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सियासत

मनीष सिसोदिया और मोबाइल फोन!

मोहम्मद ज़ाहिद-

मुझे रिवाल्वर के लाईसेंस लेने का‌ शौक चर्राया, तो 2 सेट अप्लिकेशन डाल दी , जिसकी एक प्रति “एसएसपी” के द्वारा क्राईम हिस्ट्री और एक प्रति “एसडीएम” के माध्यम फाइनेंशियल करप्शन वेरीफाई की जाती है।

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और हमारे क्षेत्र के थाने में वेरिफिकेशन के लिए फाईल आ गयी।‌‌ मैं थाने में थानाध्यक्ष के सामने बैठा था ।

थानाध्यक्ष ने मुझसे मेरा फ़ोन मांगा तो मैंने दे दिया, उन्होंने मेरा नंबर पूछा ? मैंने बता दिया 9415**।

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थानाध्यक्ष ने सम्मान के साथ मेरा फ़ोन वापस कर दिया, मेरी फाईल मंगाई और साईन करके बोला कि आप तो बेहद शरीफ़ आदमी हैं आपको रिवाल्वर क्यों चाहिए ?

मैंने कहा कि व्यापारी आदमी हूं, अक्सर टूर पर रहता हूं और देर रात तक आता हूं।

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थानाध्यक्ष ने मुस्कुराते हुए कहा , लीजिए कर दिया।

मैंने हिम्मत करके थानाध्यक्ष से पूछा कि सर आपको मेरे नंबर से मेरी शराफत का अंदाजा कैसे लगा ?

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थानाध्यक्ष बोला आपका फोन नंबर 9415** बीएसएनएल के शुरुआती दिनों का है जो करीब 15 साल पुराना नंबर है।

फ्राड और क्रिमिनल आदमी 2 महीने में अपना नंबर बदल देते हैं , 15-17 साल पुराना नंबर शरीफ लोग ही रखते हैं।

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आज सुना कि मनीष सिसोदिया ने 4 फोन नंबर बदले , 3 मोबाइल एक दिन में बदले तथा 11 मोबाइल तोड़े तो मुझे थानाध्यक्ष की बात याद आ गयी।

बाकी मनीष सिसोदिया मेरा मुद्दा है ही नहीं।

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नितिन त्रिपाठी-

दिल्ली के लिकर घोटाले की ख़ास बात यह है कि यह उन केसेज में है जो बिलकुल ओपन शट हैं. ठेकेदारों का कमीशन 2.5 से 12% किया गया. 6% रिश्वत लिया गया. सरकारी ठेकों को प्राइवेट को दिया गया. टैक्स कम किया गया. और इन सबसे जिनको फ़ायदा मिला वह आप के स्थानीय नेता थे. लपेटे में टीआरएस के दामाद जी भी हैं. सिसोदिया के साथ इनकी होटलों में मीटिंग होती थीं. घर पर आकर रुकते थे. सिसोदिया इनसे हर बार नए फ़ोन से बात करता था. सारे सबूत सीबीआई के पास हैं.

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वैसे सबूत अपनी जगह, दिल्ली के हर वोटर को पता है, हर आप के कार्यकर्ता को पता है और हर भाजपाई को पता है घोटाला हुआ है, सर जी के खाने का तरीक़ा भी अब सब समझते हैं.

भारत में सामान्य समय में भ्रष्टाचार कभी चुनावी मुद्दा नहीं होता. वोटर के ऊपर चाबन्नी बराबर फ़र्क़ नहीं पड़ता, उन्हें उनका हिस्सा फ्री बिजली पानी मिल जाये. आप के कार्यकर्ताओं को उनका हिस्सा मिल जाये वह भी ज़िंदाबाद नारे लगायेंगे, हमे चाहिए लोकपाल की टोपी पहनायेंगे.

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अब बड़ा प्रश्न है सिसोदिया का क्या होगा? गर्दन सिसोदिया की फँसी और प्रायः अनुभवी नेता अपनी गर्दन इस तरह नहीं फँसाते. सर जी के लिए सिसोदिया की यूटलिटी समाप्त है, वह इनकी क़ुर्बानी का पोलिटिकल माईलेज ले लेंगे, भारत में कमाई हो रही हो उस पोस्ट को ऑक्यूपी कर शहीद होने के लिये शिसोदिया जैसे पचास तैयार रहते हैं.

भाजपा के ऐंगल से पोलिटिकली स्पीकिंग वर्थ इट नहीं है शिसोदिया को फँसाना. किंगपिन सर जी हैं सबको पता है. पब्लिक की सेहत पर ऐसे भ्रष्टाचार से फ़र्क़ पड़ना नहीं तो राजनैतिक रूप से सिसोदिया को शहीद होने देना राजनीति नहीं. हाँ ये है कि सिसोदिया की गर्दन दबा कर सर जी को घेर कर रखा जाये. लंबे समय के लिये जैसे अखिलेश, मायावती जैसे नेता हैं वैसे ही एक और भ्रष्ट नेता अब क़ाबू में रहेगा.

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बाक़ी फिर वह हमारे यहाँ कहावत कही गई है ऐसे केस में कोई फँस जाये तो उसे मारो कम घिसलाओ ज्यादा.

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