Padampati Sharma : कहां आए रेलवे में अच्छे दिन ‘प्रभु’ यह गाजियाबाद है!! काश! मैं पूरा दृश्य दिखा पाता. गोमती एक्सप्रेस से लखनऊ जाना है. टैक्सस (अमेरिका) से बेटे ने तत्काल में टिकट कराया मजबूरी में क्योंकि शताब्दी सहित किसी भी ट्रेन में जगह नहीं थी. पता लगा कि कभी राजा गाड़ी समझी जाने वाली यह ट्रेन आज की तारीख में बतौर बैलगाड़ी जानी जाती है. पता चला कि इस ट्रेन को नौ बजे रात्रि में पहुंचना होता है पर ११ के पहले कभी नहीं पहुंचती. मजा देखिए कि तत्काल में भी टूटीयर एसी में ऊपर की बर्थ एलाट की गयी जबकि दावा यह कि सीनियर सिटिजन को लोवर बर्थ दी जाएगी. दावा मजाक बन कर रह गया….!!
प्रथम परिचय प्लेटफार्म पर आते ही मिल गया. एक भी कुली नहीं, कोई टीसी नहीं, आरपीएफ का कोई जवान तक नहीं. बैठने का आलम यह कि ९५ प्रतिशत यात्री खड़े हैं उनमें अपंग हैं, विकलांग हैं, वृद्ध हैं पर सभी खड़े हैं. एक नब्बे बरस की वृद्धा को बड़ी मुश्किल से ले जाकर बैठाया. कोढ़ में खाज यह कि दिल्ली से रवाना होने वाली ट्रेन को ४० मिनट लेट बताया गया. जहन्नुम में गयी बुलेट ट्रेन जो पहले से हैं उनको दुरुस्त कीजिये. जो आम यात्री रेलवे को सबसे ज्यादा रेवेन्यू देता है, वह रेलवे के लिए आज भी भेड़ – बकरी है.
गत २२ अप्रैल को प्रभु के नायब मनोज सिन्हा से उनके मंत्रालय में मुलाकात हुई थी. लंबी बातचीत हुई थी. लिखूंगा विस्तार से पर उन्होंने दावा किया था कि रिजर्वेशन में माफिया राज इतिहास हो चुका है पर असलियत यह कि उन्ही का एक छत्र राज्य बरकरार है. सुबूत है तत्काल में भी किसी ट्रेन में जगह न मिलना. कौन है जो ठीक दस बजे टिकट निकाल लेता है? मंत्री जी जानते हैं कि मैं बतौर पत्रकार वीआईपी कोटे का इस्तेमाल नहीं करता, क्योंकि मैं हकदार नहीं हूं. पर क्या इमानदारी का यही इनाम मिलता है? रेलवे में कब अच्छे दिन आएंगे प्रभु…? नोट : ट्रेन दिल्ली से पहला पड़ाव पार करने में ही सवा घंटा लेट हो गयी..आगे कौन हवाल..!!
वरिष्ठ खेल पत्रकार पदमपति शर्मा के फेसबुक वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ कमेंट्स इस प्रकार हैं…
Anand Yuvraj ये तो कुछ भी नहीं. आप पुरानी दिल्ली वाले स्टेशन में रिजर्वेशन काउंटर जाकर तत्काल टिकट की मांग करें तो वो कहेंगे कि फुल हो गया या फिर वेटिंग हो गया लेकिन उसी ट्रेन का दूसरे दिन ट्रेन स्टार्ट होने से 2 घंटे पहले ही उसी काउंटर पे दलाल आपको कन्फर्म टिकट दिलाने की गारंटी लेता है… ये तो है हाल देश की राजधानी का… उस पर प्रभु की महत्ता देखिये कि टिकट बुकिंग 4 महीने पहले कर दिया…
Padampati Sharma : सही कहा Anand Yuvraj मैने मनोज सिन्हा से कहा कि चार महीने का मतलब माफियाओं की चांदी तो जवाब था कि जनता का सुझाव था. कौन समझाए कि जनता नहीं, माफिया सुझाव है. सच तो यह है कि पहले की तरह दस दिन पहले हो…लेकिन फिर दलालों का क्या होगा, वे ही तो चला रहे हैं रेल.
अनिल अबूझ
May 8, 2015 at 5:08 am
पदमपति जी! काहे को व्यवस्था को कोस रहे हो। आपकी मुलाकात मनोज सिन्हा से तो हो गयी न! सौभाग्य समझिए। हमारी तो स्टेशन मास्टर से भी मुश्किल से होती है।