तापक्ष की गोद में बैठा मीडिया इस आंदोलन को बदनाम करने में तुला है, उससे बहुत दुख होता है’.
‘एक पत्रकार के रूप में यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं इस आंदोलन को सच्चाई और ईमानदारी से रिपोर्ट करूं’
-रेखा