Abhishek Srivastava : अपना काम तो सभी करते हैं। बड़ाई इसमें है कि आप दूसरे का काम करें। वो भी पूरे निस्वार्थ भाव से। यह सरकार मुझे इसीलिए इतनी पसंद है। बंधुत्व और सहयोग की भावना यहां भयंकरतम रूप में दिखती है। अब देखिए जेटलीजी को। होंगे वकील, लेकिन कानून मंत्री थोड़े हैं। फिर भी एलजी बनाम दिल्ली सरकार के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कानूनी व्याख्या कर दिए। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बोझ कम हुआ, तो वे अफ़वाहों पर लगाम लगाने के लिए वॉट्सएप के इस्तेमाल पर ज्ञान देकर संचार मंत्री मनोज सिन्हा को हलका कर दिए। लगे हाथ सिन्हाजी वोडाफोन और आइडिया के विलय में जुट गए।
पीयूष गोयल के पास रेल है लेकिन उन्होंने उड़ान मंत्री जयन्त सिन्हा का काम आसान करते हुए एयर इंडिया को मुनाफाकारी बनाने की बात कह दी। जयन्त सिन्हा ने लगे हाथ एनपीए पर ज्ञान दे दिया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस मामले में आदर्श हैं जिन्होंने कैबिनेट की बैठक में समर्थन मूल्य पर लिए गए फैसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डाली और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह को श्रीलंका की बंधक बनाई भारतीय नावों को छुड़वाने के काम में लगा दिया। विदेश मंत्री सुषमाजी ट्रोलों से थकी हुई हैं तो क्या, काम थोड़े रुकना चाहिए।
ऐसी भावनाएं दरअसल ऊपर से चूते हुए नीचे आती हैं। होगा कोई विदेश मंत्री, विदेश यात्रा का सारा बोझ प्रधानजी ने अपने ऊपर ले लिया। एक इंटरव्यू में उन्होंने जैसे ही रोजगारों की गिनती का संकट गिनाया, तुरंत सड़क-हाइवे छोड़कर गडकरी जी ने गिनवा दिया कि 2014 के बाद उन्होंने एक करोड़ रोजगार पैदा किए हैं। अब देखिए, इससे आंकड़ा मंत्री सदानंद गौड़ा का कितना वक्त बचा। लगे हाथ उन्होंने जीडीपी और मुद्रास्फीति को गिनने का आधार वर्ष बदलने का एलान कर डाला। ऐेसे मामलों में मेरे फेवरेट पासवान जी हैं। वे खाद्य मंत्री हैं। अच्छे से जानते हैं कि ये देश खाये पीये अघाये लोगों का है। इसलिए वे आजकल मुसलमानों को बीजेपी के खोपचे में लेने में लगे हुए हैं, बोले तो कॉन्फिडेंस बिल्डिंग। ऐसे ही थोड़े है कि प्रधानजी ने आज जन्मदिन की बधाई देते हुए इमरजेंसी के इस योद्धा की भूरि-भूरि प्रशंसा की है!
आप चाहे जो करते हों, इस सरकार की कार्य संस्कृति से सीखिए। आप शिक्षक हैं? बच्चों के खाने-पीने पहनने का कोड तय करिए। पढ़ाने की ज़रूरत नहीं है। वकील हैं? बहुत अच्छे, आप गौरक्षकों को ज़मानत दिलवाइए। पत्रकार हैं? बहुत सुंदर। पत्रकारिता बिलकुल मत करिए। अध्यक्षजी का बोझ हलका करिए, पार्टी का प्रचार करिए। आप छात्र हैं? एडमिशन चाहते हैं? एबीवीपी करिए। आप सोशल मीडिया पर लिखते हैं? तब तो जबरदस्त संभावनाएं हैं। आप पार्टी के सोशल मीडिया वॉरियर बनिए। 2019 की तैयारी में जुटिए। आप कवि हैं? ये थोड़ा मुश्किल है। असल में गूगल का आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस अब कविता लिखना सीख गया है। ऐसा करिए, आप फांसी लगा लीजिए। कोई कुछ नहीं कहेगा।
पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट अभिषेक श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.
https://www.youtube.com/watch?v=Hrauh3nV_E0
pavan singh maurya
July 6, 2018 at 10:17 am
जबरदस्त ………..क्या कान के नीचे बजाए हैं