मनोज खरे-
शर्म से कहो हम हिंदू हैं… उत्तर भारत के तेजी से बीमार होते जा रहे हिंदीभाषी हिन्दू समाज का एक थर्मामीटर है यह वीडियो। मंदिर प्रांगण में लगे नल से पानी पी लेने के ‘अपराध’ पर अपनी उम्र से आधी उम्र के अल्पवय मुस्लिम बच्चे को क्रूरता से मारने वाले श्रृंगी यादव उर्फ श्रृंगी नंदन का इत्मीनान और ‘कोल्ड ब्लडेड’ हावभाव देखिए। श्रृंगी यादव का कैमरे वाले को शुरू में निर्देश देना देखिये कि बढ़िया से बनाना दोनों के चेहरे ठीक से वीडियो में आने चाहिए। उसके चेहरे पर किंचित भी यह भाव नहीं है कि वह एक आपराधिक-हिंसक कृत्य करने जा रहा है और वीडियो से उसे पुलिस-कोर्ट द्वारा दंडित किया जा सकता है। यह भाव भी उसके चेहरे पर कतई नहीं है कि प्यासे द्वारा पानी पी लेने पर पीटना एक घोर अमानवीय और अधार्मिक कार्य है।
वह इस भाव से ओत-प्रोत है कि मंदिर में पानी पीने के लिए आ जाने वाले अल्पवय मुस्लिम बालक को “सजा” देकर वह हिन्दू धर्म की सेवा का एक “महान” और नायकत्वपूर्ण का काम करने जा रहा है। उसे पूरा विश्वास है कि यह वीडियो फैला कर वह हिंदुओं के बीच “हीरो” बन जाएगा। इसतरह के हीरोशिप के भाव पहले शंभू लाल रैगर के एक वीडियो में हम देख चुके हैं, जिसमें उसने एक मुस्लिम श्रमिक की हत्या कर शव जलाने का वीडियो बनवाकर वायरल किया था। यही भाव राजस्थान में एक दलित को सौ रुपये चुराने पर मारने वाले वर्कशाप मालिक के वीडियो और तबरेज अंसारी और पहलू खान जैसी भीड़-हत्याओं के वीडियो में भी दिखते हैं। यह नफरत के उस खतरनाक जहर का प्रकटीकरण है जो हिंदी-पट्टी के बहुतेरे हिन्दुओं के दिमाग में घुल चुका है।
क्या हिन्दू अब यह कह कर गर्व कर सकेंगे कि गर्मी में सड़कों पर राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाना हमारा धर्म है? क्या अब हिंदुओं का चींटियों को आटा डालना और पक्षियों के लिए पानी के बर्तन टांगना परले दर्जे का पाखंड नजर नहीं आएगा? अगर मंदिर के नल से पानी पी लेने वाले प्यासे बच्चे को इस बेरहमी से मारा जा सकता है तो ऐसे मंदिर, भजन, कीर्तन, भंडारे, पूजा-पाठ सब निरर्थक हैं। इसके बरक्स जब हिन्दू सिखों के लंगर और अस्पताल देखेंगे तो शर्म से कहां जाकर गड़ेंगे, समझ नहीं आता।
यदि यही हिन्दू का जागना है तो बिना शक उत्तर भारत के हिन्दू समाज का तीव्र गति से तालिबानीकरण हो रहा है। अगर वीडियो में क्रूरता से पिटते बच्चे का अंत में यह कातर स्वर कि ‘पानी पीने आए थे अंकल’ सुनकर आपका दिल नहीं दहल रहा तो यह तय है कि हिंदी-पट्टी के इलाके को भारत का अफगानिस्तान बनने से कोई नहीं रोक पाएगा।
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सलीम अख़्तर सिद्दीक़ी-
मंदिर मस्जिद से पानी पीना गुनाह नहीं है, लेकिन 14-15 साल के आसिफ के लिए गुनाह हो गया। ऐसा ही बनाएंगे नया भारत? ग़ाज़ियाबाद पुलिस का शुक्रिया, जो उसने वीडियो का संज्ञान लेकर आरोपी को पकड़ लिया।
नरेंद्र यादव-
कोई गाजियाबाद यादव के यादव जी ने एक मुस्लिम बच्चे को को कि मंदिर में पानी पीने आ गया तो सबसे पहले एक लड़के को बोल कर कि वीडियो में मेरा चेहरा साफ आना चाहिए और उस बच्चे को लात घूँसों से पिटाई की । अब आप सोचिए कि यही पिटाई किसी शर्मा जी ने या ठाकुर साहब ने की होती तो यादवों का पढा लिखा तबका ब्राह्मणवाद से लेकर आरएसएस तक को कोस चुका होता। लेकिन अब चूंकि पीटने वाले यादव जी हैं तो मुंह खोलते नही बन रहा । आप साफ क्यों नहीं मानते कि आपको मुल्लों को टाइट करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। क्योंकि आपके अंदर जो संघी मानसिकता घुस गई है वह आप सिर्फ ब्राह्मणवाद के विरोध से ही छुप सकती है। आज ये यहीं नहीं रुका तो रेप हत्या बलात्कार तक यादव जी करेंगे, अपनी जिम्मेदारी समझिए और इस कलंक को अपने माथे पर मत सजाइए।
विनोद
March 13, 2021 at 6:46 pm
यह तो हिंदू धर्म का अपमान है हिंदू मानवता के लिए प्याऊं लगाते हैं मंदिर मानवता की सेवा के लिए होते हैं किसी भी बच्चे का को पानी पीने से रोकना हिंदू धर्म के साथ मानवता का भीअपमान है इन्हें माफी मांगनी चाहिए!
Amar Nath pandey
March 14, 2021 at 11:10 am
मानवता के लिए शर्मनाक, किसी भी धर्म में वास्तविक आस्था रखने वाला ऐसा नहीं कर सकता। ऐसा सिर्फ अज्ञानी और प्रदर्शन करने वाले ही कर सकते हैं।