मेरी घड़ी में सुबह के 9 बजकर 4 मिनट हो रहे थे। देश के दिल नई दिल्ली से मेरे दोस्त अखिल का फोन आया। प्यार से मैं उसे अक्की कहता हूं। वे इस समय एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल में बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर अपनी सेवाएं दे रहा है।
मुस्कुराते हुए मैंने फोन उठाया और कहा:
बोलिए साहब। आज कैसे छोटे लोगों की याद आ गई आपको।
अक्की: अबे तेरी टौंट मारने की आदत कब जाएगी। खुद तो याद करता है नहीं। मैं फोन करूं तो नखरे दिखाता है।
मैं: हंसते हुए। भाई मजाक कर रहा हूं। तू भी यार इतनी जल्दी नाराज हो जाता है।
अक्की: सुन, वो सोनाली है न। अबे उसने ***** न्यूज चैनल जॉइन कर लिया है। सैलरी 45+ बे।
मैं: वाह भाई, क्या बात। मैं अभी उसे फोन कर बधाई देता हूं।
अक्की: *****, काहे की बधाई बे। साली ने पक्का अपने बॉस का बिस्तर गर्म किया होगा। रात रंगीन बनाई होगी। अभी उसे मीडिया फील्ड में आए हुए 5 साल भी नहीं हुए और इतनी जल्दी इतना ग्रोथ। बिलीव ही नहीं होता यार।
अक्की की ये बातें सुनकर मेरे कानों में सन्नाटा छा चुका था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोलूं। आखिरकार हिम्मत करते हुए बोला, छोड़ न बे। तुझे क्या मतलब उससे। अपने काम से मतलब रख। अभी तो तुझे मेरी जॉब भी लगानी है।
अक्की: जोर से हंसते हुए हां बेटा, तेरा बोझ भी तो उठाना है।
मैं: अच्छा पूजा दी अभी ***** में जॉब कर रही हैं या कहीं और? (पूजा दी अक्की की बड़ी बहन हैं)
अक्की: अरे हां यार उस सोनाली के चक्कर में तो बताना ही भूल गया। पूजा दी ने ***** जॉइन कर लिया है। यहां उनका 14 लाख का पैकेज है।
मैं: बधाई यार। अब तो पूजा दी से बम्पर पार्टी लूंगा। अच्छा एक बात बता भाई।
अक्की: हां बोल।
मैं: पूजा दी ने भी काफी कम समय में अच्छी खासी ग्रोथ कर ली है। क्या उन्होंने भी अपने बॉस का बिस्तर गर्म किया होगा? अपने बॉस की रात रंगीन बनाई होगी?
अक्की: ये बात सुनते ही अक्की ने गालियों की बौछार कर दी। अबे ***** पूजा दी तेको भी अपना भाई मानती है तू उनके बारे में इतना गंदा कैसे बोल सकता है।
मैं: भाई, जब पूजा दी बिना कॉम्प्रोमाइज के इतनी जल्दी ग्रोथ कर सकती हैं तो वो सोनाली क्यों नहीं? सोनाली भी तो पूजा दी ही की तरह है। उनसे अलग नहीं। जब तू अपनी बहन के बारे में गलत नहीं सुन सकता है तो कैसे किसी और की बहन के बारे में कुछ भी बोल सकता है। जब सोनाली को ये पता चलेगा कि कोई उसके बारे में ऐसा बोल रहा था, उसे कैसे फील होगा इसका अंदाजा भी है तेको।
अक्की: ठीक कह रहा है तू। मेरी गलती है भाई। आज अगर तू मेको न समझाता तो कइयों से भी सोनाली के बारे में ऐसा ही बोलता। आई प्रॉमिस, अब कभी भी किसी के बारे में गलत नहीं बोलूंगा।
मैं: गुड मेरे भाई। गुड।
अक्की: चल अब फोन रखता हूं। ऑफिस का टाइम हो गया है। बाय।
मैं: बाय भाई।
21वीं सदी है। हम आधुनिक हो गए हैं। लेकिन सोच अब भी टुच्ची वाली ही है। अखिल उर्फ अक्की जैसे पढ़े-लिखे लोग जब बिना सोचे समझे किसी लड़की के बारे में इतना गंदा बोल सकते हैं तो यहां अनपढ़ों की बात करना बेमानी होगी। मीडिया में ही नहीं बल्कि सभी फील्ड में फीमेल्स के सक्सेस होने का फॉर्मूला उसके कैरेक्टर से लगा दिया जाता है। आखिर क्यों। जवाब ढूंढने की कोशिश मैं भी कर रहा हूं। आप भी कीजिए।
अपील: दूसरों की मां-बहनों के बारे में तभी कुछ गलत बोलना जब खुद की मां-बहन के बारे में कुछ गलत सुनने का बुता हो।
नोट: सभी नाम काल्पनिक हैं।
रोहित कांडपाल
युवा पत्रकार
छत्तीसगढ़
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